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8 पुलिसवालों की हत्या से लेकर विकास दुबे के एनकाउंटर तक: जानिए हर दिन कब क्या हुआ

कानपुर में 8 पुलिसकर्मियों की हत्या के मुख्य आरोपी कुख्यात गैंगस्टर विकास दुबे का खेल खत्म हो गया है. 2 जुलाई से हुए अब तक के घटना क्रम में पुलिस और अपराधी के बीच शह मात का खेल चलता रहा.

Updated on: 10 Jul 2020, 12:05 PM

कानपुर:

कानपुर (Kanpur) में 8 पुलिसकर्मियों की हत्या के मुख्य आरोपी कुख्यात गैंगस्टर विकास दुबे का खेल खत्म हो गया है. मध्य प्रदेश में उज्जैन के महाकाल मंदिर के बाहर पकड़े गए दुर्दांत विकास दुबे (Vikas Dubey) को यूपी एसटीएफ की टीम कानपुर लेकर लौट रही थी. रास्ते में एसटीएफ की गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त हो गई. तभी विकास दुबे ने पुलिसकर्मियों से हथियार छीनकर भागने की कोशिश की. इसी दौरान मुठभेड़ में एसटीएफ ने विकास दुबे के ढेर कर दिया. पुलिस के अनुसार, उज्जैन (Ujjain) से कानपुर लाते समय हुए सड़क हादसे में एक पुलिस वाहन के पलटने के बाद दुबे ने भागने का प्रयास किया. हालांकि 2 जुलाई से हुए अब तक के घटना क्रम में पुलिस और अपराधी के बीच शह मात का खेल चलता रहा.

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अब तक क्या-क्या रहा केस में

2 जुलाई- कानपुर के चौबेपुर थाना क्षेत्र के अंतर्गत बिकरू गांव में रात को पुलिस कुख्यात अपराधी विकास दुबे को पकड़ने गई थी. टीम की कमान बिठूर के सीओ देवेंद्र मिश्रा के हाथ में थी और उनके साथ तीन थानों की फोर्स मौजूद थी. इससे पहले कि पुलिस विकास को दबोचती, उसके गैंग ने पुलिस पर धावा बोल दिया. काफी देर तक चली मुठभेड़ में डीएसपी देवेंद्र मिश्रा, एसओ शिवराजपुर महेंद्र सिंह यादव, चौकी प्रभारी मंधना अनूप कुमार सिंह समेत 8 पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे. सभी की गोलियों से छलनी कर और निर्ममता से पीट-पीटकर तथा धारदार हथियारों से हमला कर हत्या की गई थी.

2 जुलाई- रात को ही मुठभेड़ के बाद विकास दुबे और उसका पूरा गैंग गांव से फरार हो गया. इसके करीब दो घंटे बाद लगभग एक दर्जन थानों की पुलिस और सीओ सर्किल की फोर्स में मौजूद 100 से ज्यादा पुलिसकर्मियों ने बिकरू समेत आसपास के पांच गांवों को घेर लिया. पूरी रात सर्च ऑपरेशन चला.

3 जुलाई- सुबह डीजीपी के निर्देश पर एसटीएफ के जवानों की मौजूदगी में पुलिस ने तगड़ी घेराबंदी की. बिकरू के पास हुई मुठभेड़ में विकास के मामा प्रेम प्रकाश पांडेय और भतीजा अतुल दुबे मार गिराए गए. एडीजी लॉ एंड ऑर्डर, डीजीपी बिकरू गांव पहुंचे. पुलिस की कई टीमों ने पूरे यूपी में विकास और उसके गैंग की तलाश शुरू की. विकास दुबे के लिए मुखबिरी के शक में चौबेपुर थाने के इंस्पेक्टर विनय तिवारी को निलंबित कर दिया.

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4 जुलाई- पुलिस ने विकास दुबे के घर पर बुलडोजर चलवा दिया, लग्जरी कारें व ट्रैक्टर तोड़ डाले, फिर खंडहर बन चुके घर पर पूरी रात सर्च ऑपरेशन चला. आईजी मोहित अग्रवाल ने कहा कि सूचना थी कि विकास ने दीवारों में हथियार चुनवाकर छिपाए हैं इसलिए दीवारों को तोड़कर सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है.

5 जुलाई- विकास के घर में तलाशी में मिले तहखाने व सुरंग में विस्फोटक सामग्री और कई हथियार बरामद किए गए. विकास का नौकर कल्लू शहर से भागने की फिराक में था तभी कल्याणपुर पुलिस ने मुठभेड़ में उसे धर दबोचा.

6 जुलाई- पुलिस ने कल्लू की पत्नी, हमले में मदद करने वाले विकास के साढ़ू समेत तीन को गिरफ्तार कर लिया. उधर, डीजीपी ने आईजी मोहित अग्रवाल की सिफारिश पर विकास पर इनामी राशि ढाई लाख कर दी.

7 जुलाई- पुलिस ने विकास के 15 साथियों के पोस्टर को जारी किया. देर रात पुलिस को हरियाणा के फरीदपुर के एक होटल में विकास दुबे की लोकेशन मिली. पुलिस के पहुंचने से पहले विकास वहां से फरार हो गया. सीओ देवेंद्र मिश्रा की चिट्ठी की जांच करने लखनऊ से आईं आईजी लक्ष्मी सिंह की जांच-पड़ताल में विनय तिवारी पर कार्रवाई न करने की आंच में फंसे डीआईजी अनंत देव का एसटीएफ डीआईजी के पद से हटाकर उन्हें दूसरी जगह भेजा जाता है. दबिश की मुखबिरी के संदेह में चौबेपुर थाने के सभी 68 पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर कर दिया गया.

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8 जुलाई- विकास के सबसे करीबी अमर दुबे को पुलिस हमीरपुर के पास मुठभेड़ में मार गिराती है. इसके बाद विकास का एक और साथी श्यामू बाजपेई को चौबेपुर पुलिस ने मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार किया. विकास दुबे पर डीजीपी ने ढाई लाख से इनाम बढ़ाकर 5 लाख किया. विकास के तीन करीबियों प्रभात, अंकुर और उसके पिता श्रवण को हथियारों के साथ फरीदाबाद से पकड़ा.

9 जुलाई- फरीदाबाद से प्रभात को ट्रांजिट रिमांड पर कानपुर पुलिस लेकर आ रही थी, तभी शातिर प्रभात पुलिस की पिस्टल छीनकर भागने लगा. पुलिस की जवाबी कार्रवाई में वह मारा गया. बिकरू गांव निवासी प्रवीण उर्फ बउवा को भी पुलिस ने ढेर कर दिया.

9 जुलाई- सुबह करीब 8.50 पर सावन के तीसरे दिन उज्जैन स्थित महाकाल के दर्शन करने गए दुर्दांत 5 लाख के इनामी बदमाश विकास दुबे को मंदिर के सुरक्षाकर्मियों ने पहचान लिया. उज्जैन पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया.

10 जुलाई- उज्जैन से कानपुर लाए जा रहे कुख्यात अपराधी विकास दुबे को जिस वाहन से लाया जा रहा था, वह दुर्घटनाग्रस्त हो गया. इसके बाद वह पिस्टल छीनकर भागने लगा और तभी पुलिस पर फायरिंग भी शुरू कर दी. इस दौरान उसे गोली लगी और उसकी मौत हो गई. में 8 पुलिसकर्मियों की हत्या के मुख्य आरोपी कुख्यात गैंगस्टर विकास दुबे का खेल खत्म हो गया है. मध्य प्रदेश में उज्जैन के महाकाल मंदिर के बाहर पकड़े गए दुर्दांत विकास दुबे को यूपी एसटीएफ की टीम कानपुर लेकर लौट रही थी. रास्ते में एसटीएफ की गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त हो गई. तभी विकास दुबे ने पुलिसकर्मियों से हथियार छीनकर भागने की कोशिश की. इसी दौरान मुठभेड़ में एसटीएफ ने विकास दुबे के ढेर कर दिया. पुलिस के अनुसार, उज्जैन से कानपुर लाते समय हुए सड़क हादसे में एक पुलिस वाहन के पलटने के बाद दुबे ने भागने का प्रयास किया. हालांकि 2 जुलाई से हुए अब तक के घटना क्रम में पुलिस और अपराधी के बीच शह मात का खेल चलता रहा. 

अब तक क्या-क्या रहा केस में2 जुलाई- कानपुर के चौबेपुर थाना क्षेत्र के अंतर्गत बिकरू गांव में रात को पुलिस कुख्यात अपराधी विकास दुबे को पकड़ने गई थी. टीम की कमान बिठूर के सीओ देवेंद्र मिश्रा के हाथ में थी और उनके साथ तीन थानों की फोर्स मौजूद थी. इससे पहले कि पुलिस विकास को दबोचती, उसके गैंग ने पुलिस पर धावा बोल दिया. काफी देर तक चली मुठभेड़ में डीएसपी देवेंद्र मिश्रा, एसओ शिवराजपुर महेंद्र सिंह यादव, चौकी प्रभारी मंधना अनूप कुमार सिंह समेत 8 पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे. सभी की गोलियों से छलनी कर और निर्ममता से पीट-पीटकर तथा धारदार हथियारों से हमला कर हत्या की गई थी.2 जुलाई की रात को ही मुठभेड़ के बाद विकास दुबे और उसका पूरा गैंग गांव से फरार हो गया. इसके करीब दो घंटे बाद लगभग एक दर्जन थानों की पुलिस और सीओ सर्किल की फोर्स में मौजूद 100 से ज्यादा पुलिसकर्मियों ने बिकरू समेत आसपास के पांच गांवों को घेर लिया. पूरी रात सर्च ऑपरेशन चला.3 जुलाई- सुबह डीजीपी के निर्देश पर एसटीएफ के जवानों की मौजूदगी में पुलिस ने तगड़ी घेराबंदी की. बिकरू के पास हुई मुठभेड़ में विकास के मामा प्रेम प्रकाश पांडेय और भतीजा अतुल दुबे मार गिराए गए. एडीजी लॉ एंड ऑर्डर, डीजीपी बिकरू गांव पहुंचे. पुलिस की कई टीमों ने पूरे यूपी में विकास और उसके गैंग की तलाश शुरू की. विकास दुबे के लिए मुखबिरी के शक में चौबेपुर थाने के इंस्पेक्टर विनय तिवारी को निलंबित कर दिया.4 जुलाई- पुलिस ने विकास दुबे के घर पर बुलडोजर चलवा दिया, लग्जरी कारें व ट्रैक्टर तोड़ डाले, फिर खंडहर बन चुके घर पर पूरी रात सर्च ऑपरेशन चला. आईजी मोहित अग्रवाल ने कहा कि सूचना थी कि विकास ने दीवारों में हथियार चुनवाकर छिपाए हैं इसलिए दीवारों को तोड़कर सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है.5 जुलाई- विकास के घर में तलाशी में मिले तहखाने व सुरंग में विस्फोटक सामग्री और कई हथियार बरामद किए गए. विकास का नौकर कल्लू शहर से भागने की फिराक में था तभी कल्याणपुर पुलिस ने मुठभेड़ में उसे धर दबोचा.6 जुलाई- पुलिस ने कल्लू की पत्नी, हमले में मदद करने वाले विकास के साढ़ू समेत तीन को गिरफ्तार कर लिया. उधर, डीजीपी ने आईजी मोहित अग्रवाल की सिफारिश पर विकास पर इनामी राशि ढाई लाख कर दी.7 जुलाई- पुलिस ने विकास के 15 साथियों के पोस्टर को जारी किया. देर रात पुलिस को हरियाणा के फरीदपुर के एक होटल में विकास दुबे की लोकेशन मिली. पुलिस के पहुंचने से पहले विकास वहां से फरार हो गया. सीओ देवेंद्र मिश्रा की चिट्ठी की जांच करने लखनऊ से आईं आईजी लक्ष्मी सिंह की जांच-पड़ताल में विनय तिवारी पर कार्रवाई न करने की आंच में फंसे डीआईजी अनंत देव का एसटीएफ डीआईजी के पद से हटाकर उन्हें दूसरी जगह भेजा जाता है. दबिश की मुखबिरी के संदेह में चौबेपुर थाने के सभी 68 पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर कर दिया गया.8 जुलाई- विकास के सबसे करीबी अमर दुबे को पुलिस हमीरपुर के पास मुठभेड़ में मार गिराती है. इसके बाद विकास का एक और साथी श्यामू बाजपेई को चौबेपुर पुलिस ने मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार किया. विकास दुबे पर डीजीपी ने ढाई लाख से इनाम बढ़ाकर 5 लाख किया. विकास के तीन करीबियों प्रभात, अंकुर और उसके पिता श्रवण को हथियारों के साथ फरीदाबाद से पकड़ा.9 जुलाई- फरीदाबाद से प्रभात को ट्रांजिट रिमांड पर कानपुर पुलिस लेकर आ रही थी, तभी शातिर प्रभात पुलिस की पिस्टल छीनकर भागने लगा. पुलिस की जवाबी कार्रवाई में वह मारा गया. बिकरू गांव निवासी प्रवीण उर्फ बउवा को भी पुलिस ने ढेर कर दिया.9 जुलाई- सुबह करीब 8.50 पर सावन के तीसरे दिन उज्जैन स्थित महाकाल के दर्शन करने गए दुर्दांत 5 लाख के इनामी बदमाश विकास दुबे को मंदिर के सुरक्षाकर्मियों ने पहचान लिया. उज्जैन पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया.10 जुलाई- उज्जैन से कानपुर लाए जा रहे कुख्यात अपराधी विकास दुबे को जिस वाहन से लाया जा रहा था, वह दुर्घटनाग्रस्त हो गया. इसके बाद वह पिस्टल छीनकर भागने लगा और तभी पुलिस पर फायरिंग भी शुरू कर दी. इस दौरान उसे गोली लगी और उसकी मौत हो गई.