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गैस सिलेंडर से होने वाले हादसे पर मिलते है 50 लाख रुपए, जानें पूरा प्रोसेस

गैस कंपनियों की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार इस इंश्योरेंस कवर के तहत सिलेंडर के चलते होने वाली किसी भी प्रकार की दुर्घटना में जान-माल की हानि होने पर 50 लाख रुपए तक का बीमा क्लेम किया जा सकता है.

Updated on: 22 Nov 2020, 12:42 PM

नई दिल्ली:

एलपीजी गैस सिलेंडर का इस्तेमाल हमारे देश में अब घर-घर होने लगा है. पहले माना जाता था कि गैस सिलेंडर का प्रयोग केवल शहरों में ही किया जाता है. गांवों में नहीं, लेकिन अब ऐसा नहीं है. शहरों के साथ गांव में भी गैस सिलेंडर का इस्तेमाल होने लगा है. वहीं, इसके बारे में सही जानकारी कब लोगों के पास है कि एलपीजी गैस सिलेंडर खरीदते ही इंश्योरेंस कवर मिल जाता है. गैस कंपनियों की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार इस इंश्योरेंस कवर के तहत सिलेंडर के चलते होने वाली किसी भी प्रकार की दुर्घटना में जान-माल की हानि होने पर 50 लाख रुपए तक का बीमा क्लेम किया जा सकता है.

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दरअसल, हादसा होने पर 40 लाख का बीमा कवर होता है, जबकि 50 लाख रुपए सिलेंडर फटने पर मौत होने की सूरत में क्लेम किए जा सकते हैं. दुर्घटना में पीड़ित प्रत्येक व्यक्ति को अधिकतम 10 लाख रुपए की क्षतिपूर्ति दी जा सकती है. इंश्योरेंस कवर के तहत व्यक्ति की मौत होने पर अधिकतम 6 लाख रुपए का मुआवजा (प्रति व्यक्ति) मिलता है. इसके अलावा परिवार वालों के इलाज के लिए अधिकतम 15 लाख (1 लाख प्रति व्यक्ति) का कवर मिलता है. प्रॉपर्टी में नुकसान होने पर 2 लाख रुपए तक का इंश्योरेंस क्लेम किया जा सकेगा.

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हर गैस सिलेंडर पर जहां रेगुलेटर लगाया जाता है, वहां पर D-20 या ऐसा ही कुछ लिखा होता है. यह गैस सिलेंडर की एक्सपायरी डेट होती है. यहां पर D-20 मतलब है कि गैस सिलेंडर की एक्सपायर डेट दिसंबर 2020 है. इसके बाद गैस सिलेंडर का उपयोग करना खतरनाक हो सकता है. ऐसे सिलेंडर में गैस लीकेज और अन्‍य तरह की दिक्कतें हो सकती हैं. गैस सिलेंडर के सबसे ऊपर रेगुलेटर के पास जो तीन पट्टी होती है, उन में से किसी एक पर A, B, C, D लिखा होता है. अगर आपने गैस सिलेंडर एक्सपायरी डेट के बाद खरीदा है तो उस यह कोई क्लेम नहीं बनता.

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बीमा कवर की रकम पाने के लिए सबसे पहले लोकल पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज करवाएं.अपने गैस डिस्ट्रीब्यूटर को एफआईआर की एक प्रति सौंप दें. आपका डिस्ट्रीब्यूटर एफआईआर को तेल कंपनी के पास ट्रांसफर करेगा. अब बीमा कंपनी की एक टीम जांच के लिए घटनास्थल पर आएगी. जांच करने और सिलेंडर से हुए नुकसान का पता लगाकर क्लेम की राशि यही टीम तय करेगी.