चीन अपनी सैन्य ताकत को दिन पर दिन मजबूत कर रहा है. चीन ने हाइपरसोनिक मिसाइल का परीक्षण कर दुनिया में तहलका मचा दिया है. आपको बता दें कि यह हथियार अंतरिक्ष से एक साथ कई ठिकानों पर परमाणु बम की बारिश करने में सक्षम है. अब चीनी सेना स्ट्रैटजिक बॉम्बर, स्टील्थ फाइटर जेट, युद्धपोत सहित कई तरह के आधुनिक हथियार भी विकसित कर रही है. पिछले साल ही अमेरिका को पछाड़कर चीन ने नौसेना के मामले में पहला स्थान हांसिल किया है. थलसेना की बात करें तो थलसेना में भी संख्या के मामले में चीन दुनिया में नंबर वन है.
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आपको बता दें कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग के कार्यकाल में चीनी सेना ज्यादा आक्रमक हो गई है. भारत, ताइवान और अमेरिका के साथ चीन का विवाद बढ़ते तनाव का एक उदाहरण है. एक रिपोर्ट की मानें तो चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी दुनिया की सबसे बड़ी सेना है. साल 2021 में चीनी सेना में सूचीबद्ध कर्मचारियों की कुल संख्या 2,185,000 है. आपको बता दें कि चीनी सैन्य कर्मियों को पांच सैन्य शाखाओं में बांटा गया है, जिनमें ग्राउंड फोर्स, नेवी, एयर फोर्स, रॉकेट फोर्स और स्ट्रैटेजिक सपोर्ट फोर्स शामिल हैं.
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इस वक्त चीनी नौसेना में जितने युद्धपोत और पनडुब्बियां शामिल हैं, उतनी तो अमेरिका के पास भी नहीं है. इस वक्त चीन काफी तेजी से अपनी नौसेना के लिए युद्धपोत और पनडुब्बियों का निर्माण कर रहा है. 62 पनडुब्बियों में 7 परमाणु शक्ति से चलती हैं. ऐसे में पारंपरिक ईंधन के रूप में भी उसे अब ज्यादा खर्च नहीं करना पड़ रहा है. साल 2015 में चीनी नौसेना ने अपनी ताकत को अमेरिकी नौसेना के बराबर करने के लिए एक बड़ा अभियान चलाया था.
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इस वक्त अमेरिका और चीन में ताइवान समेत कई मुद्दों को लेकर विवाद चरम पर है. आए दिन यूएस नेवी के युद्धपोत और एयरक्राफ्ट कैरियर चीन के नजदीक पहुंचते हैं. ताइवान पर खतरे को देखते हुए अमेरिका ने अपने एयरक्राफ्ट कैरियर को साउथ चाइना सी में तैनात कर रखा है. ऐसे में चीनी नेवी की इस कैरियर किलर हाइपरसोनिक मिसाइल से अमेरिकी नेवी को खतरा हो सकता है.