तेजस्वी यादव ने नीतीश पर की सवालों की बौछार, मुख्यमंत्री को झूठा भी बताया

तेजस्वी ने कहा कि बिहार पिछले 15 वर्षों में तरक्की की जगह बर्बादी की ओर बढ़ता गया. आज भी बाढ़ जैसी विभीषिका अगर तबाही मचाती है तो उसके जिम्मेदार सिर्फ और सिर्फ़ नीतीश कुमार हैं.

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Dalchand Kumar
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तेजस्वी ने नीतीश पर की सवालों की बौछार, मुख्यमंत्री को झूठा भी बताया( Photo Credit : News Nation)

बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी बयानबाजी तेज है. चुनावी दौर में विपक्ष लगातार सरकार के कामकाज पर सवाल उठा रहा है. इसी कड़ी में बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर बड़ा हमला बोले हुए उन्हें झूठा करार दिया है. तेजस्वी ने कहा कि बिहार पिछले 15 वर्षों में तरक्की की जगह बर्बादी की ओर बढ़ता गया. आज भी बाढ़ जैसी विभीषिका अगर तबाही मचाती है तो उसके जिम्मेदार सिर्फ और सिर्फ़ नीतीश कुमार हैं.

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तेजस्वी यादव ने शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा, 'बाढ़ से बिहार के 16 जिले, 130 प्रखंड, 1331 पंचायत, 84 लाख आबादी प्रभावित हो चुकी है. हमारे कई बार कहने के बाद मुख्यमंत्री आनन-फानन में केवल दो बार हलीकॉप्टर से यात्रा करने गए. हम जानना चाहते हैं कि अब तक वायु सेना के कितने हेलीकॉप्टर कितने दिन चले हैं?' उन्होंने कहा कि अगर मॉनसून हर साल एक ही समय पर आता है तो आखिर सरकार क्यों नहीं तैयारी करती है?

तेजस्वी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में सभी मुद्दों को उठाते हुए नीतीश सरकार पर सवालों की झड़ी लगा दी. उन्होंने कहा, 'बिहार बाढ़ से सबसे ज़्यादा प्रभावित होता है, लेकिन यहां बाढ़ नियंत्रण और सिंचाई का प्रति व्यक्ति खर्च 104.40 रुपये है, जबकि राष्ट्रीय औसत 199.20 रुपये है. साल दर साल हज़ारों करोड़ रुपये नीतीश सरकार बाढ़ के नाम पर डकार जाती है, लेकिन इसके नियंत्रण और रोकथाम पर अभी तक एक भी प्रभावी काम नहीं कर पाई है.'

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राजद नेता ने कहा, 'अपने 15 वर्ष के शासन काल में नीतीश कुमार ने एक भी नए तटबंध, डैम या बैराज नहीं बनाए, जिससे की बाढ़ के खतरे और उसके कारण नुकसान को कम किया जा सके. नीतीश का एक अजीबोगरीब नुस्खा है, सभी समस्याओं का- भगवान भरोसे छोड़ दो, धीरे धीरे स्वयं कोई भी परेशानी चाहे वो बाढ़ हो या कोरोना हो खत्म हो जाएगा.' तेजस्वी ने कहा कि जो मुख्यमंत्री सदन में झूठ बोलता हो, उस पर जनता कैसे विश्वास कर पाएगी.

उन्होंने कहा, 'कोरोना का सबसे बुरा असर गरीबों, मजदूरों पर पड़ा है. लगभग 40 लाख प्रवासी मजदूर बाहर से आए. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को निर्देशित भी किया था कि प्रवासियों के रोजगार की व्यवस्था कराई जाए. सरकार ने बड़े ताम-झाम से स्किल मैपिंग करने की बात कही थी. मैं सरकार से पूछना चाहूंगा कि कितने लोगों का पंजीयन किया गया और उनको रोजगार उपलब्ध कराने की अद्धतन स्तिथि क्या है?'

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नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी ने कहा, 'सरकार मनरेगा के कार्य दिवस सृजन करने को अगर रोजगार देना मानती है, जिसमें सिर्फ निर्माण कार्य ही होते हैं तो फिर स्किल मैपिंग का क्या औचित्य रह गया? मनरेगा के अलावा क्या सरकार ने दूसरे क्षेत्रों में एक भी रोज़गार के अवसर सृजित किए? आखिर आज भी सरकार द्वारा 1000 रुपये की आर्थिक सहायता राशि आधे से ज्यादा लोगों को क्यों नहीं मिल पाई?'

उन्होंने कहा कि मैंने जून में सरकार से मांग की थी कि प्रतिदिन 100 रुपये भत्ता के रूप में कम से कम 100 दिनों का भत्ता जो 10,000 रुपये है, सभी बेरोजगार कामगारों को दें. सरकार बताए उसने इस दिशा में क्या काम किया है? तेजस्वी ने पूछा, 'नीतीश बताएं कि CM-रिलीफ़ फंड में कितने पैसे मिले और उनका खर्च कहां किया गया? कोरोना के कारण उत्पन्न आर्थिक संकट से उबरने के लिए क्या रोडमैप है उनके पास? केंद्र सरकार से कोरोना के लिए क्या कोई विशेष वित्तीय अनुदान मिला है?'

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