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हर्षिल घाटी में भारतीय सेना का पुनर्वास और पर्यटन मिशन, जधुंगा गांव में सांस्कृतिक एकता को मिला बढ़ावा

सेना की टीम ने प्रतिष्ठित गंगोत्री धाम का दौरा किया, जहां गढ़वाल की सांस्कृतिक धरोहर का प्रचार किया गया. साथ ही, टीम ने वीपीएस गवर्नमेंट इंटर कॉलेज का दौरा कर वहां के छात्रों को प्रेरित किया और उन्हें अपनी परंपराओं और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित रखने के महत्व पर जोर दिया.

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Mohit Sharma
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Indian Army News in Hindi

हर्षिल घाटी में भारतीय सेना का पुनर्वास और पर्यटन मिशन, जधुंगा गांव में सांस्कृतिक एकता को मिला बढ़ावा

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(रिपोर्ट- मधुरेंद्र कुमार)

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले की हर्षिल घाटी में भारतीय सेना की 21 सैनिकों की टीम ने जधुंगा गांव में पर्यटन को बढ़ावा देने और गांववासियों के पुनर्वास के लिए एक महत्वपूर्ण मिशन की शुरुआत की है. इस मिशन के तहत, टीम ने स्थानीय अधिकारियों और समुदाय के लोगों से गहन बातचीत की, जिससे सेना और गढ़वाल क्षेत्र के बीच पुराने संबंध और भी मजबूत हुए हैं.

भोटिया समुदाय के लोगों से मुलाकात की

टीम ने उत्तरकाशी के उप-जिलाधिकारी (एसडीएम) के साथ एक बैठक की, जिसमें गढ़वाल सेक्टर में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए चल रही पहलों पर चर्चा हुई. इस बैठक के दौरान, भारतीय सेना द्वारा समय-समय पर राहत अभियानों में दिए गए योगदान को भी रेखांकित किया गया, जिसने स्थानीय जनसमुदाय के साथ उनके संबंधों को गहराई से मजबूत किया है. जधुंगा गांव में, टीम ने जाड़ भोटिया समुदाय के लोगों से मुलाकात की और उन्हें अपने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक बौद्ध परंपराओं को पुनः स्थापित करने के लिए प्रेरित किया. यह प्रयास न केवल गांववासियों को उनकी पुश्तैनी जमीन से जोड़ने की दिशा में एक कदम है, बल्कि पलायन को रोकने और क्षेत्र के पुनर्जीवन के व्यापक प्रयास का भी हिस्सा है.

सेना की टीम ने प्रतिष्ठित गंगोत्री धाम का दौरा किया

इसके अलावा, सेना की टीम ने प्रतिष्ठित गंगोत्री धाम का दौरा किया, जहां गढ़वाल की सांस्कृतिक धरोहर का प्रचार किया गया. साथ ही, टीम ने वीपीएस गवर्नमेंट इंटर कॉलेज का दौरा कर वहां के छात्रों को प्रेरित किया और उन्हें अपनी परंपराओं और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित रखने के महत्व पर जोर दिया. भारतीय सेना की यह पहल न केवल पर्यटन और सांस्कृतिक धरोहर को बढ़ावा दे रही है, बल्कि क्षेत्र के पुनर्वास और विकास में भी एक नई दिशा दे रही है, जिससे स्थानीय समुदायों को एक नई आशा मिल रही है. हाल के बरसो में सरकार ने भी स्ट्रेटेजिक इंपॉर्टेंस को समझते हुए बॉर्डर विलेज को बढ़ावा देना शुरू किया है. बॉर्डर पर आबादी का घनत्व जितना बढ़ता है उतना हीं दुश्मन पर पैनी नज़र रखनी आसान होती है, साथ हीं राष्ट्रीय सुरक्षा और संप्रभुता को बल मिलता हैं

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