कोरोना वायरस के खतरे के प्रति सबसे पहले आगाह करने और इस बात को लेकर सजा पाने वाले एक डॉक्टर की मौत से चीन में राजनीतिक सुधार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की मांग उठने लगी है. वुहान के एक नेत्र चिकित्सक ली वेनलियांग की शुक्रवार को मौत हो गई जिन्होंने एक महीने पहले सार्स जैसे विषाणु के बारे में खुलासा किया था. गौरतलब है कि ली (34) उन आठ चिकित्सकों में एक थे जिन्हें वुहान पुलिस ने कोरोना वायरस के संबंध में “अफवाह फैलाने” के लिए दंडित किया था.
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ली की मौत के बाद अकादमिक जगत से जुड़े कई लोगों ने चीन में और आजादी की मांग की है. ली की मौत के बाद अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की मांग करते हुए कम से कम दो खुले पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं जिनमें से एक पत्र पर वुहान के दस प्रोफेसरों ने हस्ताक्षर किए हैं. चीन में ट्विटर जैसी सोशल मीडिया वेबसाइट ‘वीबो’ पर इस पत्र को सेंसर किया गया है जिसमें लिखा है कि वेन लियांग के प्रयासों ने “देश और समाज के हित को बरकरार रखने” का काम किया. इस पत्र में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश को हटाने और डॉ वेन लियांग समेत उन सात अन्य चिकित्सकों से खुलकर माफी मांगने की मांग की गई है जिन्हें दिसंबर में विषाणु के खतरे के प्रति आगाह करने के लिए दंडित किया गया था.
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बीजिंग के प्रख्यात शिंहुआ विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रों के एक अनाम समूह द्वारा हस्ताक्षरित एक अन्य पत्र में नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों को गारंटी देने की मांग उठायी गई है. पत्र में कहा गया है, “हम राजनीतिक सुरक्षा को शीर्ष प्राथमिकता देने का दृढ़ता से विरोध करते हैं. यह किसी छोटे संगठन का बहुत ही स्वार्थी लक्ष्य है.” ये पत्र चीन में राजनीतिक सुधार के दुर्लभ आह्वान हैं जहां सरकार से असहमति जताने वालों को जेल भेज दिया जाता है. रविवार को वीबो से इन पत्र का हवाला देने वाले कई अंशों को हटा दिया गया है. एएफपी यश राजकुमार राजकुमार
Source : Bhasha