कोविड-19 : आगरा के जूता बाजार को संभलने में लगेगा 1 साल

उत्तर प्रदेश के आगरा की पहचान ताजमहल से तो है ही, इस शहर को 'जूतों का हब' भी बोला जाता है. दुनिया के हर कोने में लोग आगरा से निर्यात किए गए जूते पहनते हैं. लेकिन लॉकडाउन में कारखानों के शटर डाउन हैं.

उत्तर प्रदेश के आगरा की पहचान ताजमहल से तो है ही, इस शहर को 'जूतों का हब' भी बोला जाता है. दुनिया के हर कोने में लोग आगरा से निर्यात किए गए जूते पहनते हैं. लेकिन लॉकडाउन में कारखानों के शटर डाउन हैं.

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Yogendra Mishra
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प्रतीकात्मक फोटो।( Photo Credit : फाइल फोटो)

उत्तर प्रदेश के आगरा की पहचान ताजमहल से तो है ही, इस शहर को 'जूतों का हब' भी बोला जाता है. दुनिया के हर कोने में लोग आगरा से निर्यात किए गए जूते पहनते हैं. लेकिन लॉकडाउन में कारखानों के शटर डाउन हैं. प्रदेश के आंकड़ों पर गौर करें, तो इस शहर में कोरोना संक्रमण के मामले सबसे ज्यादा हैं. इसी वजह से प्रशासन की सख्ती भी यहां बहुत ज्यादा है. ईद का त्योहार आने को है. इस त्योहार के समय हर साल यहां का जूता बाजार भी गुलजार रहा करता था, मगर इस बार तो रौनक ही गायब है. दो महीने बाद खुले बाजार में व्यापारियों को ग्राहकों का इंतजार है.

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आगरा फुटवेयर मैन्युफैक्च र्स एंड एक्सपोर्ट्स चैम्बर के अध्यक्ष पूरन डावर ने आईएएनएस को बताया, "आगरा शू इंडस्ट्री 5000 करोड़ का इम्पोर्ट व एक्सपोर्ट करती है, जिसमें डायरेक्ट एक्सपोर्ट 3500 करोड़ और 1500 करोड़ का डीम्ड एक्सपोर्ट. अप्रैल से बीच जुलाई तक सीजन होता है और हमने पहले से ही मार्च, अप्रैल, मई गुजार दिया है. अभी भी कुछ इंडस्ट्री पूरी तरह से चालू नहीं हैं. कहीं कंटेटमेंट जोन तो कहीं मूवूमेंट इश्यू है"

उन्होंने कहा, "हमारे कुछ ऑर्डर्स कैंसिल हो चुके हैं और जो कुछ अभी डिमांड में हैं, अगर वो पूरा नहीं कर पाए तो हम यह पूरा साल खो देंगे. डोमेस्टिक इंडस्ट्री को बाजार पर फिर से पकड़ बनाने के लिए 6 महीने और संघर्ष करना पड़ेगा और एक्सपोर्ट को पटरी पर लौटने में एक साल से ज्यादा समय लग सकता है.

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आगरा में करीब 150 औद्योगिक इकाइयां हैं जो अपने उत्पाद एक्सपोर्ट करती हैं और घरेलू उद्योग की बात करें तो यहां इसके 10,000 से ज्यादा यूनिट हैं. इसमें छोटे-बड़े मैन्युफैक्च रिंग यूनिट, माइक्रो लेवल मैन्युफैक्च रिंग यूनिट और हाउसहोल्ड जो घर-घर में जूते तैयार कर करते हैं, वे शामिल हैं.

आगरा फुटवेयर मैन्युफैक्च र्स एंड एक्सपोर्ट्स चैम्बर के महासचिव राजीव वासन ने आईएएनएस से कहा, "जूता व्यापार पर लॉकडाउन का बहुत बड़ा प्रभाव पड़ा है. चाइना से रॉ मटेरियल हमारे यहां बहुत इंपोर्ट किया जाता है. जैसे फोम, मेटल, ऑर्नामेंट, बक्कल, लेदर लाइनिंग, इलास्टिक, सिंथेटिक चीजें वगैरह. हमारे यहां जब तक अल्टरनेटिव एसेसरीज का इंफ्रास्ट्रक्च र नहीं होगा, तब तक हम चाइना से इम्पोर्ट के बिना अपना वजूद नहीं बचा पाएंगे. अब मन में एक भावना है कि हमें चीन से दूर जाना चाहिए और हम फुटवियर कंपोनेंट इंडस्ट्री को मजबूत करेंगे, जिससे कि हमें चाइना पर निर्भर न होना पड़े, लेकिन आत्मनिर्भर बनने में अभी समय लगेगा."

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उन्होंने बताया कि चीन से आगरा को 15 करोड़ रुपये से ज्यादा का कच्चा माल आयात होता है. लॉकडाउन की वजह से कई करोड़ का माल रास्ते में ही फंस गया है. इस वजह से आगरा में शू इंडस्ट्री को खासा नुकसान भी हो रहा है. यूरोपीय देशों में आगरा के जूतों की ज्यादा मांग है. लेकिन वहां अभी पुराना स्टॉक रखे होने की वजह से आगरा के जूता इंडस्ट्री के पास मांग कम है. साथ ही, यूरोपीय देशों से सर्दियों के ऑर्डर का आने का सीजन भी यही है, लेकिन अभी पुराने ऑर्डर ही पूरे किए जा रहे हैं.

Source : IANS

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