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भारतीय मूल की अमेरिकी सांसदों का विरोध, कहा- ट्रंप का शरणार्थियों पर बैन सुरक्षा की गारंटी नहीं

भारतीय मूल के अमेरिकी सांसदों ने ट्रंप सरकार के शरणार्थियों पर प्रतिबंध लगाने के फैसले का विरोध किया है।

Updated on: 07 Mar 2017, 02:07 PM

नई दिल्ली:

भारतीय मूल के अमेरिकी सांसदों ने ट्रंप सरकार के शरणार्थियों पर प्रतिबंध लगाने के फैसले का विरोध किया है। उनका कहना है कि अस्थाई तौर पर 6 मुस्लिम देशों के नागरिकों पर प्रतिबंध लगाने से अमेरिका सुरक्षित नहीं हो जाएगा। ट्रंप ने एक नई सूची को मंजूरी दी है जिसमें ईराक को शामिल नहीं किया गया है। 

कैलिफोर्निया की सिनेटर कमला हैरिस ने कहा है, "गलती मत करिये, ये प्रतिबंध हमे सुरक्षित नहीं कर सकता। ये फैसला अमेरिकी नागरिकों के जीवन को खतरे में डालेगा और अमेरिका में रह रहे मुस्लिम समुदाय को अलग-थलग करेगा। जबकि हमें जरूरत है कि हम घर में पनप रहे आतंकवाद ससे निपटने की है। जो भी हो ये फैसला अनैतिक है और पूरी तरह से अमेरिकी मूल्यों के खिलाफ है।"

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हैरिस के अलावा राजा कृष्णामूर्ति, रो खन्ना, प्रमिला जयपाल और एमि बेरा एसी महिला सांसद हैं जो पहली बार चुनी गई हैं।

हैरिस ने कहा, 'हालांकि मैं ईराक को प्रतिबंधित देशों की सूची से बाहर किये जाने का स्वागत करती हूं, लेकिन राष्ट्रपति को ये प्रमाणित करना होगा कि बाकी के 6 देशों के शरणार्थियों से अमेरिका की सुरक्ष का किस तरह का खतरा है।'

उन्होंने कहा, 'एक देश को सूची से बाहर करने से अमेरिका के नागरिकों को ये वृनहीं बताया जा सकता है कि शरणार्थियों पर प्रतिबंध को उचित नहीं ठहराया जा सकता।'

उन्होंने कहा कि अमेरिका की सरकार को एक महीने से ज्यादा समय लगा है इस फैसले को सही ठहराने में, लेकिन सही नही ठहराया जा सका है।

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जयपाल ने कहा, ' नए आदेश से साबित होता है कि ट्रंप सरकार का फैसला पूरी सरह से असंवैधानिक था और इसे बिना तैयारी के लागू किया गया थआ।'

उन्होंने कहा, 'नया आदेश बताता है कि हमें वीसा का सम्मान करना चाहिये। उन्हें ये वीसा पूरी तफ्तीश के बाद दिया गया है।'

एमी बेरा ने कहा कि सीरिया, यमन, लीबिया, सूडान, सोमालिया और ईरान से आ रहे शरणार्थियों पर प्रतिबंध साबित करता है कि वो एक समुदाय विशेष को लक्ष्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा, 'इससे हमारी सुरक्षा बढ़ने के बजाय और ज्यादा खतरे में होगी।'

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बेरा फारेन अफेयर्स समिति की उप सदस्य है। उन्होंने कहा, ' एक अमेरिकी होने के नाते हमें किसी के लिये दरवाज़ बंद नहीं करना चाहिये। ऐसा करना अमेरिकी मूल्यों के खिलाफ है।'

अमेरिकी कांग्रेस की सदस्य रो खन्ना ने कहा, 'दोबारा लिया गया ट्रंप सरकार का ये फैसला एक तरह से असंवैधानिक नीति को फिर से लागू करने की कोशिश है..... इससे हमारी आतंकवाद से लड़ने की नीति कमजोर होगी।'
उन्होंने कहा कि अदालत ने ट्रंप के इस फैसले का खारिज किया था। उन्हें इस फैसले को दोबारा खारिज कर देना चाहिये।

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