UCC in Uttarakhand: उत्तराखंड में जल्द समान नागरिक संहिता लागू होने जा रही है. इस दिशा में सोमवार को राज्य सरकार ने एक और अहम कदम उठाया. दरअसल, सीएम पुष्कर सिंह धामी अध्यक्षता में सोमवार को कैबिनेट की बैठक हुई. जिसमें समान नागरिक संहिता के क्रियान्वयन के प्रविधानों का उल्लेख करने वाली नियमावली को मंजूरी मिल गई.
26 जनवरी को हो सकता है एलान
बता दें कि राज्य की धामी सरकार सरकार समान नागरिक संहिता को जनवरी में लागू करने की अपनी प्रतिबद्धता को कई बार दोहरा चुकी है. ऐसे में माना जा रहा है कि 26 जनवरी को उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू करने की घोषणा हो सकती है. क्योंकि राज्य में समान नागरिक संहिता को लागू करने के लिए मंत्रिमंडल ने अनुमति दे दी है. सोमवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में समान नागरिक संहिता के अलावा 10 अन्य विषयों पर भी चर्चा हुई.
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यूसीसी को लेकर क्या बोले सीएम धामी
राज्य में समान नागरिक संहिता को लागू करने को लेकर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि, "हमने 2022 में उत्तराखंड की जनता से वादा किया था कि हमारी सरकार बनते ही हम यूसीसी बिल लाएंगे. हम इसे लेकर आए. ड्राफ्ट कमेटी ने इसका मसौदा तैयार किया, यह पारित हुआ, राष्ट्रपति ने इसे मंजूरी दी और यह एक अधिनियम बन गया. प्रशिक्षण की प्रक्रिया भी लगभग पूरी हो चुकी है. सब कुछ का विश्लेषण करने के बाद, हम जल्द ही तारीखों का भी एलान कर देंगे."
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राज्य में बदल जाएंगे ये ये नियम
1. राज्य में यूसीसी लागू होने के बाद सभी धर्म-समुदायों में विवाह, तलाक, गुजारा भत्ता और विरासत के लिए एक ही कानून होगा.
2. इसके साथ ही 26 मार्च 2010 के बाद से हर दंपती के लिए तलाक और शादी का पंजीकरण कराना भी अनिवार्य हो जाएगा.
3. वहीं ग्राम पंचायत, नगर पंचायत, नगर पालिका, नगर निगम, महानगर पालिका स्तर पर भी पंजीकरण की सुविधा होगी.
4. अगर कोई पंजीकरण नहीं कराता तो उसे अधिकतम 25,000 रुपये का जुर्माना देना होगा.
5. इसके अलावा रजिस्ट्रेशन नहीं कराने वालों को सरकारी सुविधाओं का लाभ नहीं मिलेगा.
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6. इसके साथ ही शादी के लिए लड़के की न्यूनतम आयु 21 और लड़की की 18 वर्ष हो जाएगी.
7. हलाला और इद्दत जैसी प्रथा भी यूसीसी लागू होते ही खत्म हो जाएगी. साथ ही महिला के दोबारा विवाह करने की किसी भी तरह की शर्तों पर रोक लग जाएगी.
8. इसके अलावा कोई बिना सहमति के धर्म परिवर्तन नहीं कर सकेगा, अगर ऐसा करेगा तो दूसरे व्यक्ति को उस व्यक्ति से तलाक लेने और गुजारा भत्ता लेने का अधिकार होगा.
9. एक पति और पत्नी के जीवित होने पर दूसरा विवाह करना पूरी तरह से प्रतिबंधित हो जाएगा.
10. पति-पत्नी के तलाक या घरेलू झगड़े के समय पांच वर्ष तक के बच्चे की कस्टडी उसकी माता को मिलेगी.