चीन के खिलाफ खुलकर सामने आया भारत, मोदी सरकार की इस पहल से सकते में ड्रैगन
भारत खासकर पीएम मोदी सरकार (Modi Government) भी पहली बार चीन के खिलाफ खुलकर सामने आ गई है. भारत ने भी इस बात की वकालत की है कि कोरोना संक्रमण को लेकर चीन की जवाबदेही तय करने के लिए जांच होनी ही चाहिए.
highlights
- विश्व स्वास्थ्य संगठन की जिनेवा में आज हो रही है बैठक.
- इसमें कोविड-19 संक्रमण की जवाबदेही पर होगी चर्चा.
- चीन को घेरने के लिए भारत भी आया 62 देशों के साथ.
नई दिल्ली:
समग्र विश्व को कोरोना वायरस (Corona Virus) संक्रमण का 'तोहफा' देने वाले चीन (China) के खिलाफ दुनिया के तमाम दिग्गज देश लामबंद होने लगे हैं. अमेरिका (America) के खुलेआम मुखर होने के बाद ऑस्ट्रेलिया और यूरोपीय संघ के सभी देश शी जिनपिंग प्रशासन के खिलाफ मुखर हो गए हैं. इस बीच भारत खासकर पीएम मोदी सरकार (Modi Government) भी पहली बार चीन के खिलाफ खुलकर सामने आ गई है. भारत ने भी इस बात की वकालत की है कि कोरोना संक्रमण को लेकर चीन की जवाबदेही तय करने के लिए जांच होनी ही चाहिए. इसको लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की सोमवार को एक बैठक हो रही है. इस बैठक में कोविड-19 (COVID-19) संक्रमण की जिम्मेदारी तय करने के लिए एक प्रस्ताव लाया जाएगा. ऑस्ट्रेलिया और यूरोपियन यूनियन की अगुआई वाले 62 देशों के इस प्रस्ताव में अब भारत भी शामिल हो गया है.
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सबसे पहले ट्रंप ने किया चीन का विरोध
गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप खुले तौर पर कोरोना संक्रमण के लिए चीन और विश्व स्वास्थ्य संगठन को कठघरे में खड़ा करते आ रहे हैं. ट्रंप का तो साफतौर पर कहना है कि चीन ने अगर कोरोना वायरस लीक कर उसके प्रचार-प्रसार में मदद की, तो विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोविड-19 संक्रमण की सही तस्वीर पूरी दुनिया के सामने नहीं रखी. यही नहीं, ट्रंप और उनके मंत्री साफतौर पर कहते आ रहे हैं कि डब्ल्यूएचओ ने इस पूरे प्रकरण में चीन को बचाने की ही कोशिशें की हैं. इस कड़ी में अमेरिका के बाद ऑस्ट्रेलिया ने भी चीन को कठघरे में खड़ा किया. इसके बाद तो देखते ही देखते चीन औऱ शी जिनपिंग के खिलाफ तमाम अन्य देश भी खड़े हो गए. इनके साथ भारत भी पहली बार चीन के खिलाफ खुलकर खड़ा हो गया.
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फिर डब्ल्यूएचओ को लिया निशाने पर
चीन पर आरोप लगते रहे हैं कि उसने कोविड-19 या कोरोना वायरस के फैलने के बारे में जरूरी जानकारी को शुरूआती समय में छिपाए रखा. यहां तक आरोप लगे कि कोरोना वुहान की प्रयोगशाला में तैयार वायरस के लीक होने से फैला. हालांकि अपने बचाव में बाद में चीन ने तर्क दिया कि जरूरी नहीं कोरोना वायरस चीन में पैदा हुआ हो, यह किसी और देश से भी निकला हो सकता है. इस पूरे मामले में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के महानिदेशक टेड्रोस एधानोम घेब्रेयसस की भूमिका भी सवालों के घेरे में रही है. उन पर आरोप लगते रहे हैं कि वह तब तक मामले को हल्का बताते रहे जबतक कि कोरोना संक्रमण तमाम देशों में नहीं फैल गया.
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डब्ल्यूएचओ को चीन की कठपुतली कह चुके हैं ट्रंप
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) को 'चीन के हाथों की कठपुतली' कह चुके हैं. हाल ही में उन्होंने कहा कि अमेरिका पहले डब्ल्यूएचओ के बारे में जल्द ही कुछ सिफारिशें लेकर आएगा और उसके बाद चीन के बारे में भी ऐसा ही कदम उठाया जाएगा. अमेरिकी राष्ट्रपति ने कोरोना वायरस महामारी पर कहा, 'उन्होंने (डब्ल्यूएचओ) हमें गुमराह किया.' टेड्रोस दरअसल इथियोपिया के मंत्री हैं जिन्हें साल 2017 में चीन की मदद से इस वैश्विक संस्था में चुना गया था. इसी नाराजगी की वजह से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने डब्ल्यूएचओ को फंडिंग रोकने का ऐलान भी कर दिया.
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आज होगी कोविड-19 संक्रमण पर बैठक
गौरतलब है कि जिनेवा स्थित विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुख्यालय में आज होने वाली बैठक में कोरोना संक्रमण को लेकर अपेक्षित पारदर्शिता औऱ जवाबदेही तय करने पर चर्चा होगी. इसी बैठक में चीन का बगैर नाम लिए एक प्रस्ताव रखा जाएगा. इस प्रस्ताव को 62 देशों का समर्थन प्राप्त है. इन देशों में अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, जापान, रूस, बांग्लादेश, कनाडा, इंडोनेशिया, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की जैसे देश शामिल हैं. इन सभी देशों की एक सुर में मांग यही है कि आधुनिक इतिहास में द्वितीय विश्व युद्ध के बाद दुनिया भर को संकट में डालने वाले कोरोना संक्रमण का सच सामने लाया जाए.
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भारत के लिए चीन को घेरने का मौका
अब इस प्रस्ताव के समर्थन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी आकर खड़े हो गए हैं. इसकी एक बड़ी वजह चीन का आक्रामक रवैया है. हालांकि पीएम मोदी जी-20 की बैठक में ही विश्व स्वास्थ्य संगठन की भूमिका पर सवालिया निशान लगा चुके हैं. उस वक्त भी पीएम मोदी ने संगठन की प्रासंगिकता और जवाबदेही तय करने के साथ कामकाज की प्रक्रिया में नए सुधार लाने की वकालत की थी. इसके अलावा हालिया समय में चीन की ओर से कोरोना लॉकडाउन के बीच में भी भारतीय सीमाओं का लगातार उल्लंघन किया जा रहा है. ऐसे में यह प्रस्ताव चीन के खिलाफ विश्व जनमत खड़ा करने का एक बेहतरीन माध्यम है. इसी वजह से भारत ने भी इन 62 देशों के साथ जाने का निर्णय किया है.
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