RBI MPC Meeting: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की तीन दिवसीय बैठक 7 फरवरी को खत्म हो रही है. आरबीआई इसी दिन रेपो रेट को लेकर अहम ऐलान कर सकती है. ऐसे कायस लगाए जा रहे हैं कि आरबीआई इस बार रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती कर सकती है. ऐसे में आइए जानते हैं कि रेपो रेट क्या होती है और इसका आपके लोन की ईएमआई से क्या कनेक्शन होता है.
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क्या होती है रेपो रेट
एक रिपोर्ट के अनुसार, रेपो रेट वह ब्याज दर होती है, जिस पर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) देश के अन्य बैंकों को कर्ज देता है. जब रेपो रेट में बढ़ोतरी होती है, तो बैंकों को महंगी दर पर कर्ज मिलता है.
वहीं, रेपो रेट में कटौती होने पर बैंकों को सस्ती दर पर RBI से लोन मिल पाता है. बता दें कि फरवरी 2023 से रेपो रेट 6.5 फीसदी पर कायम है. तब से लेकर अबतक आईबीआई ने उसमें कोई बदलाव नहीं किया है.
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रेपो रेट का EMI कनेक्शन
रेपो रेट की परिभाषा से समझा जा सकता है कि इसका आपके लोन की ईएमआई से सीधा कनेक्शन होता है. रेपो रेट में बदलाव से लोन की ईएमआई पर असर पड़ता है यानी EMI घटती या फिर बढ़ती है. रेपो रेट से पर्सनल लोन, ऑटो लोन और होम लोन समेत अन्य सभी बैंकिंग लोन जुड़े हुए होते हैं.
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जब रेपो रेट घटती है तो बैंकों को सस्ती दर पर RBI से लोन मिल पाता है. नतीजतन, बैंक ग्राहकों को लुभाने के लिए उनको कम दर पर लोन ऑफर करती हैं, जिससे उन पर ईएमआई का बोझ कम पड़ता है.
वहीं, अगर रेपो रेट बढ़ती है, तो बैंकों को RBI से महंगी दरों पर कर्ज मिल पाएगा. परिणामस्वरूप, बैंक ग्राहकों को महंगी दर पर लोन देते हैं, जिससे उनको अधिक ईएमआई भरनी पड़ती है.
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