Jaipur connection of mahakumbh: महाकुंभ में जिन नागा बाबाओं के चमत्कार, उनके दर्शन और उनके इतिहास की चर्चा हो रही है, उन नागा बाबाओं का एक बड़ा मठ जयपुर में मौजूद है जिसका एक खास इतिहास है और राम जन्मभूमि मंदिर से भी नागा बाबाओं का गहरा रिश्ता जुड़ा है.
देश में महाकुंभ का पवित्र आयोजन हो रहा है. बड़ी संख्या में साधु संत महाकुंभ पहुंच रहे हैं. देश में नागा बाबाओं का एक इतिहास, बड़ा बलिदान और तपस्या रही है. ये बात बहुत कम लोगों को पता होगी कि राम जन्म भूमि में 30 साल तक जयपुर की नागा सेना ने पहरा दिया था. अयोध्या के रामलला और श्री रामजी के महलों और मंदिरों को बचाने के लिए जयपुर में बालानंद मठ के निर्मोही अखाड़े से जुड़े संत सैनिकों ने 30 साल तक सुरक्षा की कमान संभाली थी.
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संत सैनिकों ने 30 साल तक सुरक्षा की कमान संभाली
अयोध्या के रामलला और श्री रामजी के महलों और मंदिरों को बचाने के लिए जयपुर के बालानंद मठ के निर्मोही अखाड़े से जुड़े संत सैनिकों ने 30 साल तक सुरक्षा की कमान संभाली थी. बालानंद महाराज हिंदू समाज की रक्षा के लिए निर्मोही अखाड़े से जुड़े और सात अखाड़े भी गठित किए गए थे. स्वामी गोविंदानंद के नेतृत्व में अयोध्या में हजारों सैनिकों का पड़ाव रहा था. बताया जाता है कि वहां सात प्रकार का पहरा रहता था, जिसके तहत पांच कोस की अयोध्या परिक्रमा मार्ग पर सैनिक घुड़सवार रात दिन चलते. राम जन्मभूमि पर दो हथियार रखने वाले सैनिक तैयार रहते. पूजा पाठ से जुड़े सैनिक राम जन्मभूमि पर पहरा देते. हनुमानगढ़ी और विद्या कुंड में रिजर्व सैनिकों की छावनी रही.
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जयपुर के पौराणिक बालानंद मठ में कई दस्तावेज मौजूद
इस बारे में जयपुर के पौराणिक बालानंद मठ में कई दस्तावेज मौजूद हैं. जानकारी में मिलता है कि नागा बाबा राम जन्मभूमि की रक्षा के लिए बारह घंटे में पहरा बदलते थे. अखाड़ों की नागा छावनियों का खर्चा जयपुर रियासत उठाती रही थी. बताया जाता है कि गढ़मुक्तेश्वर, गया और जनकपुर के मठाधीश भीष्म दास महाराज अयोध्या सैनिक छावनी की रिपोर्ट बालानंद महाराज को भेजते थे. सवाई जयसिंह द्वितीय के समय सन् 1718 से 1731 तक और बाद में सन् 1735 से 1752 नागा संतों ने अयोध्या में सुरक्षा की कमान संभाली.
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छावनियों को जयसिंह खर्चा भेजते रहे
इतिहास में पढ़ने को मिलता है कि मठ से जुड़े गोविंदानंद और रघुनाथ दास की छावनियों को जयसिंह खर्चा भेजते रहे. जयसिंह की मृत्यु के बाद सवाई माधव सिंह प्रथम और सवाई प्रताप सिंह के समय तक अयोध्या की सैनिक छावनियों को जयपुर से रकम भेजी जाती रही. जयपुर के राधा किशन और सेवक राम अयोध्या में रहते थे.