Cloudburst in Uttarkashi: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली गांव में मंगलवार को एक बार फिर प्रकृति का रौद्र रूप देखने को मिला. बादल फटने की इस भयावह घटना में खीर गंगा नदी का जलस्तर अचानक बढ़ गया, जिससे आस-पास के घर, दुकानें और अन्य संपत्तियां मलबे और पानी के तेज बहाव में बह गईं. इस हादसे में अब तक 4 लोगों की मृत्यु की पुष्टि हो चुकी है, जबकि कई लोग अब भी लापता बताए जा रहे हैं.
ऐसे में सवाल उठता है कि इस तरह की प्राकृतिक आपदा में प्रभावित परिवारों को सरकार की ओर से क्या मुआवजा मिलता है, और इसकी प्रक्रिया क्या है? आइए विस्तार से समझते हैं.
मानसून के दौरान होती हैं सबसे ज्यादा घटनाएं
भारत में खासकर उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर जैसे पहाड़ी क्षेत्रों में मानसून के समय बादल फटने की घटनाएं आम हो गई हैं. ये आपदाएं अचानक होती हैं और जान-माल का भारी नुकसान कर जाती हैं. सरकार इन आपदाओं के बाद पीड़ितों को राहत देने के लिए आर्थिक सहायता उपलब्ध कराती है.
मुआवजा कौन देता है?
बादल फटने जैसी प्राकृतिक आपदाओं में मृत्यु, घायल होने या संपत्ति के नुकसान पर केंद्र और राज्य सरकार दोनों मुआवजा देती हैं.
- राष्ट्रीय आपदा राहत कोष (NDRF)
- राज्य आपदा राहत कोष (SDRF) के तहत यह सहायता
ये दोनों कोष राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत बनाए गए हैं, जिसमें मुआवजा, राहत एवं पुनर्वास के प्रावधान शामिल हैं.
कितना मिलता है मुआवजा?
सरकार की ओर से मुआवजे की राशि इस प्रकार निर्धारित की गई है:
- प्रत्येक मृतक के परिजनों को 2 लाख रुपये केंद्र सरकार देती है.
- राज्य सरकार, जैसे उत्तराखंड, अपने स्तर पर अतिरिक्त 2 से 4 लाख रुपये तक की राशि दे सकती है.
- गंभीर रूप से घायल लोगों के इलाज का पूरा खर्च सरकार उठाती है.
- संपत्ति के नुकसान जैसे घर, दुकान, फसल, पशुधन आदि पर अलग-अलग मुआवजा राशि तय की गई है.
मुआवजा प्राप्त करने की प्रक्रिया
मुआवजा पाने के लिए मृतक या घायल व्यक्ति के परिवार को स्थानीय प्रशासन के पास आवेदन करना होता है। इस प्रक्रिया में जरूरी दस्तावेज शामिल हैं:
- मृत्यु प्रमाण पत्र
- पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट
- पहचान पत्र (आधार, वोटर ID)
- घटना की पुष्टि करने वाली रिपोर्ट
स्थानीय प्रशासन की ओर से इन दस्तावेजों की पुष्टि के बाद मुआवजा राशि सीधे बैंक खाते में ट्रांसफर की जाती है. बता दें कि उत्तरकाशी के धराली गांव की यह घटना एक बार फिर साबित करती है कि प्राकृतिक आपदाएं कितनी विनाशकारी हो सकती हैं.
हालांकि सरकार की ओर से राहत और मुआवजा प्रदान करने की व्यवस्था है, फिर भी समय पर जागरूकता, सतर्कता और सुरक्षा उपायों का पालन करना ज़रूरी है. प्रभावित परिवारों को जल्द न्याय और सहायता मिल सके, इसके लिए प्रशासन को तुरंत और पारदर्शी ढंग से कार्य करना होगा.
यह भी पढ़ें - Uttarakhand Flood and Landslide: 200 लोग बचे, 50 लापता, 5 मौत... Dharali से Harshil तक तबाही
यह भी पढ़ें - Uttarkashi Cloudburst : आखिर क्या होता है बादल का फटना? पहाड़ों पर ही क्यों ज्यादा आते हैं सैलाब
यह भी पढ़ें - हर्षिल घाटी में भारतीय सेना का पुनर्वास और पर्यटन मिशन, जधुंगा गांव में सांस्कृतिक एकता को मिला बढ़ावा