नए कृषि कानूनों के विरोध में किसान आज देशभर में करेंगे 'चक्का जाम'
देश में नए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों को विरोध थम नहीं रहा है. आज एक बार फिर किसान संगठन बड़ा प्रदर्शन करने जा रहे हैं.
नई दिल्ली:
देश में नए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों को विरोध थम नहीं रहा है. आज एक बार फिर किसान संगठन बड़ा प्रदर्शन करने जा रहे हैं. ऑल इंडिया किसान संघर्ष कोआर्डिनेशन समिति के बैनर तले किसान आज देशभर में चक्का जाम करेंगे. किसान संगठनों ने प्रस्तावित राष्ट्रव्यापी सड़क नाकेबंदी के लिए पूरी तैयारी कर ली है. इस चक्का जाम का सबसे ज्यादा असर पंजाब और हरियाणा में देखने को मिल सकता है. किसान आज दोपहर 12 बजे से शाम 4 बजे तक सड़कों को जाम करेंगे. इसके अलावा किसानों ने 26 और 27 नवंबर को 'दिल्ली चलो' आंदोलन का ऐलान भी किया है.
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उधर, मालगाड़ी सेवा स्थगित करने को लेकर पंजाब कांग्रेस के सांसद आज रेल मंत्री पीयूष गोयल से मिलेंगे. मालगाड़ियों की सेवा स्थगित करने से राज्य में बिजली संकट आ गया है और जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति भी प्रभावित हुई है. कांग्रेस सांसद अमर सिंह, प्रणीत कौर, जसबीर सिंह गिल, संतोख चौधरी, मोहम्मद सादिक, मनीष तिवारी और गुरजीत सिंह औजला आज रेल मंत्री पीयूष गोयल से मिलेंगे.
इससे पहले बुधवार को पंजाब के किसानों की लड़ाई को दिल्ली तक लाने और माल गाड़ियों के निलंबन के चलते राज्य में आपूर्ति के संकट को उजागर करने के लिए पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने जंतर-मंतर पर कांग्रेस सांसदों और विधायकों के साथ धरना दिया. उन्होंने कहा, 'मैंने स्पष्ट किया है कि हमारे किसानों के प्रति केंद्र का रवैया और राज्य के अधिकारों को कम करना सही नहीं है. मुख्यमंत्री के रूप में यह मेरा कर्तव्य है कि मैं अपने राज्य और अपने लोगों के अधिकारों की रक्षा करूं.'
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उल्लेखनीय है कि कृषि कानूनों को लेकर किसान रेल की पटरियों पर प्रदर्शन कर रहे हैं, जिसकी वजह से रेलवे ने मालगाड़ी सेवा स्थगित कर दी है. प्रदर्शन कर रहे किसानों ने कहा था कि वे पांच नवंबर (आज) तक मालगाड़ियों को आने-जाने की इजाजत देंगे. पंजाब के एक किसान संगठन के नेता का कहना है कि राज्य के प्रति केंद्र सरकार का रवैया न केवल किसान विरोधी है, बल्कि पंजाब विरोधी भी है. उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्री मिलने को तैयार नहीं हैं और राष्ट्रपति ने राज्य सरकार के प्रतिनिधियों से मिलने का समय नहीं दिया है.
मालूम हो कि संसद के मानसून सत्र में मोदी सरकार तीन नए विधेयक लेकर आई थी, जिन्हें लोकसभा के बाद राज्यसभा से पास किया गया था. बाद में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने हस्ताक्षर के बाद तीन कृषि विधेयकों ने कानून का रूप ले लिया. मगर संसद की शुरुआत से ही इन तीनों कानूनों का किसान विरोध कर रहे हैं. ये तीनों कानूनों में कृषक उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक 2020 और कृषक (सशक्तीकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020 पर 24 सितंबर को और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020 शामिल हैं.
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