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यूपी चुनावः 73 सीटों पर चुनाव कल, पश्चिमी यूपी के वे बड़े चेहरे जिनकी साख है दांव पर

मुस्लिम और जाट बहुल इस इलाके में कई ऐसे नेता हैं, जिनकी साख दांव पर लगी है।

Updated on: 10 Feb 2017, 01:13 PM

नई दिल्ली:

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 15 जिलों की 73 सीटों पर शनिवार को मतदान होगा। मुस्लिम और जाट बहुल इस इलाके में कई ऐसे नेता हैं, जिनकी साख दांव पर लगी है।

इन सभी नेताओं का मकसद है विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी के उम्मीदवारों को जीत दिलाकर पार्टी ने के अंदर अपनी साख को बढ़ाना। जातीय गणित, वोट बैंक और सियासी दमखम के नजरिये से देखें तो पश्चिमी यूपी में इन हस्तियों का असर इस क्षेत्र में सबसे ज्यादा है।

रालोद प्रमुख अजित सिंह

देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के पुत्र व राष्ट्रीय लोकदल के मुखिया अजित सिंह को पश्चिमी यूपी का कद्दावर नेता माना जाता है। अजित सिंह का का प्रभाव जाट बहुल सीटों पर खासा प्रभाव है।

पिछले विधानसभा चुनाव 2012 में रालोद ने 46 उम्मीदवारों को टिकट दिया था जिसमें से पार्टी ने नौ सीटों पर जीत हासिल की थी। हालांकि ऐसा माना जाता है कि 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों के बाद परंपरागत जाट-मुस्लिम वोट बैंक दरक गया था।

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वोट बैंक दरकने के कारण 2014 के लोकसभा चुनावों में पार्टी खाता भी नहीं खोल पाई थी। लेकिन एक बार फिर रालोद खोए हुए सियासी रसूख को वापस पाने की कोशिशों में हैं।

बीजेपी के नेता हुकुम सिंह

भारतीय जनता पार्टी के नेता और कैराना लोकसभा सीट से सांसद हुकुम सिंह गुर्जर समाज से आते हैं। ऐसे में गुर्जरों में उनका खासा प्रभाव माना जाता है। पिछले साल कैराना से हिंदुओं के पलायन का मुद्दा उठाने वाले हुकुम सिंह ने इस बार बेटी मृगांका सिंह को चुनावी मैदान में उतारा है।

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मृगांका सिंह के विरोध में हुकुम सिंह की भतीजा रालोद के टिकट पर इसी सीट से चुनावी मैदान में ताल ठोक रही हैं। ऐसे में बेटी को जीत दिलाना और पार्टी में कद बढ़ाने का महत्वपूर्ण मौका हुकुम सिंह के पास है.

केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान

भारतीय जनता पार्टी से मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट से सांसद संजीव बालियान भी अपने विवादित बयानों के लिए जाने जाते हैं। इस समय वे केंद्र सरकार में केंद्रीय जल संसाधन राज्य मंत्री हैं। इन पर मुजफ्फरनगर दंगों के बाद ध्रुवीकरण के आरोप लगे थे। अपने क्षेत्र में इनका खासा प्रभाव माना जाता है।

संगीत सोम

मेरठ की सरधना सीट से बीजेपी के उम्मीदवार हैं। 2012 के चुनाव में भी सोम इसी सीट से विधायक थे। सोम पर भी मुजफ्फरनगर दंगों के बाद ध्रुवीकरण के आरोप लगे हैं।

नरेश टिकैत

नरेश टिकैत भारतीय किसान यूनियन के दिवंगत नेता महेंद्र सिंह टिकैत के पुत्र हैं। टिकैत का किसानों में जबर्दस्त पैठ माना जाता है। ये भी जाट मतदाताओं को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं।

इन जिलों में होने हैं चुनाव

जिन जिलों में चुनाव होने हैं उनमें से मेरठ, बागपत, बुलंदशहर, गौतमबुद्धनगर, हापुड़, गाजियाबाद, शामली और मुजफ्फरनगर शामिल हैं। मेरठ-सहारनपुर मंडल के इन जिलों को आबादी के हिसाब से देखा जाए तो तीन जातियों का वर्चस्व है।

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इस इलाके में सबसे ज्यादा आबादी मुस्लिमों की है जोकि कुल जनसंख्या का यहां 26 प्रतिशत हिस्सा है। इस क्षेत्र में करीब 21 फीसद आबादी दलितों का है। और 17 प्रतिशत जाट वोटर हैं।

कितने मतदाता हैं इस क्षेत्र में

इस चरण में 73 सीटों के लिए कुल 2.57 करोड़ वोटर हैं। जिनमें 1.17 करोड़ महिलाएं हैं। युवा वर्ग की बात करें तो 18 से 19 साल के बीच के मतदाताओं की संख्या भी 24 लाख से ऊपर बताया जा रहा है।

पिछले चुनाव में बीजेपी के खाते में कितनी सीटें

साल 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में इन 73 सीटों में से बीजेपी के खाते में 11 सीटें गई थी। लेकिन दो साल बाद 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में इस पार्टी ने इस क्षेत्र की सभी लोकसभा सीटों पर अपना परचम लहराया था।