दिल्ली का एक अस्पताल कोरोना से पीड़ित बुजुर्ग मरीजों को दे रहा मोनोक्लोनल एंटीबॉडी थेरेपी
कोविड-19 बीमारी को रोकने के लिए एक सफल उपचार के रूप में अपने दो अत्यंत उच्च जोखिम वाले कोरोना वायरस बुजुर्ग रोगियों को मंगलवार को सफलता पूर्वक मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कॉकटेल (मैक) थेरेपी देकर, उनमें गंभीर जटिलताएं विकसित होने से बचाया.
नई दिल्ली:
दिल्ली के एक हॉस्पिटल ने गंभीर कोविड-19 बीमारी को रोकने के लिए एक सफल उपचार के रूप में अपने दो अत्यंत उच्च जोखिम वाले कोरोना वायरस बुजुर्ग रोगियों को मंगलवार को सफलता पूर्वक मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कॉकटेल (मैक) थेरेपी देकर, उनमें गंभीर जटिलताएं विकसित होने से बचाया. 70 साल के सुनीरमल घटक को दिल की एक जानी-मानी समस्या थी, जिनकी पहले स्टेंटिंग के साथ एंजियोप्लास्टी हुई थी. उन्हें पिछले सप्ताह के अंत में भर्ती कराया गया था. 65 वर्षीय सुरेश कुमार त्रेहन दो दिन पहले सांस लेने में गंभीर तकलीफ के साथ अस्पताल आये थे और वे सांस लेने में तकलीफ के कारण लेटने में असमर्थ थे. उन्हें पहले किसी बीमारी का कोई इतिहास नहीं था. उनकी इकोकार्डियोग्राफी में केवल 25% के इजेक्शन फ्रैक्शन के साथ तनावपूर्ण हृदय देखा गया. अच्छी बात यह थी कि दोनों में ऑक्सीजन सैचुरेनशन 95% से अधिक था और लक्षण विकसित होने के 3 दिनों के भीतर ही अस्पताल आ गए.
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इस नई प्रक्रिया और इसके उपयोग पर बात करते हुए दिल्ली के एक हॉस्पिटल के वरिष्ठ निदेशक और विभागाध्यक्ष डॉ संदीप नायर ने कहा, “कोविड-19 से उबरने वाले अधिकांश लोग वायरस के खिलाफ एक रक्षा तंत्र के रूप में एंटीबॉडी का उत्पादन करते हैं और अब वैज्ञानिकों ने पाया कि वे प्रयोगशाला में इन एंटीबॉडी का काफी उत्पादन कर सकते हैं. मोनोक्लोनल एंटीबॉडी एक एंटीबॉडी की आइडेंटिकल कॉपी हैं जो एक विशिष्ट एंटीजन को लक्षित करती हैं. इस उपचार का उपयोग पहले इबोला और एचआईवी जैसे संक्रमणों के इलाज के लिए किया गया है. अध्ययनों के अनुसार कोविड-19 के लिए यह 'एंटीबॉडी कॉकटेल ट्रीटमेंट' हल्के से मध्यम और गंभीर बीमारी वाले मामलों को बढ़ने से रोक सकता है जिसके लिए 70% मामलों में अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता होती है."
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ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) के अनुसार, इस थेरेपी के लिए रोगियों के चयन के लिए आवश्यक है कि उनके पास कोविड पॉजिटिव टेस्ट रिपोर्ट हो, हल्के से मध्यम कोविड रोग हो, उम्र 12 वर्ष और उससे अधिक हो, वजन कम से कम 40 किलोग्राम हो, और कोविड-19 संक्रमण के उच्च जोखिम में हों. कोविड-19 की पुष्टि वाले रोगियों के लिए मोनोक्लोनल एंटीबॉडी से उपचार लक्षणों की शुरुआत के 10 दिनों के भीतर शुरू करने की आवश्यकता है. हालांकि, ऑक्सीजन सपोर्ट वाले लोग इस थेरेपी का लाभ नहीं उठा सकते हैं.
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डॉ नायर ने आगे कहा, “यह उपचार सबसे प्रभावी तब होता है जब कोविड-19 टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव आने के कुछ दिनों के भीतर ही उपचार शुरू किया जाता है. यदि कोई व्यक्ति कोविड-19 लक्षणों का अनुभव करना शुरू कर देता है और एक उच्च जोखिम वाले समूह का हिस्सा है, तो उसे जल्द से जल्द अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए और यह पता लगाना चाहिए कि क्या यह उपचार उसके लिए सही होगा या नहीं. यह चिकित्सा सबसे प्रभावी होती है यदि रोग के शुरू होते ही जितनी जल्दी हो सके यह चिकित्सा ले ली जाए. यह चिकित्सा जितना जल्दी शुरू कर दी जाए उतना ही अच्छा है, भले ही रोगी उस समय तक बहुत बुरा महसूस न कर रहा हो. उच्च जोखिम वाले रोगियों में, जब लक्षण कम गंभीर होते हैं, जल्द उपचार लेने से, बीमारी की प्रगति को रोकने में मदद मिल सकती है, वरना अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता होती है. हालांकि, इस उपचार को प्राप्त करने के लिए चिकित्सक से परामर्श और प्रेस्क्रिप्शन अनिवार्य हैं."
मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कॉकटेल थेरेपी एक इंट्रावेनस (आईवी) इंफ्युजन के माध्यम से या त्वचा के नीचे के मार्ग (सबक्यूटेनिअस रूट) के माध्यम से दी जाती है और इस थेरेपी को करने के लिए लगभग एक घंटे की आवश्यकता होती है, इसके बाद रोगी को एक घंटा निगरानी और देखरेख में रखने की आवश्यकता होती है. थेरेपी देने के बाद, रोगी को कुछ घंटों की निगरानी के बाद छुट्टी दे दी जाती है. भले ही किसी मरीज ने मोनोक्लोनल एंटीबॉडी थेरेपी ली हो, फिर भी, कोविड-19 टेस्ट पॉजिटिव किसी भी रोगी को क्वारंटीन में रहने की आवश्यकता होती है.
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