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File Photo (ANI)
Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने केसों की धीमी रफ्तार और आरोप तय होने में देरी होने पर चिंता जाहिर की है. सर्वोच्च अदालत ने बुधवार को इस पर चिंता जताते हुए देश भर के लिए दिशा निर्देश तय करने का संकेत दिया है. सर्वोच्च अदालत इस संबंध में सुनवाई करना चाहती है. इसके लिए उन्होंने अटार्नी जनरल आर. वेंकटरमणी और सालिसिटर जनरल तुषार मेहता से मदद मांगी है. कोर्ट ने वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा को मामले में न्यायमित्र नियुक्त किया है.
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19 नवंबर को फिर होगी सुनवाई
बिहार के एक मामले में सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति अर¨वद कुमार और एनवी अंजारिया की पीठ ने बुधवार को ये बातें की. अदालत ने आरोप तय होने में अधिक देरी पर नाराजगी जाहिर की. कोर्ट ने कहा कि ये क्या है. ऐसी स्थिति जारी नहीं रह सकती है. पुलिस द्वारा आरोपपत्र दाखिल होने के बाद जल्द से जल्द आरोप तय होने चाहिए. कोर्ट ने कहा कि मामलों में तीन-चार वर्ष तो सिर्फ और सिर्फ बिंदु तय करने में ही लग जाते हैं. पीठ ने कहा कि एक बार आरोप पत्र दाखिल होने के बाद जल्द से जल्द आरोप तय होने चाहिए. 19 नवंबर को मामले में फिर से सुनवाई होगी.
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60 दिनों के अंदर होनी चाहिए सुनवाई
कोर्ट ने आगे कहा कि अगर कोई आरोपों को चुनौती देकर आरोपमुक्त होता है तो वह अलग बात होगी. पीठ ने कहा कि लगभग पूरे देश में देरी होती है. जबकि बीएनएस में साफ लिखा है कि पहली सुनवाई 60 दिनों के अंदर होनी चाहिए.
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