चीन की विस्तारवादी नीति: जमीन से लेकर समुद्र पर कब्जे की कोशिश
लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत के साथ गतिरोध के लिए चीन की सुनियोजित योजना (गेम प्लान) में दबाव, धोखा, दुष्प्रचार और इसकी दीर्घकालिक विस्तारवादी नीतियों को जारी रखने का संयोजन शामिल है.
नई दिल्ली:
लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारत के साथ गतिरोध के लिए चीन की सुनियोजित योजना (गेम प्लान) में दबाव, धोखा, दुष्प्रचार और इसकी दीर्घकालिक विस्तारवादी नीतियों को जारी रखने का संयोजन शामिल है. विस्तारवादी नीति पर चलने वाला चीन (China) जमीन से लेकर समुद्र पर कब्जे की कोशिश में है. ऐसा नहीं है कि सिर्फ भारत (India) के साथ ही चीन का सीमा विवाद है. 20 से ज्यादा देशों पर विस्तारवादी सोच वाला चीन अपना दावा करता है.
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चीन 23 देशों की जमीन पर करता है अपना दावा
चीन की 22 हजार 117 किमी लंबी सीमा 14 देशों से लगती है. चीन का इन 14 देशों से किसी न किसी तरह का सीमा विवाद है. इतना ही नहीं, सिर्फ ये 14 देश ही नहीं, चीन 23 देशों की जमीन पर अपना दावा करता है. पहले से ही चीन ने 6 देश- पूर्वी तुर्किस्तान, तिब्बत, इनर मंगोलिया, ताइवान, हॉन्गकॉन्ग और मकाउ पर किसी न किसी तरह से कब्जा कर रखा है. इन 6 देशों का कुल एरिया 41 लाख 13हजार 709 वर्ग किमी से ज्यादा है. यह चीन के कुल एरिया का 43 फीसदी है.
भारत समेत इन देशों की ज़मीन पर चीन का दावा
तजाकिस्तान: चीन का कहना है कि तजाकिस्तान पर 1644 से 1912 के बीच चीन के किंग राजवंश का शासन रहा है. इस लिहाज से तजाकिस्तान पर उसका हक है.
किर्गिस्तान: किर्गिस्तान में भी चीन ने अपनी दावेदारी ठोक रखी है. चीन कहता है कि किर्गिस्तान के बड़े हिस्से पर उसका अधिकार है.
अफगानिस्तान: अफगानिस्तान से सीमा समझौता होने के बावजूद साल 1963 से चीन अफगानिस्तान के बड़े भूभाग पर अपना आधिपत्य जता रहा है.
पाकिस्तान: अक्साई चीन तो पाकिस्तान पहले ही चीन के हवाले कर चुका है, लेकिन चीन से सटे पाकिस्तानी इलाके पर चीन अपना दावा करता है.
नेपाल: नेपाल के बड़े हिस्से पर चीन अपनी दावेदारी ठोंकता है और ये विवाद नया नहीं, बल्कि 1788 से 1792 के बीच चीन और नेपाल के बीच हुए युद्ध के समय का है. चीन कहता है कि नेपाल तिब्बत का हिस्सा है, इस लिहाज से नेपाल चीन का हुआ.
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भूटान: भूटान के एक बड़े भूभाग पर चीन ने दावेदारी ठोक रखी है. चीन यहां तेजी से सडकों का निर्माण कर रहा है. इतना ही नहीं, उसने यहां इंटरनेशनल बॉर्डर पर बंकर तक बना रखे हैं.
म्यांमार: 1271 से 1368 के बीच चीन के युआन राजवंश के समय म्यांमार तब का वर्मा चीन का हिस्सा हुआ करता था. उसी इतिहास को आधार मानकर चीन म्यांमार के एक बड़े भूभाग पर अपनी दावेदारी दिखाता है.
लाओस: लाओस के साथ भी चीन ने विवाद खड़ा रखा है. चीन का कहना है कि युआन राजवंश के शासनकाल में लाओस पर उसका अधिकार था. लिहाजा लाओस के भूभाग पर उसकी दावेदारी बनती है.
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वियतनाम: चीन कहता है कि वियतनाम पर 1368 से 1644 के बीच चीन के मिग राजवंश का शासन था, इसीलिए वियतनाम पर चीन का हक है.
उत्तर कोरिया: यूं तो चीन के नॉर्थ कोरिया से अच्छे संबध हैं, लेकिन इन संबंधों के बावजूद नॉर्थ कोरिया के जिंदाओं इलाके पर चीन ने अपनी दावेदारी पेश कर रखी है.
मंगोलिया: चीन का मानना है कि युआन राजवंश के शासनकाल में मंगोलिया भी उसका हिस्सा रहा है. हालांकि, सच्चाई यह है कि मंगोलिया के चंगेज खान ने चीन पर अपना आधिपत्य जमा लिया था. इनर मंगोलिया पर चीन अपना दावा करता है.
रूस: रूस से यूं तो चीन के संबंध फिलहाल अच्छे हैं, लेकिन रूस के साथ लगती हुई 1 लाख 60 हजार वर्ग किलोमीटर की सीमा पर चीन अपनी दावेदारी जता चुका है.
कजाखिस्तान: चीन का अपने सीमावर्ती देश कजाखिस्तान के साथ भी सीमा को लेकर विवाद है. हालांकि हाल ही में दोनों देशों के बीच समझौते हुए हैं, जो चीन के पक्ष में गए हैं.
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साउथ चाइना सी पर दावा
चीन दक्षिणी चीन सागर पर भी अपना हक जताता है. इंडोनेशिया और वियतनाम के बीच पड़ने वाला यह सागर 35 लाख स्क्वायर किमी में फैला हुआ है. यह सागर इंडोनेशिया, चीन, फिलीपींस, वियतनाम, मलेशिया, ताइवान और ब्रुनेई से घिरा है. इंडोनेशिया को छोड़कर बाकी सभी 6 देश अपना दावा करते हैं.
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