अखिलेश ने कहा, 'अपनों को बचाने के लिए लेने पड़ते हैं कड़े फैसले', अब 'साइकिल' पर दावेदारी के लिए EC के पास जा सकते हैं सीएम और मुलायम
अखिलेश और मुलायम दोनों ही पार्टी के मौजूदा चुनाव चिन्ह 'साइकिल' पर अपनी दावेदारी के लिए चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटा सकते हैं।
highlights
- अखिलेश यादव ने सपा के अध्यक्ष पद से अपने पिता मुलायम को किया बेदखल
- मुलायम सिंह और अखिलेश पार्टी चिन्ह 'साइकिल' के लिए EC जा सकते हैं
- मुलायम गुट ने रामगोपाल, नरेश अग्रवाल और किरणमय को पार्टी से निकाला
नई दिल्ली:
मुलायम सिंह यादव की बनाई समाजवादी पार्टी नए साल में नए कलेवर में उभरी है जहां, मुख्यमंत्री बेटे अखिलेश यादव ने अपने पिता और चाचा को बेदखल कर पार्टी की कमान अपने हाथ में होने का दावा किया। रविवार को राष्ट्रीय महासचिव प्रो. राम गोपाल यादव की ओर से बुलाए गए आपातकालीन राष्ट्रीय प्रतिनिधि सम्मेलन में 4 प्रस्ताव पारित करते हुए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित किया।
देर रात मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ट्वीट कर कहा, 'कभी-कभी अपने अजीजों को बचाने के लिए आपको सही फैसले लेने होते हैं।'
वहीं मुलायम सिंह यादव और उनके भाई शिवपाल यादव ने अखिलेश-रामगोपाल के फैसले को असंवैधानिक बताया है। मुलायम सिंह यादव ने 5 जनवरी को राष्ट्रीय अधिवेशन बुलाया है। समाजवादी पार्टी का पारिवारिक 'दंगल' अब 'कानूनी लड़ाई' बनने जा रही है।
Sometimes to protect the ones u love u must make right decision.What I did today was a tough decision but 1 tht I had to take:Akhilesh Yadav
— ANI UP (@ANINewsUP) January 1, 2017
अखिलेश और मुलायम दोनों ही पार्टी के मौजूदा चुनाव चिन्ह 'साइकिल' पर अपनी दावेदारी के लिए चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटा सकते हैं। सूत्रों ने कहा, 'अखिलेश गुट के विरोध में शिवपाल यादव सोमवार को चुनाव आयोग जाएंगे और साइकिल चुनाव चिन्ह पर अपना दावा ठोकेंगे।'
खबर यह भी है कि मुलायम-शिवपाल सोमवार को दिल्ली आएंगे। सूत्रों के अनुसार मुलायम ने चुनाव आयोग को चिट्ठी लिखी है।
हालांकि पत्रकारों के लिए बुलाए गए डिनर पार्टी में शिवपाल यादव ने इस खबर को खारिज किया। उन्होंने अनौपचारिक बातचीत में कहा, 'वो चुनाव आयोग नहीं जायेंगे। 5 जनवरी तक इंतजार कीजिए, फैसला हो जायेगा। साइकिल चुनाव चिन्ह हमारा है।' शिवपाल ने कहा कि वह मरते दम तक मुलायम के साथ हैं।
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यूपी की सियासत में अब बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है कि समाजवादी पार्टी की फिलहाल किसके पास है? दिन भर अखिलेश यादव और राम गोपाल अपने स्तर पर फैसले लेते रहे तो, वहीं उससे अलग मुलायम और शिवपाल अपना आदेश पारित करते रहे।
राम गोपाल, नरेश अग्रवाल और किरणमय पार्टी से आउट
समाजवादी पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश के फैसले पर सख्ती बरतते हुए रविवार के अधिवेशन को बुलाने वाले प्रो. राम गोपाल को एक बार फिर से छह वर्ष के लिए पार्टी से बाहर कर दिया है। इस तरह निष्कासन के 18 घंटे बाद पार्टी में वापसी करने वाले रामगोपाल 24 घंटे के अंदर फिर पार्टी से बाहर कर दिए गए।
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मुलायम ने पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव व राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य नरेश अग्रवाल व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष किरणमय नंदा को पार्टी से निष्कासित कर दिया।
रविवार को प्रो. रामगोपाल यादव द्वारा आयोजित राष्ट्रीय अधिवेशन की किरणमय नंदा ने अध्यक्षता की थी। वहीं नरेश अग्रवाल भी वहां जाकर अखिलेश यादव के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के प्रस्ताव पर सहमति दी थी।
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कई कमेटियां भंग
शिवपाल सिंह यादव ने रविवार को पार्टी प्रमुख मुलायम से लखनऊ में उनके आवास पर मुलाकात की और मिर्जापुर, आजमगढ़, देवरिया और कुशीनगर की सपा जिला यूनिट को भंग कर दिया।
अखिलेश ने शिवपाल को हटा अपने करीबी को बनाया प्रदेश अध्यक्ष
उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने रविवार को नरेश उत्तम पटेल को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष घोषित किया।
नियुक्ति के करीब एक घंटे बाद ही अखिलेश समर्थकों ने सपा कार्यालय में पहुंच की सपा प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर कब्जा कर लिया और शिवपाल की नेमप्लेट हटा दी। उस कुर्सी पर नरेश उत्तम को बैठाया गया।
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