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green tea Photograph: (green tea (Meta AI))
ग्रीन टी एक पॉपुलर ड्रिंक है. इसे दुनियाभर में काफी लोग पीना पसंद करते हैं. इस ड्रिंक को लोग चाय के नाम से जानते हैं और बाजारों में इसकी बिक्री भी चाय के लेबल से ही होती है. मगर अब से ऐसा नहीं किया जा सकता है. हाल ही में खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण यानी FSSAI ने साफ कह दिया है कि अब इसे सिर्फ 'चाय' मानना अनुचित है. दरअसल, उनका कहना है कि चाय सिर्फ वही होती है जो कैमेलिया साइनेंसिस (Camellia sinensis) पौधे से बनी हो.
क्यों लिया गया यह फैसला?
दरअसल, FSSAI द्वारा यह फैसला इसलिए लिया गया है क्योंकि पिछले कुछ समय से बाजार में हर्बल टी, रूइबोस टी, फ्लावर टी और अलग-अलग कई प्रकार के उत्पादों की बिक्री चाय के नाम पर हो रही है. मगर ये प्रोडक्ट चाय नहीं है. खाद्य विभाग के नियमों के तहत कांगड़ा टी, Green Tea और इंस्टेंट टी भी Tea की लेबलिंग में तभी शामिल की जाएगी जब वह Camellia sinensis पौधे से बनाई गई होगी.
लेबलिंग को लेकर जारी हुए सख्त निर्देश
FSSAI ने लेबलिंग को लेकर साफ कहा है कि खाद्य पैकेट के सामने उस उत्पाद के बारे में सही और वास्तविक नाम लिखा जाना चाहिए. यदि वह उत्पाद Camellia sinensis पौधे से नहीं बना है तो उसकी लेबलिंग चाय या tea से नहीं होगी. अगर ऐसा किया गया तो उसे मिसब्रांडिंग की कैटेगरी में शामिल किया जाएगा.
हर्बल टी, फ्लावर टी, रूइबोस टी जैसे उत्पाद नॉन-स्पेसिफाइड फूड नियम, 2017 के तहत आएंगे. ऐसे में अब ये प्रोडक्ट बिना चाय शब्द को हटाए अपने उत्पादों की बिक्री नहीं कर सकते हैं.
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किन्हें मानना होगा यह नियम?
चाय बनाने और बेचने वाली हर कंपनी को यह नियम मानने होंगे. इनमें निर्माता, विक्रेता, आयातक, पैकर्स और ई-कॉमर्स के सभी प्लेटफॉर्म्स को यह सुनिश्चित करना होगा कि कैमेलिया साइनेंसिस से बने प्रोडक्ट को ही चाय शब्द से बेचा जा रहा है.
नियम तोड़ने पर क्या कार्रवाई होगी?
इन नियमों के उल्लंघन होने पर फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स एक्ट 2006 के तहत जुर्माना, प्रोडक्ट की बिक्री, लाइसेंस रद्द और कानूनी कार्रवाई होगी. इन नियमों का पालन हो सके. इसके लिए राज्य सरकारों को भी निगरानी करने के निर्देश दिए गए हैं.
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