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करप्शन पर योगी सरकार की बड़ी कार्रवाई, 7 पीपीएस अफसरों को जबरन रिटायर किया

बिजली विभाग इंजीनियरों और कर्मचारियों के ईपीएफ में करीब 2267.90 करोड़ के घोटाले के बाद विपक्ष के निशाने पर आई उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने बड़ा कदम उठाया है.

Updated on: 07 Nov 2019, 01:02 PM

लखनऊ:

बिजली विभाग इंजीनियरों और कर्मचारियों के ईपीएफ में करीब 2267.90 करोड़ के घोटाले के बाद विपक्ष के निशाने पर आई उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. राज्य सरकार ने करप्शन और काम में लापरवाही बरतने वाले प्रांतीय पुलिस सेवा (पीपीएस) अधिकारियों को कार्रवाई की है. योगी सरकार ने बड़ा एक्शन लेते हुए 7 पीपीएस अधिकारियों को बर्खास्त कर दिया है.

इन अफसरों पर हुई कार्रवाई

नाम वर्तमान तैनाती
अरुण कुमार सहायक सेनानायक, 15वीं वाहिनी पीएसी, आगरा
विनोद कुमार राना पुलिस उपाधीक्षक, फैजाबाद
नरेंद्र सिंह राना पुलिस उपाधीक्षक, आगरा
रतन कुमार यादव सहायक सेनानायक, 33वीं वाहिनी पीएसी, झांसी
तेजवीर सिंह यादव सहायक सेनानायक, 27वीं वाहिनी पीएसी, सीतापुर
संतोष कुमार सिंह मंडलाधिकारी, मुरादाबाद
तनवीर अहमद खान सहायक सेनानायक, 30वीं वाहिनी पीएसी, गोंडा

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मिली जानकारी के मुताबिक, अभी और अधिकारियों पर गाज गिर सकती है. बताया जा रहा है कि 24 और अधिकारियों की फाइल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पास पहुंच चुकी है. जल्द ही इन अधिकारियों को लेकर कोई फैसला लिया जाएगा. 

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गौरतलब है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ 'जीरो टॉलरेंस' नीति का दावा करने वाली योगी सरकार ईपीएफ घोटाले को लेकर बुरी तरह से घिरी हुई है. इस घोटाले में तत्कालीन वित्त निदेशक सुधांशु द्विवेदी, महाप्रबंधक व सचिव ट्रस्ट प्रवीण कुमार गुप्ता और पूर्व एमडी एपी मिश्रा को गिरफ्तार किया जा चुका है. राज्य सरकार ने इस मामले की पूरी जांच को सीबीआई के हवाले कर दिया है. बता दें कि बिजली विभाग में जिन अधिकारियों पर इंजीनियरों व कर्मचारियों के सामान्य व अंशदायी भविष्य निधि की रकम को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी थी, उन्होंने इस निधि के 4122़ 70 करोड़ रुपये को असुरक्षित निजी कंपनी दीवान हाउसिंग फाइनेंस कारपोरेशन लिमिटेड (डीएचएफसीएल) में नियमों का उल्लंघन करके लगा दिया. मुंबई हाईकोर्ट द्वारा डीएचएफसीएल के भुगतान करने पर रोक लगाने के बाद बिजली कर्मियों के भविष्य निधि का 2267़ 90 करोड़ रुपये (मूलधन) फंस गया है.

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