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जानिए कौन हैं दिलीप वलसे पाटिल? जिन्हें मिला महाराष्ट्र के गृहमंत्री का पद

महाराषट्र के अंबेगांव इलाके से ताल्लुक रखने वाले दिलीप पाटिल 6 बार के विधायक (MLA) हैं. मौजूदा वक्त में दिलीप पाटिल उद्धव ठाकरे सरकार में एक्साइज और लेबर मिनिस्टर हैं.

Updated on: 05 Apr 2021, 08:52 PM

highlights

  • एनसीपी के नेता दिलीप वलसे पाटिल गृह मंत्री बनाए गए हैं
  • दिलीप पाटिल के पास महाराष्ट्र की राजनीति में लंबा अनुभव है
  • साल 1999 से लेकर साल 2008 तक कई मंत्रालयों का काम संभाल चुके हैं

मुंबई:

अनिल देशमुख ने सोमवार को महाराष्ट्र के गृह मंत्री के पद से भ्रष्टाचार के आरोपों पर इस्तीफा दे दिया है. अब इनकी जगह एनसीपी के ही नेता दिलीप वलसे पाटिल (Dilip Walse Patil) गृह मंत्री बनाए गए हैं. तो चलिए आपको बता दें कि दिलीप पाटिल के पास महाराष्ट्र की राजनीति में लंबा अनुभव है. वह साल 1999 से लेकर साल 2008 तक कई मंत्रालयों का काम संभाल चुके हैं. महाराषट्र के अंबेगांव इलाके से ताल्लुक रखने वाले दिलीप पाटिल 6 बार के विधायक (MLA) हैं. मौजूदा वक्त में दिलीप पाटिल उद्धव ठाकरे सरकार में एक्साइज और लेबर मिनिस्टर हैं. साल 1999 से 2008 के दौरान दिलीप पाटिल वित्त मंत्री, ऊर्जा मंत्री, उच्च और तकनीकी शिक्षा मंत्री रह चुके हैं. साथ ही 2009 और 2014 के बीच वो महाराष्ट्र विधानसभा में स्पीकर भी रहे.

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एनसीपी के ही नेता दिलीप वलसे पाटिल को शरद पवार का बेहद करीबी माना जाता है. दिलीप वलसे ने अपने सियासी सफर की शुरुआत एनसीपी प्रमुख शरद पवार के पर्सलन असिस्टेंट के तौर पर की थी. उनके पिता दत्तात्रेय वलसे पाटिल कांग्रेस के विधायक थे और शरद पवार के करीबा दोस्त. अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत दिलीप पाटिल ने कांग्रेस के किशनराव को अंबेगांव सीट से हराकर की थी. 

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बता दें कि मुंबई हाईकोर्ट के आदेश के बाद महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने सोमवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. कोर्ट ने सीबीआई को मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परम बीर सिंह की ओर से महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख पर लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच करने का आदेश दिया है उसके कुछ ही देर बाद गृहमंत्री ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया.

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एक शीर्ष राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता ने सोमवार को यहां इसकी जानकारी दी. एनसीपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री नवाब मलिक ने पत्रकारों को कहा, "उच्च न्यायालय के निर्देशों के तुरंत बाद, देशमुख ने राकांपा अध्यक्ष शरद पवार से मुलाकात की और निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के लिए इस्तीफे की पेशकश की."

मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जी.एस. कुलकर्णी की खंडपीठ ने सीबीआई को देशमुख के खिलाफ सिंह के आरोपों पर 15 दिनों के भीतर 'प्रारंभिक जांच' करने का निर्देश दिया है. उच्च न्यायालय के फैसले के बाद, पवार द्वारा एक उच्च-स्तरीय एनसीपी बैठक बुलाई गई थी जिसमें उपमुख्यमंत्री अजीत पवार और अन्य वरिष्ठ नेता भी चर्चा में मौजूद थे. विपक्षी भाजपा भी देशमुख के इस्तीफे की मांग कर रही थी.