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जल्द साफ हवा में सांस ले पाएंगे 'दिल्ली वाले', पराली से खाद बनाने की तैयारी में दिल्ली सरकार

दिल्ली में हवा की गुणवत्ता का स्तर हमेशा खतरे के निशान से ऊपर रहता है. लॉकडाउन की वजह से दिल्ली की हवा में काफी सुधार हुआ था लेकिन अनलॉकिंग के साथ दिल्ली की हवा एक बार फिर से दूषित होती जा रही है.

Updated on: 16 Sep 2020, 04:49 PM

नई दिल्ली:

दिल्ली में बढ़ता प्रदूषण केवल दिल्ली की जनता के लिए ही नहीं बल्कि सरकार के लिए भी एक बड़ी मुसीबत है. दिल्ली में हवा की गुणवत्ता का स्तर हमेशा खतरे के निशान से ऊपर रहता है. लॉकडाउन की वजह से दिल्ली की हवा में काफी सुधार हुआ था लेकिन अनलॉकिंग के साथ दिल्ली की हवा एक बार फिर से दूषित होती जा रही है. दिल्ली में प्रदूषण की कई बड़ी वजहें हैं, जिनमें से पराली भी एक बड़ा कारण है.

लिहाजा, दिल्ली सरकार पराली से सीधे खाद बनाने की तैयारी कर रही है. इससे राजधानी के लोगों को हर साल जाड़े के दिनों में पराली के धुंए की वजह से सांस लेने में होने वाली दिक्कत दूर होगी. दिल्ली सरकार के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बुधवार को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पूसा, दिल्ली का दौरा कर यहां केमिकल की मदद से पराली से खेत में ही सीधे खाद बनाने की विकसित की गई तकनीक (बॉयो डी-कंपोजर) को देखा.

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इस तकनीक की मदद से खेतों में पराली जलाने की समस्या का समाधान होने की उम्मीद है. गोपाल राय ने कहा कि दिल्ली के किसानों को दिल्ली सरकार सभी सुविधाएं उपलब्ध कराएगी, जबकि पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसानों को वहां की सरकारें सुविधाएं उपलब्ध कराएंगी. इसके लिए हम राज्य सरकारों, केंद्र सरकार और केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय से बात करेंगे.

गोपाल राय ने कहा कि दिल्ली के अंदर खास तौर पर जाड़े के समय में प्रदूषण की समस्या भयंकर रूप से उत्पन्न होती है. पिछले साल हमने देखा था कि दिल्ली का जो प्रदूषण है, उसके अलावा 44 प्रतिशत पराली की वजह से था जिससे नवंबर के महीने में दिल्ली के लोगों को सांस के संकट का सामना करना पड़ा था.

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दिल्ली के अंदर पराली बहुत कम पैदा होती है, लेकिन पंजाब के अंदर 20 मिलियन टन पराली पैदा होती है, जिसमें से पिछले साल का जो आंकड़ा है, वहां पर करीब 9 मिलियन टन पराली जलाई गई है. हरियाणा के अंदर करीब 7 मिलियन टन पराली पैदा होती है, जिसमें से 1.23 मिलियन टन पराली जलाई गई थी और उसकी वजह से दिल्ली के लोगों को प्रदूषण का सामना करना पड़ा था.

पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि केंद्र सरकार ने एक योजना बनाई है, जिसमें पराली के लिए किसानों को कुछ मदद दी जाती है, उसके लिए मशीन खरीदी जाती है, जिसमें आधा पैसा किसानों को देना पड़ता है और आधा पैसा सरकार देती है.

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पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि अगर यह मॉडल सफल होता है, तो हरियाणा, पंजाब और यूपी में भी यह लागू किया जाए, जिससे कि सरकारें पराली की समस्या का निदान कर सकें. किसानों को भी दिक्कत न हो और दिल्ली वालों को भी सांस लेने में दिक्कत न हो.

गोपाल राय ने कहा कि जैसा कि हम जानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के द्वारा अभी आदेश दिया गया है कि पराली जलाने की समस्या का निदान हर हाल में करना है. इस बात को लेकर दिल्ली सरकार काफी सचेत है और जो पूसा में डी-कंपोजर विकसित किया गया है, इसके माध्यम से हम लोगों ने उत्तर प्रदेश सरकार से भी बात की है.