एप्पल उत्तराधिकारी का महाकुंभ में कल्पवास का निर्णय, स्टीव जॉब्स की पत्नी आएंगी प्रयागराज, जानें कल्पवास के धार्मिक महत्व और नियम

World Richest Women in Mahakumbh 2025: 13 जनवरी से शुरू होने वाले महाकुंभ मेले में इस बार एप्पल कंपनी की मालकिन लॉरेन पॉवेल भी आ रही हैं. वो प्रयागराज में रहकर कल्पवास करेंगीं. हिंदू धर्म में इसके क्या नियम हैं और इसका धार्मिक महत्व क्या है आइए जानते हैं.

World Richest Women in Mahakumbh 2025: 13 जनवरी से शुरू होने वाले महाकुंभ मेले में इस बार एप्पल कंपनी की मालकिन लॉरेन पॉवेल भी आ रही हैं. वो प्रयागराज में रहकर कल्पवास करेंगीं. हिंदू धर्म में इसके क्या नियम हैं और इसका धार्मिक महत्व क्या है आइए जानते हैं.

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Inna Khosla
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World Richest Women in Mahakumbh 2025

World Richest Women in Mahakumbh 2025 Photograph: (News Nation)

World Richest Women in Mahakumbh 2025: दुनिया की सबसे धनी महिलाओं में से एक, एप्पल के सह-संस्थापक स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवेल जॉब्स प्रयागराज में होने वाले महाकुंभ में कल्पवास करने आ रही हैं. ये दुखद है कि स्टीव जॉब्स साल 2011 में दुनिया छोड़ चुके हैं लेकिन स्टीव जॉब्स का भारत और भारतीय परंपराओं के प्रति गहरा लगाव था. ऐसा माना जाता है कि लॉरेन ने जॉब्स की आध्यात्मिक रुचि से प्रेरणा ली है. कल्पवास एक हिंदू धार्मिक अनुष्ठान है जिसमें व्यक्ति एक निश्चित अवधि के लिए व्रत रखता है और धार्मिक कार्यों में भाग लेता है. कल्पवास का उद्देश्य आत्मशुद्धि, मन की शांति और मोक्ष प्राप्त करना होता है.

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कल्पवास के नियम (Rules of Kalpavas)

कल्पवास के नियम अलग-अलग संप्रदायों और व्यक्तिगत आचार्यों के अनुसार अलग हो सकते हैं. सामान्यतया, कल्पवास के दौरान व्यक्ति एक निश्चित अवधि के लिए व्रत रखता है. यह व्रत पूर्ण या आंशिक हो सकता है. सादा जीवन जीता है, भोजन और नींद पर नियंत्रण रखता है. नियमित रूप से पूजा-पाठ, ध्यान और धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन भी इस दौरान किया जाता है. कल्पवास के दौरान व्यक्ति समाज सेवा में भी भाग ले सकता है. कल्पवास के नियम में ये भी है कि इस दौरान मन को शांत रखना चाहिए और क्रोध, लोभ, मोह आदि से दूर रहना चाहिए.

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कल्पवास का धार्मिक महत्व (Religious significance of Kalpavas)

हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि कल्पवास करने से व्यक्ति पापों से मुक्त होता है. मन की शांति प्राप्त करता है और मोक्ष के मार्ग पर आगे बढ़ता है. कल्पवास के दौरान ईश्वर के साथ एकात्मता का अनुभव भी होता है. लॉरेन पॉवेल का महाकुंभ में कल्पवास करना इस बात का प्रतीक है कि धर्म और आध्यात्मिकता का कोई धर्म, जाति या राष्ट्र नहीं होता है. वे एक अरबपति होने के बावजूद भी आध्यात्मिकता की ओर आकर्षित हुई हैं. ये एक मजबूत संदेश है कि धन और वैभव से परे भी जीवन में कुछ और भी महत्वपूर्ण चीजें हैं.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

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