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पुलिस की मजबूरी थी तुरत-फुरत गुड वर्क दिखाना, सुबह हत्या और रात को अपहरण से फंसी थी नाक

कानपुर गोलीकांड में 8 पुलिसवालों की हत्या, फिर उनके हत्यारे विकास दुबे के एनकांउटर के बाद से उत्तर प्रदेश में पुलिस के इकबाल पर सवालिया निशान खड़े हो रहे थे.

Updated on: 25 Jul 2020, 09:30 AM

लखनऊ:

कानपुर गोलीकांड (Kanpur encounter) में 8 पुलिसवालों की हत्या, फिर उनके हत्यारे विकास दुबे के एनकांउटर के बाद से उत्तर प्रदेश में पुलिस के इकबाल पर सवालिया निशान खड़े हो रहे थे. रही सही कसर कानपुर में ही लैब टेक्नीशियन संजीत यादव (Sanjeet Yadav) की अपहरण के बाद हत्या और इसके बाद गोंडा जिले से ऐन पुलिस चौकी की नाक के नीचे से हुए बच्चे के अपहरण ने पूरी कर दी. विपक्ष ने लगातार सवाल पूछ रहा था. अखिलेश यादव से लेकर प्रियंका गांधी ने योगी सरकार (Yogi Government) पर तीखे हमले बोल रखे थे. ऐसे में पुलिस को तुरत फुरत कुछ करके दिखाना ही था.

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कानपुर के बिकरू गांव में कुख्यात अपराधी विकास दुबे को पकड़ने पुलिस पहुंची थी तो यहां खाकी वर्दी के पीछे छिपे कानून के कुछ गद्दारों ने ही अपराधियों का साथ दिया. भले ही विकास दुबे के एनकांउटर के साथ ही उसके राजनीतिक और प्रशासनिक अधिकारियों से संबंध दफन हो चुके हैं, मगर सब यह जानते हैं कि विकास दुबे एक खौफ का डंका नेताओं और अफसरों की शह पर ही बजता था. 2-3 जुलाई की रात अगर पुलिसवालों ने ही विकास दुबे के लिए कथित तौर पर मुखबिरी न की होती तो वह 8 पुलिसकर्मी आज जिंदा हो सकते थे, जो कानपुर गोलीकांड में शहीद हो गए.

भले ही विकास दुबे का एनकाउंटर कर पुलिस ने इस पूरे घटनाक्रम को ही खत्म कर दिया हो मगर सवाल फिर वही सामने आ खड़ा होता है कि आखिर अपराधियों के खात्मे का दावा करने वाली योगी सरकार की पुलिस कर क्या आ रही है. क्योंकि कानपुर के ही बर्रा से करीब एक महीने पहले अगवा किए गए लैब टेक्नीशियन संजीत यादव के मामले में भी उसकी लापरवाही और लेटलतीफी साफ तौर पर देखी गई. जिसका नतीजा यह है कि पुलिस के सामने फिरौती की रकम देने के बाद भी संजीत यादव आज अपनों के बीच नहीं रहा.

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22 जून की शाम संजीत यादव का अपहरण हुआ. 23 जून को गुमशुदगी की शिकायत लिखी गई थी. इसके बाद 26 जून को उसे एफआईआर में तब्दील किया गया. 29 जून को परिजनों के पास फिरौती के लिए कॉल आया था. मगर इसके बाद भी कुछ नहीं हो पाया. 13 जुलाई की रात पुलिस ने ही फिरौती की रकम लेकर परिजनों को भेजा था. फिर भी अपहरणकर्ता गुजैनी पुल से फिरौती की रकम लेकर फरार हो गए और पुलिस देखती रह गई.

इतना ही नहीं, हम तो तब हो गई जब उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में पुलिस की नाक के नीचे से ही एक 4 साल के बच्चे का अपहरण हो गया. शुक्रवार को मास्क और सेनिटाइजर बांटने के बहाने बदमाशों ने एक किराना व्यवसायी के बेटे का अपहरण कर लिया. यहां भी बच्चे के अपहरण के बाद बदमाशों ने परिजन को फोन कर 4 करोड़ रुपए की फिरौती मांगी.

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गोंडा के करनैलगंज इलाके में जिस जगह से बदमाशों ने बच्चे को किडनैप किया, ठीक उसी जगह पर पुलिस चौकी है. स्थानीय लोग कहते हैं कि दिनदहाड़े हुई इस वारदात पर यही कह सकते हैं कि बदमाश आंखों से काजल निकाल ले गए. लेकिन पुलिस चौकी के ठीक पीछे हुई इस बड़ी वारदात ने पुलिस के इकबाल पर सवाल तो उठा ही दिए हैं.