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पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह Photograph: (News Nation)
Former PM Manmohan Singh News: देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सादगी बेमिसाल थी. वे सेवा और समर्पण की मिसाल थे. उनकी ईमानदारी और सादा जीवन से जुड़े ऐसे कई किस्से हैं, जो आज भी लोगों को हैरान करते हैं. पूर्व पीएम मनमोहन सिंह का जब भी इतिहास लिखा जाएगा. तब उनकी उपलब्धियों के अलावा उनकी शालीनता और विनम्रता का भी जिक्र जरूर होगा. आइए उनकी बेमिसाल सादगी के अनसुन किस्से जानते हैं. ये किस्से आपके दिल को छू लेंगे.
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कम शब्दों में कह देते थे बड़ी से बड़ी बात
पूर्व पीएम मनमोहन सिंह सियासत की पथरीली राहों के एक ऐसे राहगीर थे, जिनकी पहचान सौम्यता और विनम्रता थी. वे बड़ी से बड़ी बात भी बेहद कम शब्दों में कह जाते थे. उनका अंदाज बेहद नपा तुला और सीधा होता था. सड़क हो या संसद उन्होंने तल्ख राजनीति माहौल में ना तो किसी को ललकारा ना दुत्कारा.
तीन दशक से ज्यादा रहे राज्यसभा सदस्य
मनमोहन सिंह तीन दशक से ज्यादा वक्त तक राज्यसभा के सदस्य रहे, लेकिन कभी भी संसदीय परंपरा को उन्होंने तार-तार नहीं होने दिया. हकीकत में उनके सरल और सुलझे व्यक्तित्व ने संसद को और भी समृद्ध ही किया, इसलिए जब इस साल फरवरी में जब राज्यसभा से उनकी विदाई हो रही थी. तब पीएम मोदी उनके व्यक्तित्व की जमकर तारीफ कर रहे थे.
जब इस्तीफा देने पर अड़ गए थे मनमोहन
एक किस्सा साल 1992 का है. जब देश के वित्त मंत्री तौर पर उन्होंने संसद में अपना पहला बजट पेश किया. तब उनके बजट भाषण को विपक्ष के नेता अटल बिहारी वाजपेयी ने कड़ी आलोचना की. मनमोहन सिंह राजनीति में नए-नए थे. तारीफ और निंदा से दूर रहते थे. लिहाजा उनके कोमल मन को अटल बिहारी वाजपेयी की आलोचना ने कचोट दिया. आहत मनमोहन सिंह ने तुरंत वित्त मंत्री के पद से इस्तीफा देने का फैसला कर लिया.
जब इसकी भनक तत्कालीन प्रधानमंत्री नरमिम्हा राव को लगी, तो वे अटल बिहारी वाजपेयी के पास पहुंच गए और उनसे मनमोहन सिंह को मनाने के लिए अनुरोध किया. अटल बिहारी वाजपेयी समझ गए. वे तुरंत मनमोहन सिंह के पास पहुंचे और कहा कि विपक्ष की आलोचना को व्यक्तिगत तौर पर नहीं लेना चाहिए, क्योंकि विपक्ष का काम ही आलोचना होता है. मनमोहन सिंह मान गए और उन्होंने इस्तीफे का फैसला बदल लिया.
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अपनी मारुति 800 कार से था लगाव
मनमोहन सिंह की सादगी का एक किस्सा यूपी सरकार के मंत्री असीम अरुण ने सोशल मीडिया पर शेयर किया. तब असीम अरुण SPG का हिस्सा हुआ करते थे और वे मनमोहन सिंह की सुरक्षा में तैनात थे. असीम अरुण लिखते हैं, ‘मनमोहन सिंह के पास एक ही कार थी मारुति 800 जो चमचमाती बीएमडब्ल्यू के पीछे खड़ी रहती थी. तब मनमोहन सिंह कहते- असीम, मुझे BMW कार में चलना पसंद नहीं. मेरी गड्डी तो यही मारूति 800 है. जब उनका कारकेड मारुति के सामने से निकलता तो वे हमेशा मन भर उसे देखते. जैसे संकल्प दोहरा रहे हो कि मैं मिडिल क्लास व्यक्ति हूं और आम आदमी की चिंता करना मेरा काम है. करोड़ों की गाड़ी पीएम की है, मेरी तो यह मारुति है.’
बिना शोर मचाए बदलाव में था यकीन
मनोहन सिंह सादगी पसंद इंसान थे. विवादों से दूर रहते थे. हर दिन 16-17 घंटे काम करते. सैकड़ों फाइलों को निपटाते, लेकिन स्वभाव शांत था. शायद इसलिए भी उन्हें एक कमजोर नेता के तौर पर देखा गया, लेकिन हकीकत में बिना शोर मचाए उन्हें बदलाव करने में यकीन था.
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