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antnio guterres( Photo Credit : फाइल फोटो)
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antnio guterres( Photo Credit : फाइल फोटो)
एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र महासभा (UN General Assembly) में आतंकवादी का मुद्दा उठा है और आतंकवाद का नाम आए और पाकिस्तान (Pakistan) का नाम न आए, ऐसा हो नहीं सकता. एफएटीएफ (FATF) ने पाकिस्तान को फिर से ग्रे लिस्ट में डाल दिया है, हालांकि उसे अभी काली सूची में नहीं डाला गया है, लेकिन इस बीच संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटिरेज (UN Secretary-General Antonio Gutierrez) ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को साफ संकेत दे दिए हैं कि वे अपने ही देश में अपने ही सामने पनप रहे आतंक के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें नहीं तो ठीक नहीं होगा.
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पता चला है कि संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेजा के प्रवक्ता की ओर से साफ कर दिया है कि वह सभी सदस्य देशेां से आतंकवाद के मुद्दे पर एकजुट होकर सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के तहत अपने दायित्वों को निभाने की उम्मीद करते हैं.
अभी एक दिन पहले ही एफएटीएफ की ओर से जो नई सूची जारी की गई है, उसमें अभी भी पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में ही डाला गया है. पता चला है कि पाकिस्तान ने लश्कर ए तैयबा और जैश ए मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों की मदद में कोई कमी नहीं की है, लेकिन पाकिस्तान को अभी काली सूची में नहीं डाला गया है. इस बीच गुरुवार को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि पाकिस्तान को एफएटीएफ की ग्रे सूची में फिर से होना, हमारी स्थिति को बताता है. उन्होंने साफ तौर पर कहा कि इससे समझा जा सकता है कि पाकिस्तान ने आतंक के खिलाफ ठीक तरीके से लड़ाई नहीं की.
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आपको बता दें कि अमेरिका ने बुधवार को ही कहा था कि पाकिस्तान ने 2019 में आतंकवाद के वित्त पोषण को रोकने और उस साल फरवरी में हुए पुलवामा हमले के बाद बड़े पैमाने पर हमलों को रोकने के लिए भारत केंद्रित आतंकवादी समूहों के खिलाफ मामूली कदम उठाए, लेकिन वह अब भी क्षेत्र में सक्रिय आतंकवादी समूहों के लिए सुरक्षित पनाहगाह बना हुआ है. विदेश मंत्रालय ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से पाकिस्तान को दी जाने वाली अमेरिकी सहायता पर जनवरी 2018 में लगाई गई रोक 2019 में भी प्रभावी रही. उसने कहा कि पाकिस्तान ने आतंकववाद के वित्त पोषण को रोकने और जैश ए मोहम्मद द्वारा पिछले साल फरवरी में जम्मू कश्मीर में भारतीय सुरक्षा बलों के काफिले पर किए गए आतंकी हमले के बाद बड़े पैमाने पर हमले से भारत केंद्रित आतंकी संगठनों को रोकने के लिए 2019 में मामूली कदम उठाए.
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आतंकवाद पर देश की संसदीय-अधिकार प्राप्त समिति की वार्षिक रिपोर्ट 2019 में विदेश मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तान ने आतंकवाद के वित्त पोषण के तीन अलग मामलों में लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद को दोषी ठहराने समेत कुछ बाह्य केंद्रित समूहों के खिलाफ कार्रवाई की. मंत्रालय ने कहा, हालांकि, पाकिस्तान क्षेत्र में केंद्रित अन्य आतंकवादी संगठनों के लिये सुरक्षित पनाहगाह बना हुआ है. रिपोर्ट में कहा गया कि वह अफगान तालिबान और संबद्ध हक्कानी नेटवर्क को अपनी जमीन से संचालन की इजाजत देता है जो अफगानिस्तान को निशाना बनाते हैं, इसी तरह वो भारत को निशाना बनाने वाले लश्कर-ए-तैयबा और उससे संबद्ध अग्रिम संगठनों और जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादियों को अपनी जमीन का इस्तेमाल करने देता है. विदेश मंत्रालय ने आरोप लगाया, उसने अन्य ज्ञात आतंकवादियों जैसे जैश-ए-मोहम्मद के संस्थापक और संरा द्वारा घोषित आतंकवादी मसूद अजहर और 2008 के मुंबई हमलों के ‘प्रोजेक्ट मैनेजर’ साजिद मीर के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जिनके बारे में माना जाता है कि वे पाकिस्तान में खुले घूम रहे हैं.
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अफगानिस्तान शांति प्रक्रिया में हालांकि पाकिस्तान ने कुछ सकारात्मक योगदान किया है, जिसमें तालिबान को हिंसा कम करने के लिए उकसाना शामिल है. पाकिस्तान ने एफएटीएफ के लिए जरूरी कार्ययोजना की दिशा में कुछ प्रगति की है जिससे वह काली सूची में डाले जाने से बच गया, लेकिन 2019 में उसने कार्ययोजना के सभी बिंदुओं पर पूरी तरह अमल नहीं किया. रिपोर्ट के मुताबिक अफगानिस्तान और पाकिस्तान में अलकायदा का प्रभाव काफी हद तक कम हुआ है लेकिन संगठन के वैश्विक नेताओं और उससे संबद्ध भारतीय उपमहाद्वीप में अल-कायदा (एक्यूआईएस) लगातार उन सुदूरवर्ती इलाकों से अपनी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं जो ऐतिहासिक रूप से उनके सुरक्षित पनाहगाह के तौर पर काम करते रहे हैं.
इसी बीच पता चला है कि संयुक्त राष्ट्र महासचिव के प्रवक्ता स्टीफन दुजार्रिक ने कहा है कि जाहिर है सैद्धांतिक तौर पर सभी सदस्य देशों के तौर पर हम यह उम्मीद करते हैं कि वे संयुक्त राष्ट्र प्रस्तावना या सुरक्षा परिषद के फैसले का पालन करें. अंतिम गणना के अनुसार संयुक्त राष्ट्र के 1267 प्रतिबंधत की सूची में से 130 संस्थाएं पाकिस्तान की हैं. इस बात को भी माना गया कि इस्लामबाद ने उनमें से ज्यादातर के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की.
(एजेंसी इनपुट)
Source : News Nation Bureau