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पहले इस नाम से थी कांग्रेस की पहचान, सोनिया गांधी ने किया ये बदलाव

गांधी- नेहरू परिवार के भरोसे कांग्रेस पार्टी. सबसे ज्यादा एक ही परिवार के लोगों बने अध्यक्ष. आजादी के बाद के केवल 13 गांधी-नेहरू परिवार के बाहर से.

Updated on: 25 Aug 2020, 02:20 PM

नई दिल्ली:

कांग्रेस पार्टी में मौजूदा वक्त में अध्यक्ष पद को लेकर घमासान छिड़ा हुआ है. सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) पार्टी के अंतरिम अध्यक्ष पद से इस्तीफा देना चाहती हैं. सोनिया के इस्तीफे को लेकर कांग्रेस (Congress) पार्टी कई धड़े में बंटा हुआ नजर आ रहा है. एक खेमा सोनिया गांधी के इस्तीफे के साथ नजर आ रहा है. वहीं, दूसरा राहुल गांधी को एक बार फिर यह जिम्मेदारी सौंपने की वकालत कह रहा है. खैर, कांग्रेस में अध्यक्ष पद को लेकर पहली बार कोई ऊपाबोह के हालात नहीं बने है. इससे पहले कांग्रेस टूट चुकी है.

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1998 में ठीक ऐसे ही हालात से गुजरी कांग्रेस

कांग्रेस अध्यक्ष पद को लेकर जिस तरह के हालात है. लगभग वैसी ही हालात 1998 में भी पार्टी के सामने थी. दरअसल, 1991 में राजीव गांधी की मौत के बाद नरसिंह राव और सीताराम केसरी कांग्रेस अध्यक्ष बने थे. हालांकि उन्हें पार्टी में विरोध का भी सामना करना पड़ा था. 1998 के मध्यावधि चुनाव में पार्टी की कमजोर तैयारियों के लिए केसरी को जिम्मेदार ठहराया गया. साथ ही उनके फैसले लेने की शैली ने आर कुमारमंगलम और असलम शेर खान जैसे नेताओं को नाराज कर दिया, जिन्होंने कांग्रेस छोड़ दी. राजीव गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस के कई नेता सोनिया गांधी को सक्रिय राजनीति में लाना चाहते थे, हालांकि सालों तक वे इंकार करती रहीं. सोनिया गांधी पार्टी के हालात देखते हुए 1997 में कोलकाता में पार्टी की प्राथमिक सदस्य बनीं. 14 मार्च 1998 को सोनिया को कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में चुना गया.

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सोनिया ने कांग्रेस पार्टी का नाम बदला 

सोनिया गांधी जब कांग्रेस की अध्यक्ष बनीं उसके बाद उन्होंने कांग्रेस (आर) का नाम फिर से कांग्रेस (आई) कर दिया. दरअसल, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (ओ) टूटी जब इंदिरा गांधी को पार्टी से निष्कासन किया गया था. उसके बाद कांग्रेस पार्टी विभाजित हुई. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (संगठन) को कभी कभी अनौपचारिक रूप से सिंडिकेट और इंदिरा गुट को इंडीकेट कहा जाता था. कामराज और बाद में मोरारजी देसाई कांग्रेस(ओ) के नेता थे.

गांधी परिवार से कांग्रेस अध्यक्ष

कांग्रेस पार्टी की अध्यक्षता सबसे ज्यादा समय तक नेहरू-गांधी परिवार में ही रही. जवाहरलाल नेहरू, उनकी बेटी इंदिरा गांधी, उनके बेटे राजीव गांधी, उनकी पत्नी सोनिया गांधी और फिर उनके बेटे राहुल गांधी के पास रही. सोनिया गांधी 19 सालों तक पार्टी के अध्यक्ष पद पर रहीं और सबसे लंबे कार्यकाल वाली कांग्रेस अध्यक्ष बनीं. हालांकि सत्ता से बेदखली के बाद कई बार ऐसी परिस्थितियां बनी हैं, जिनमें कांग्रेस को अपने ही नेताओं की चुनौती से जूझना पड़ा है. सोनिया गांधी को पहले भी ऐसी ही परिस्थितियों का सामना करना पड़ा है. आइए जानते हैं कि आजादी के बाद गांधी परिवार और उनके अलावा कितने अध्यक्ष रहे हैं.

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व्योमेश चन्‍द्र बनर्जी से लेकर सी. शंकरन नायर तक

व्योमेश चन्‍द्र बनर्जी, 1885 में बम्बई अधिवेशन में कांग्रेस पार्टी के पहले अध्यक्ष बने. 1886 में कलकत्ता अधिवेशन में दादा भाई नौरोजी को कमान मिली.
बदरुद्दीन तैयब को 1887 में मद्रास अधिवेशन में अध्यक्ष बनाया गया. 1888 में इलाहाबाद अधिवेशन के दौरान जॉर्ज यूल. विलियम वेडरबर्न को 1889 में बम्बई अधिवेशन में पद मिला. फिरोजशाह मेहता को 1890 में कलकत्ता अधिवेशन हुआ, जिसमें उनको अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी मिली. 1891 में पी. आनन्द चार्लू को नागपुर अधिवेशन में पद मिला. व्योमेश चन्‍द्र बनर्जी को 1892 में इलाहाबाद अधिवेशन के दौरान दोबारा अध्यक्ष पद सौंपा गया. 1893 में लाहौर अधिवेशन हुआ (जो अब पाकिस्तान में है) जिसमें दादा भाई नौरोजी अध्यक्ष बनें. अल्फ़्रेड बेब 1894 में मद्रास अधिवेशन में पद संभाला. सुरेन्द्रनाथ बनर्जी को 1895 में पूना अधिवेशन को दौरान कमान मिली. रहीमतुल्ला सयानी 1896 में कलकत्ता अधिवेशन में अध्यक्ष बनें. सी. शंकरन नायर 1897 में अमरावती अधिवेशन में कमान मिली.

आनन्द मोहन बोस से लेकर सत्येन्द्र प्रसन्नो सिन्हा

1898 में मद्रास अधिवेशन के दौरान आनन्द मोहन बोस. रमेश चन्द्र दत्त को 1899 में लखनऊ अधिवेशन के दौरान अध्यक्ष बनाया गया. एन.जी. चन्द्रावरकर 1900 में कांग्रेस के अध्यक्ष बने. दिनशा इदुलजी वाचा 1901 में पार्टी की कमान संभाली. 1902 में सुरेन्द्रनाथ बनर्जी. लाल मोहन घोष 1903 में कांग्रेस के अध्यक्ष बने. हैनरी कॉटन 1904 में बम्बई अधिवेशन में अध्यक्ष की कमान सौंपी गई. गोपाल कृष्ण गोखले को 1905 में बनारस अधिवेशन में. दादा भाई नौरोजी 1906 में रास बिहारी घोष 1907 में सूरत अधिवेशन में अध्यक्ष बने. रास बिहारी घोष 1908 में दोबारा मद्रास अधिवेशन में पद फिर सौंपा गया. मदन मोहन मालवीय 1909. विलियम वेडरबर्न को 1910 में, बिशन नारायण धर 1911 में, आर.एन. मुधोलकर 1912, नवाब सैयद मोहम्मद बहादुर 1913, भूपेंद्र नाथ बोस 1914, सत्येन्द्र प्रसन्नो सिन्हा 1915 में अध्यक्ष बनाया गया.

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अम्बिका चरण मज़ूमदार से लेकर अबुलकलाम आजाद

1916 में लखनऊ अधिवेशन में अम्बिका चरण मज़ूमदार, एनी बेसेंट 1917, वहीं मदन मोहन मालवीय को दोबारा 1918 में दिल्ली अधिवेशन में पद सौंपा गया. सैयद हसन इमाम 1918. मोतीलाल नेहरू 1919. लाला लाजपत राय 1920. सी. विजय राघवा चारियर 1920. हकीम अजमल खां 1921. चित्तरंजन दास 1922.
मोहम्मद अली जौहर 1923. अबुलकलाम आजाद 1923 में दिल्ली (विशेष सत्र) में अध्यक्ष बनाया गया. महात्मा गांधी 1924. सरोजिनी नायडू 1925. एस. श्रीनिवास आयंगार 1926. मुख्तार अहमद अंसारी 1927. मोतीलाल नेहरू 1928. जवाहरलाल नेहरू 1929-30. सरदार पटेल 1931. मदन मोहन मालवीय को तीसरी बार 1932 में कांग्रेस अध्यक्ष पद की कमान सौंपी गई. नेली सेनगुप्त 1933. राजेन्द्र प्रसाद 1934-35. जवाहरलाल नेहरू को 1936 में दोबारा अध्यक्ष बनाया गया. फिर जवाहरलाल नेहरू 1936-37 में फैजपुर अधिवेशन में अध्यक्ष चुना गया. सुभाष चंद्र बोस 1938 में. सुभाष चंद्र बोस 1939 में त्रिपुरी अधिवेशन में अध्यक्ष बने रहे. अबुलकलाम आजाद 1940-46 ये सारे कांग्रेस के अध्यक्ष आजादी के पहले चुने गए थे. आजादी के बाद ज्यादातर कांग्रेस अध्यक्ष नेहरू-गांधी परिवार के ही रहे.

आजादी के बाद के अध्यक्ष 

जे. बी. कृपलानी 1947, भोगराजू पट्टाभि सीतारामैया 1948-49, पुरुषोत्तम दास टंडन 1950, जवाहरलाल नेहरू 1951-52 से लेकर 1953-54 तक कांग्रेस के अध्यक्ष थे. उनके बाद यू.एन. ढेबर 1955 से लेकर 1959 तक अध्यक्ष बने रहे. इंदिरा गांधी 1959 में पहली बार कांग्रेस की अध्यक्ष बनीं. उनके बाद नीलम संजीव रेड्डी 1960-63 तक अध्यक्ष पद पर रहे. के. कामराज 1964-67 तक उनका कार्यकाल रहा. एस. निजलिंगप्पा 1968, पी. मेहुल 1969, जगजीवन राम 1970-71, शंकरदयाल शर्मा 1972-74, देवकान्त बरुआ 1975-77 तक कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर रहे.

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इंदिरा गांधी 1978-83 तक कांग्रेस की अध्यक्ष बनीं रहीं. उसके बाद फिर उन्हें कोलकाता अधिवेशन में पार्टी का अध्यक्ष चुन लिया गया. जिनका कार्यकाल 1983-84 तक रहा. राजीव गांधी 1985-91 तक पार्टी के अध्यक्ष पद रहे. पी. वी. नरसिंहराव 1992-96, सीताराम केसरी 1996-98, सोनिया गांधी 1998-2017 जिनके पास कांग्रेस की सबसे ज्यादा दिनों तक कमान रही. राहुल गांधी 2017-2019. अभी फिलहाल, सोनिया गांधी 2019- से अब तक अंतरिम अध्यक्ष पद संभाल रहीं हैं.