अनुच्छेद 370 मामले में क्या संविधान की रक्षा करने में रहे विफल? पूर्व CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने दिया ये जवाब

Former CJI On Article 370: पूर्व सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि, ‘अनुच्छेद 370 संविधान बनने के साथ ही शामिल किया गया था और ट्रांजीशन प्रोविजंस शीर्षक अध्याय का हिस्सा था.’

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Ajay Bhartia
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Former CJI DY Chandrachud

पूर्व सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ Photograph: (Social Media)

Former CJI On Article 370: अनुच्छेद 370 को लेकर लिए गए फैसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायधीश डीवीआई चंद्रचूड़ ने अपना रुख रखा है. बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में पूर्व सीजेआई चंद्रचूड़ ने आर्टिकल 370 को लेकर डिटेल में अपनी बात रखी. एक सवाल के जवाब में पूर्व सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि आर्टिकल 370 केस में फैसला सुनाने वाले जज के रूप में उनको अपने खुद के फैसलों का बचाव और आलोचना करने से बचना चाहिए. हालांकि, आइए जानते हैं कि उन्होंने आर्टिकिल 370 हटाए जाने के फैसले को वैध करार दिए जाने को लेकर क्या कहा.

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‘संविधान की रक्षा करने में विफल रहे?’

बीबीसी संवाददाता सैकर ने इंटरव्यू में आर्टिकल 370 को लेकर पूर्व सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ से अहम सवाल किया. उन्होंने पूर्व सीजीआई चंद्रचूड़ से पूछा, ‘अनुच्छेद 370 पर सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने जो फैसला दिया उसकी कई कानूनविदों ने आलोचना की और कहा था कि जस्टिस चंद्रचूड़ संविधान की रक्षा करने में विफल रहे?’ इस सवाल का जवाब पूर्व सीजेआई चंद्रचूड़ ने बेबाकी से दिया. 

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‘अनुच्छेद 370 ट्रांजीशन प्रोविजंस था’

पूर्व सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि, ‘अनुच्छेद 370 संविधान बनने के साथ ही शामिल किया गया था और ट्रांजीशन प्रोविजंस शीर्षक अध्याय का हिस्सा था.’ उन्होंने आगे कहा, ‘बाद में इसका नाम बदलकर टेंपरेरी ट्रांजिशनल प्रोविजंस किया गया. माना गया था कि ये धीरे-धीरे खत्म हो जाएगें. क्या 75 साल कम होते हैं ट्रांजिशनल प्रोविजंस को खत्म करने के लिए?’. उन्होंने कहा, ‘अब वहां (जम्मू-कश्मीर में) लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार है और वहां एक ऐसी पार्टी को शांतिपूर्वक सत्ता हस्तांतरित हुई जो केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी से अलग है. यह साफ दिखाता है कि जम्मू कश्मीर में लोकतंत्र सफल हुआ है.’

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मोदी सरकार ने 370 को JK से हटाया

जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 को हटाना मोदी सरकार के बड़े फैसलों में से एक है. 5 अगस्त 2019 को मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 से हटा दिया था. आर्टिकल 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को स्पेशल स्टेटस प्राप्त था. बाद में, मोदी सरकार के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई. साल 2023 में डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की पीठ ने सरकार के इस फैसले को बरकरार रखा. नतीजतन, जम्मू-कश्मीर के पूर्ण राज्य का दो केंद्र शासित प्रदेशों में पुनर्गठन हुआ और इसके विशेषाधिकार समाप्त हो गए. 

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