Court Rules: अदालत में कैसा होना चाहिए आपका व्यवहार, जिससे कंटेप्ट ऑफ कोर्ट से बच जाएं

अदालत में आपको क्या करना है और क्या नहीं, इस बारे में जानते हैं. अगर नहीं तो ये खबर आपके लिए है. हम आपको बताएंगे की अदालत की कार्यवाही में क्या करना चाहिए.

अदालत में आपको क्या करना है और क्या नहीं, इस बारे में जानते हैं. अगर नहीं तो ये खबर आपके लिए है. हम आपको बताएंगे की अदालत की कार्यवाही में क्या करना चाहिए.

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Jalaj Kumar Mishra
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जब भी कोई व्यक्ति अदालत में जाता है तो उसे अदालत की गरिमा का ध्यान रखना होता है. तो उसे खुद को अदालत में अनुशासन में रखता होता है. अगर व्यक्ति ने अदालत में जरा सा भी कुछ ऊंचा-नीचा किया तो उसके लिए उसे बड़ी सजा भुगतना पड़ सकता है. 

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आप भी अगर जज के सामने कभी पेश होते हैं तो ऐसी कुछ गलतियां हैं, जो आपको भूलकर भी नहीं चाहिए. वरना बाद में आपको पछताना पड़ जाएगा. क्योंकि अदालत आपको तब तक सजा सुना चुकी होगी. 

जज से कभी भी न करें बहस

आपको जज से कभी भी बहस या फिर बदतमीजी नहीं करनी चाहिए. आपको कभी भी जज को सीधे तौर पर चुनौती नहीं देनी चाहिए. अगर आप ऐसा करते हैं तो ये कोर्ट की अवमानना यानी कंटेप्ट ऑफ कोर्ट माना जाता है. ऐसा करने पर जज आपको तुरंत जेल या फिर भारी जुर्माना भरने की सजा दे सकते हैं.

झूठी गवाही बिल्कुल न दें

इसके अलावा, आपको अदालत में कभी भी झूठी गवाही नहीं देनी चाहिए. साथ ही आपको फर्जी दस्तावेज भी नहीं दिखाने चाहिए. ऐसा करना परजूरी के दायरे में आता है. आपको ऐसा करने पर 7 साल तक की सजा सुना सुनाई जा सकती है.

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कभी भी जज की बातों को मत काटें

आपको कोर्ट में कभी भी जोर-जोर से नहीं बोलना चाहिए. आपको जज की बातों को बीच में नहीं काटना चाहिए. आपको अदालत में किसी भी वकील या फिर किसी भी गवाह को नहीं धमकाना चाहिए. क्योंकि वे आपको ऐसा करने पर जेल भेजा सकता है.  

फोन का बिल्कुल न करें इस्तेमाल

आपको कोर्ट में कभी भी फोन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. अगर आपका फोन बजता है तो इसे कोर्ट की अवमानना माना जाएगा और आपका फोन जब्त किया जा सकता है. आपको जुर्माना भी भरना पड़ सकता है. 

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अदालत की कार्यवाही में चुप रहना आवश्यक

आपको कोर्ट में बिना अनुमति के बोलना भी नहीं चाहिए. जब तक आपको जज या फिर वकील बोलने के लिए न कहे. आपको अदालत की कार्यवाही के दौरान चुप ही रहना है. बिना अनुमति के बोलना आपके लिए मुसीबत खड़ी कर सकता है.

 

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