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वाराणसी में ब्लैक फंगस का अटैक, बीएचयू में 2 और मरीजों की मौत

उत्तर प्रदेश के वाराणसी के बीएचयू में ब्लैक फंगस से 2 और लोगों की मौत हो गई है. दोनों मरीज सुपर स्पेशलिटी ब्लॉक में भर्ती थे. मरने वाले दोनों मरीज कोरोना के साथ ब्लैक फंगस से भी पीड़ित थे.

Updated on: 23 May 2021, 01:52 PM

highlights

  • वाराणसी में ब्लैग फंगस का अटैक
  • BHU में 2 और मरीजों ने जान गई
  • अभी भी 70 मरीज करा रहे इलाज

वाराणसी:

उत्तर प्रदेश के वाराणसी के बीएचयू में ब्लैक फंगस से 2 और लोगों की मौत हो गई है. दोनों मरीज सुपर स्पेशलिटी ब्लॉक में भर्ती थे. मरने वाले दोनों मरीज कोरोना के साथ ब्लैक फंगस से भी पीड़ित थे. इससे पहले भी बीएचयू में 2 मरीजों की मौत हो चुकी है. अब कुल मिलाकर बीएचयू में ब्लैक फंगस से मरने वालों की संख्या 4 हो गई है. वाराणसी के बीएचयू में अब तक ब्लैक फंगस के कुल 74 मरीज सामने आ चुके हैं, जिसमें 2 मरीज की पहले तो 2 मरीजों की अब मौत हो चुकी है. बाकी 33 मरीज पोस्ट कोविड वार्ड, 20 मरीज इमरजेंसी और 17 सुपर स्पेशलिटी ब्लॉक में इलाज करा रहे हैं.

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गौरतलब है कि कोरोना वायरस महामारी के बीच आया म्यूकोर्मिकोसिस यानी 'ब्लैक फंगस' अब लोगों पर तेजी से अटैक कर रहा है. देश के अन्य राज्यों की तरह उत्तर प्रदेश में भी ब्लैक फंगस लगातार लोगों को अपना शिकार बना रहा है. यूपी सरकार इस संक्रमण की बढ़ती संख्या को देखते हुए ब्लैक फंगस को महामारी घोषित कर चुकी है. अब तक राज्य में करीब 15 लोगों की जान ब्लैक फंगस की वजह से जा चुकी है. शुक्रवार को लखनऊ में 6 लोगों ने जान गंवाई थी. इसके अलावा मेरठ, गोरखपुर, प्रयागराज, फैजाबाद और कानपुर में भी मौतें हुई हैं. जबकि राज्य में ब्लैक फंगस के मामलों की संख्या 150 से अधिक पहुंच गई है.

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क्या है ब्लैक फंगस?

ब्लैक फंगस एक गंभीर लेकिन दुर्लभ फंगल संक्रमण है जो म्यूकोर्मिसेट्स नामक मोल्ड के समूह के कारण होता है, जो कोविड-19 रोगियों में विकसित हो रहा है. फंगल रोग आमतौर पर उन रोगियों में देखा जा रहा है, जिन्हें लंबे समय से स्टेरॉयड दिया गया था और जो लंबे समय से अस्पताल में भर्ती थे, ऑक्सीजन सपोर्ट या वेंटिलेटर पर थे. इसके अलावा यह स्वच्छता की कमी के कारण भी फैलता है. ऐसे मरीज भी इसकी चपेट में आए हैं, जिन्हें अस्पताल की खराब स्वच्छता का सामना करना पड़ा या जो अन्य बीमारियों जैसे मधुमेह के लिए दवा ले रहे थे. अगर समय पर इलाज न किया जाए तो ब्लैक फंगस का संक्रमण घातक हो सकता है. कोविड दवाएं शरीर को कमजोर और रोग प्रतिरोधक क्षमता कम कर सकती हैं. इससे मधुमेह और गैर-मधुमेह कोविड-19 रोगियों दोनों में रक्त शर्करा का स्तर भी बढ़ सकता है.