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विकास दुबे एनकाउंटर: कल तक मां जिस बेटे की सलामती की दुआ मांग रही थी, आज उसके अंतिम दर्शन में भी नहीं आना चाहती

हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे के शव को लेने से परिजनों ने इनकार कर दिया है. जो मां कल तक अपने बेटे की सलामती की दुआ मांगती थी, वह आज अपने बेटे के अंतिन दर्शन में नहीं भी आना चाहती है.

Updated on: 10 Jul 2020, 02:02 PM

लखनऊ:

हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे (Vikas Dubey) के शव को लेने से परिजनों ने इनकार कर दिया है. जो मां कल तक जिस बेटे की सलामती की दुआ मांगती थी, वह आज अपने बेटे के अंतिन दर्शन में नहीं भी आना चाहती है. विकास दुबे की मां ने कानपुर आने से इनकार कर दिया है. विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद से लखनऊ स्थित उसके भाई के घर से कोई बाहर नहीं निकला है. विकास के भाई का पूरा परिवार घर है. विकास दुबे की मां सरला दुबे लखनऊ में अपने बेटे घर में मौजूद हैं, लेकिन उन्होंने मीडिया कर्मियों से मिलने से मना कर दिया है. हालांकि यह पूछे जाने पर कि क्या वह अपने बेटे को देखने के लिए कानपुर (Kanpur) जाएंगी, तो विकास की मां ने इससे इनकार कर दिया. विकास की मां ने कहा कि मैं कानपुर नहीं जाऊंगी.

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अभी तक गैंगस्टर विकास दुबे के परिवार का कोई भी सदस्य उसकी मौत की खबर सुनने के बाद भी अस्पताल में नहीं पहुंचा है. गैंगस्टर के शव को अभी हेलेट अस्पताल में ही रखा गया है और अभी तक पोस्टमार्टम के लिए नहीं भेजा गया है. विकास दुबे का भाई दीप प्रकाश दुबे फरार है. विकास की पत्नी ऋचा दुबे और बेटे को एसटीएफ अपने साथ ले गई थी और दोनों कानपुर में पुलिस लाइन में हैं. कृष्णा नगर क्षेत्र में लखनऊ आवास के बाहर कई पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया है. 

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आपको बता दें कि गुरुवार को उज्जैन में विकास के पकड़े जाने के बाद उसकी मां सरला देवी ने कहा था कि भोले बाब ने उसके बेटे की जान बचाई है. सरला देवी ने कहा था, 'वह हर साल उज्जैन के महाकाल मंदिर में जाकर भगवान के दर्शन करता था और उनका श्रृंगार करवाता था. सरकार जो उचित हो करेगी. हमारे कहने से कुछ नहीं होगा.' उन्होंने कहा था कि भोले बाबा ने ही मेरे बेटे की जान बचाई है. सरला देवी ने कहा था, 'टीवी से उन्हें विकास की गिरफ्तारी की जानकारी मिली. अब सरकार जो करना चाहती है करे. सरकार बहुत बड़ी है. हमें नहीं पता क्या करना चाहिए.'

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ज्ञात हो कि कानपुर में कुख्यात अपराधी विकास दुबे के एनकाउंटर के दौरान हुए खूनी संघर्ष में सीओ सहित पुलिस के आठ पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे. अपराधियों ने पुलिस बल को चारों ओर से घेरकर ताबड़तोड़ गोलियां बरसा दी थी और 8 जवानों को मौत के घाट उतार दिया था. इस हत्याकांड के बाद फरार हुए उज्जैन में गिरफ्तार किया गया था.

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