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दिग्विजय सिंह और उमंग सिंघार पर हो सकती है कार्रवाई, अनुशासन समिति को सौंपी गई रिपोर्ट

कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह और मध्य प्रदेश के कैबिनेट मंत्री उमंग सिंघार को लेकर मध्य प्रदेश कांग्रेस के अंदर सियासी घमासान छिड़ा हुआ है.

Updated on: 08 Sep 2019, 04:33 PM

भोपाल:

कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह और मध्य प्रदेश के कैबिनेट मंत्री उमंग सिंघार को लेकर मध्य प्रदेश कांग्रेस के अंदर सियासी घमासान छिड़ा हुआ है. लेकिन अब इन दोनों बड़े नेताओं पर  गलत बयानबाजी को लेकर कार्रवाई हो सकती है. राज्य के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने दोनों के बीच हुई बयानबाजी की रिपोर्ट अनुशासन समिति को सौंप दी है. अनुशासन कमेटी के चेयरमैन ए.के. एंटनी अब इसकी जांच करेंगे. जिसके बाद जांच रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई होगी.

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बताया जा रहा है कि दिग्विजय सिंह और उमंग सिंगार के बीच हुई गलत बयानबाजी की वजह से कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी बेहद नाराज हैं. दोनों नेता पिछले कई दिनों से लगातार बयानबाजी की वजह से सुर्खियों में हैं. जिसके बाद क्षेत्रीय नेताओं की रस्साकशी और सियासी बयानबाजी के बीच आलाकमान की नींद उड़ी हुई है. पिछले दिनों कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मध्य प्रदेश के बड़बोले नेताओं पर सख्ती दिखाई थी. उन्होंने नेताओं को अनर्गल बयानबाजी करने से मना किया था.

बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह द्वारा कमलनाथ सरकार के मंत्रियों को लिखी चिट्ठी के बार पूरा बवाल शुरू हुआ. था. बीते दिनों दिग्विजय सिंह ने काम के सिलसिले में मंत्रियों को पत्र लिखकर चर्चा के लिए मिलने का समय मांगा था. इस पर वन मंत्री उमंग सिंघार ने सख्त ऐतराज जताते हुए दिग्विजय सिंह पर पीछे से सरकार चलाने के आरोप लगाए थे. इतना ही नहीं उमंग ने दिग्विजय को 'ब्लैकमेलर नंबर वन' तक कह डाला. साथ ही यह आरोप लगाया कि दिग्विजय रेत के अवैध खनन में शामिल हैं.

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जानकारी के मुताबिक, सिंघार ने पार्टी अध्यक्ष के अलावा प्रदेश पार्टी प्रभारी बावरिया को भी खत लिखा था, जिसमें दिग्विजय सिंह पर गंभीर आरोप लगाए थे. पूर्व मुख्यमंत्री सिंह पर लगाए गए आरोपों पर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सिंघार को तलब किया था और उन्हें बयानबाजी से बचने के निर्देश दिए थे. इसी बीच राज्य के प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया ने सभी मंत्रियों और नेताओं के लिए एक गाइडलाइन जारी करते हुए निर्देश दिए थे कि कोई भी नेता और मंत्री पार्टी से जुड़ी बात पार्टी स्तर पर ही उठाए और इसके लिए मीडिया का सहारा न ले.

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