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कोर एजेंडों को लागू करते ही बीजेपी के हाथ से फिसलने लगी राज्‍यों की सरकारें, आखिर क्‍यों?

पार्टी की स्‍थापना के बाद से ही बीजेपी के एजेंडे में राम मंदिर, जम्‍मू-कश्‍मीर से अनुच्‍छेद 370 को निष्‍प्रभावी करना और समान नागरिक संहिता सबसे ऊपर थे.

Updated on: 24 Dec 2019, 11:33 AM

नई दिल्‍ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की सरकार जब तक अपने मूल मुद्दों से दूर थी, तब तक उसका विजय अभियान बिहार (Bihar), दिल्‍ली (Delhi) और पंजाब (Punjab) को छोड़कर कई राज्‍यों में जारी रहा. 2014 में केंद्र में सरकार बनने के बाद कई राज्‍यों में बीजेपी (BJP) ने सरकारें बनाईं. हिन्‍दी पट्टी जो बीजेपी का मूल आधार क्षेत्र था, उसे तो बीजेपी ने कब्‍जाया ही साथ ही कई ऐसे राज्‍यों में भी सरकारें बनाईं, जहां कोई सोच भी नहीं सकता था. लेकिन 2019 के आम चुनाव (General Election 2019) में मिली भारी जीत के बाद सत्‍ता में पहले के मुकाबले कहीं अधिक ताकत के साथ लौटी बीजेपी जब अपने मूल मुद्दे पर लौटी और एक के बाद एक बड़े और कड़े फैसले लिए तो उसके बाद हरियाणा (Haryana), महाराष्‍ट्र (Maharashtra) और झारखंड (Jharkhand) में पार्टी को बड़ा झटका लगा है. महाराष्‍ट्र में तो सहयोगी शिवसेना के अड़ियल रवैये के चलते बीजेपी को मुंह की खानी पड़ी, लेकिन हरियाणा में पार्टी का प्रदर्शन पहले के मुकाबले अच्‍छा नहीं रहा और उसे दुष्‍यंत चौटाला की पार्टी के साथ जाकर सरकार बनानी पड़ी. अब झारखंड में भी बीजेपी को सत्‍ता से बाहर होना पड़ा है.

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पार्टी की स्‍थापना के बाद से ही बीजेपी के एजेंडे में राम मंदिर, जम्‍मू-कश्‍मीर से अनुच्‍छेद 370 को निष्‍प्रभावी करना और समान नागरिक संहिता सबसे ऊपर थे. 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्‍व में बनी राजग की सरकार के समय गठबंधन की मजबूरियों के चलते इन मुद्दों को ताक पर रख दिया गया था, लेकिन 2004 के बाद से बीजेपी ने फिर से अपने एजेंडे पर फोकस करना शुरू कर दिया था. 2014 में बनी सरकार में भी बीजेपी ने राज्‍यसभा में बहुमत न होने के कारण इन मुद्दों को नहीं छुआ.

2019 में हुए आम चुनाव में बीजेपी ने शानदार प्रदर्शन किया और 2014 के मुकाबले कहीं अधिक सीटें जीती थीं. 2014 की तरह 2019 में भी विपक्ष बुरी तरह धराशायी हो गया था. सरकार बनने के बाद से ही बीजेपी अपने मूल मुद्दों पर लौटती दिखी. सरकार गठन के तीन महीने बाद ही मोदी सरकार ने 5 अगस्‍त को जम्‍मू-कश्‍मीर से अनुच्‍छेद 370 को निष्‍प्रभावी कर दिया. संसद के उसी सत्र में सरकार तीन ट्रिपल तलाक बिल पास कराकर कानून में तब्‍दील करा लिया.

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उसके बाद सुप्रीम कोर्ट से अयोध्‍या में राम मंदिर बनने के पक्ष में फैसला आ गया. हालांकि यह न्‍यायपालिका का कार्यक्षेत्र था और इसमें मोदी सरकार का कोई रोल नहीं था, लेकिन राम मंदिर के पक्ष में आए फैसले का झारखंड के आम चुनाव में कोई असर नहीं पड़ा. चुनाव अभियान के दौरान बीजेपी के नेताओं ने राम मंदिर मुद्दे को भुनाने की कोशिश भी की थी, लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ.

झारखंड में चुनाव का दौर चल ही रहा था कि मोदी सरकार ने संसद से नागरिकता संशोधन बिल पास करा लिया और राष्‍ट्रपति की मंजूरी के बाद से यह कानून बन गया. नागरिकता बिल भी बीजेपी के कोर एजेंडे में शामिल था और इसे कानून की शक्‍ल देने को बीजेपी बड़ी उपलब्‍धि मान रही थी, लेकिन बिल के कानून बनते ही देशव्‍यापी हिंसा शुरू हो गई, जिसे काबू में करने के लिए सरकारों को कड़ी मशक्‍कत करनी पड़ी. संसद में इस बिल पर बहस के दौरान गृह मंत्री अमित शाह द्वारा एनआरसी को लेकर दिए गए बयान को विपक्षी दलों ने मुद्दा बना लिया और दिल्‍ली सहित देश के कई शहरों में विरोध प्रदर्शन किए गए.

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इन आंदोलनों से विचलित हुए बिना मोदी सरकार अब आगे धर्मांतरण पर कानून बनाने की बात कर रही है. देशव्‍यापी एनआरसी लाए जाने की वकालत चल रही है. जाहिर है मोदी सरकार अपने दूसरे कार्यकाल में बीजेपी के सभी कोर एजेंडे को लागू करना चाहती है. जबकि विपक्ष बेरोजगारी, अर्थव्‍यवस्‍था में गिरावट और लोगों को बांटने का आरोप लगाकर हमला कर रही है. विरोध, हिंसा, आगजनी, पथराव, आरोपों से बेअसर मोदी सरकार लगातार बीजेपी के कोर एजेंडे को लागू करने की फिराक में है, लेकिन उसे यह भी सोचना होगा कि मूल एजेंडे को लागू करने के बाद भी एक के बाद एक राज्‍य कैसे उसके हाथ से फिसलते जा रहे हैं.