CM नीतीश के बयान 'जो पियेगा , वो मरेगा' पर सुशील मोदी का पलटवार-'...तो क्या जो पलटी मारेगा वो राज करेगा?'
सुशील मोदी ने तंज कसते हुए कहा है कि जो पिएगा वो मरेगा, तो क्या जो पलटी मारेगा वो राज करेगा?
highlights
- सीएम नीतीश के बयान पर बीजेपी का पलटवार
- सुशील मोदी का सवाल-पलटी मारनेवाला राज करेगा क्या?
Patna:
छपरा शराब कांड में अबतक आधिकारिक तौर पर 71 लोगों की मौत होने की पुष्टि हो चुकी है हालांकि, ये भी कहा जा रहा है कि जिन मृतकों के शवों का पोस्टमार्टम किए बिना दाह संस्कार कर दिया गया है उनकी भी मौतें जहरीली शराब पीने के कारण ही हुई हैं. अब इस मुद्दे पर सड़क से लेकर सदन तक बीजेपी सूबे की महागठबंधन सरकार को घेर रही है. ताजा मामले में बीजेपी से राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने सूबे के सीएम नीतीश कुमार पर बिना नाम लिए तंज कसा है. दरअसल, उन्होंने तंज कसते हुए कहा है कि जो पिएगा वो मरेगा, तो क्या जो पलटी मारेगा वो राज करेगा?
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इससे पहले सुशील मोदी ने शराब की वजह से छपरा में हुई मौतों को लेकर सूबे की सरकार पर हमला करते हुए आरोप लगाया कि सारण में जहरीली शराब से मरने वालों की संख्या 100 पार, आंकड़े सरकार छिपा रही है और कहा कि गरीब आश्रितों को मिले मुआवजा, इसे प्रतिष्ठा का प्रश्न न बनायें मुख्यमंत्री. साथ ही सवालिया लहजे में पूछा कि 35 हजार करोड़ के नुकसान, 1000 मौतों के बाद भी शराबबंदी की समीक्षा क्यों नहीं ?
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सुशील मोदी ने कहा कि उन्होंने कहा कि बिहार को 35 हजार करोड़ की राजस्व क्षति, जहरीली शराब वाले 1000 से ज्यादा लोगों की मौत और 6 साल में 4 लाख गरीबों के जेल जाने के बाद भी क्या शराबबंदी की समीक्षा नहीं होनी चाहिए? भाजपा शुरू से पूर्ण मद्यनिषेध नीति का समर्थन करती रही है, लेकिन नीतीश सरकार इसे लागू करने में पूरी तरह विफल है. सरकार की नाकामी के कारण शराबबंदी ने पुलिस-प्रशासन के लोगों को 10 हजार करोड़ की अवैध कमाई करने और गरीबों को प्रताड़ित करने की खुली छूट दी. क्या इन बातों की समीक्षा नहीं होनी चाहिए ?
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सुशील मोदी ने आगे कहा कि सारण में जहरीली शराब से मरने वालों की संख्या 100 से ज्यादा हो चुकी है. राज्य सरकार वास्तविक आंकड़े छिपा रही है. मृतकों के परिवारों को पुलिस धमका रही है, इसलिए लोग दूसरी जगह जाकर अन्त्येष्टियां कर रहे हैं. शराब पीने वालों पर परिवार का कोई जोर नहीं चलता. जहरीली शराब से मौत होने पर मुसीबतें परिवार पर टूटती हैं, इसलिए उन्हें मुआवजा मिलना चाहिए. नीतीश कुमार गरीब, पिछड़ा, अतिपिछड़ा और दलित समाज के विरोधी हो गए हैं. उन्हें मुआवजे को प्रतिष्ठा का प्रश्न नहीं बनाना चाहिए.
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