Hindenburg Research Shuts Down: भारतीय उद्योगपति गौतम अडानी मामले से चर्चा में आई अमेरिकी शार्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च पर ताला लग गया है. कंपनी के फाउंडर नेट एंडरसन ने इसे बंद करने की घोषणा की है. बता दें कि हिंडनबर्ग रिसर्च वहीं कंपनी है जिसकी एक रिपोर्ट से अडानी समूह के शेयरों में भारी गिरावट आई थी और निवेशों को भारी नुकसान उठाना पड़ा था. हिंडनबर्ग की ये रिपोर्ट जनवरी 2023 में जारी की गई थी. इस रिपोर्ट के बाद अडानी समूह के शेयरों में जबरदस्त गिरावट देखने को मिली थी.
जानें क्यों बंद हुई हिंडनबर्ग रिसर्च
हिंडनबर्ग रिसर्च के फाउंडर नेट एंडरसन ने एक बयान जारी कर कंपनी को बंद करने का एलान किया. उन्होंने अपने बयान में कहा कि, 'मैंने पिछले साल के आखिर में परिवार, दोस्तों और हमारी टीम के साथ साझा किया था कि मैंने हिंडनबर्ग रिसर्च को भंग करने का निर्णय लिया है." एंडरसन ने कहा कि, "इंवेस्टिगेटिव आईडिया की अपनी पाइपलाइन को पूरा करने के बाद कंपनी को बंद करने का विचार था. हिंडनबर्ग रिसर्च ने हाल ही में पोंजी स्कीमों से जुड़े अपनी अंतिम प्रोजेक्ट्स को पूरा किया था जिसके साथ उसकी गतिविधि पर विराम लग गया है."
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अडानी समूह पर लगा था धोखाधड़ी का आरोप
बता दें कि अमेरिकी कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च एलएलसी (Hindenburg Research LLC) ने जनवरी 2023 में अडानी समूह के स्टॉक में शार्ट सेलिंग का दावा किया था. जिसमें कहा गया था कि अडानी समूह के स्टॉक्स अपनी उचित वैल्यूएशन से 85 फीसदी महंगे हैं. यही नहीं हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी समूह पर मार्केट मैनिपुलेशन और अकाउंटिंग फ्रॉड का भी आरोप लगाया था.
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इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद अडानी समूह के शेयरों में भारी गिरावट देखने को मिली थी. इसके बाद अडानी समूह के शेयरों का मार्केट कैप 10 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा गिर गया. इसके साथ ही अडानी इंटरप्राइजेज का 20,000 करोड़ रुपये का फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर (FPO) को भी रद्द कर दिया गया था.
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अडानी समूह ने किया था आरोपों का खंडन
हिंडनबर्गी रिसर्च की रिपोर्ट सामने आने के बाद अडानी समूह ने इसका खंडन भी किया था. अडानी समूह ने कहा था कि, 'हम हिंडनबर्ग रिसर्च की छपी रिपोर्ट से हैरान हैं क्योंकि उन्होंने हमसे बिना संपर्क किए या फिर सही तथ्यों को वेरिफाई किए बिना ही इस रिपोर्ट को जारी किया है. अडानी समूह ने कहा था कि, 'ये रिपोर्ट चुनिंदा गलत सूचनाओं और बासी, निराधार और बदनाम करने वाले आरोपों का एक दुर्भावनापूर्ण मिश्रण है जिसे भारत के उच्चतम न्यायालयों में परखा गया है और उसे कोर्ट द्वारा खारिज किया जा चुका है.' इसके साथ ही अडानी समूह ने इस रिपोर्ट की टाइमिंग पर भी सवाल उठाए थे.