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Pakistan (File Photo)
नागरिकता संशोधन कानून यानी सीएए में केंद्र सरकार ने संशोधन किया है. पहले इस कानून में 31 दिसंबर 2014 की कट-ऑफ तारीख तय थी. लेकिन इसे बढ़ाकर अब 31 दिसंबर 2024 कर दिया है. इससे उन अल्पसंख्यक लोगों को राहत मिलेगी, 2024 तक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में उत्पीड़न के वजह से भारत आए हैं.
इस कानून के तहत हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख, ईसाई और पारसी समुदाय के लोग लाभान्वित हो सकते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि पाकिस्तान में एक मुस्लिम समुदाय ऐसा है, जिसे अल्पसंख्यक माना जाता है. आइये जानते है, इसके बारे में…
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क्या अहमदिया मुस्लिम को मिलेगा अधिकार?
अहमदिया मुस्लिमों को पाकिस्तान में गैर मुस्लिम कहा जाता है. पाकिस्तान में अहमदियों को आधिकारिक तौर पर मुस्लिम मानने से मना किया गया है. अहमदिया समुदाय पर पाकिस्तान में लंबे वक्त से सामाजिक और धार्मिक भेदभाव किया जा रहा है. पाकिस्तानी सरकार अहमदियों को गैर मुस्लिम कहती है, जिस वजह से वे मुस्लिम होकर भी अल्पसंख्यक माने जाते हैं.
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क्या सीएए के तहत अहमदियों को भी मिल सकती है नागरिकता
ऐसे में एक सवाल आता है कि अगर पाकिस्तान में अमहदियों को गैर मुस्लिम माना जाता है तो क्या उन्हें भी भारत में नागरिकता या बिना दस्तावेज भारत में रहने की अनुमति मिल सकती है. दरअसल, सीएए में मुस्लिम समुदाय को शामिल नहीं किया गया है. क्योंकि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में मुस्लिम बहुसंख्यक हैं इसलिए वहां के मुस्लिमों का धार्मिक रूप से उत्पीड़न नहीं हो सकता है.
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बता दें, कानून में कहीं भी अहमदिया मुसलमानों का जिक्र नहीं है. कानून में साफ-साफ कहा गया है कि ये कानून सिर्फ छह धर्मों के अनुयायियों पर ही लागू होता है. इसलिए पाकिस्तान में अल्पसंख्यक और गैर मुस्लिम का दर्जा प्राप्त अहमदिया मुसलमान सीएए के दायरे में नहीं आते हैं.
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