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शराब कांड: सुशील मोदी का बड़ा आरोप, कहा-'गिरफ्तारी और सजा के सरकारी आंकड़े हैं फर्जी '

सुशील मोदी ने कहा कि जहरीली शराब कांड में मौत, गिरफ्तारी और सजा के जो आंकड़े सरकार द्वारा प्रस्तुत किए जा रहे हैं वो फर्जी है.

Updated on: 27 Dec 2022, 09:20 AM

highlights

  • सुशील मोदी का नीतीश सरकार पर बड़ा आरोप
  • शराब कांड के फर्जी आंकड़े पेश करने का लगाया आरोप
  • शराब कांड के मृतकों के परिजनों के लिए मुआवजे की मांग

Patna:

बिहार में जहरीली शराब पीकर हुई लोगों की मौतों को लेकर एक बार फिर से बीजेपी से राज्यसभा सांसज सुशील मोदी ने सूबे की नीतीश सरकार परकरारा हमला बोला है. सुशील मोदी ने कहा कि जहरीली शराब कांड में मौत, गिरफ्तारी और सजा के जो आंकड़े सरकार द्वारा प्रस्तुत किए जा रहे हैं वो फर्जी है. उन्होंने ये भी कहा कि गोपालगंज कांड में दोषी पाए गए लोगों के खिलाफ ठोस सबूत सरकार कोर्ट में नहीं पेश कर पाई और नतीजा सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया. उन्होंने सवालिया लहजे में पूछा है कि जहरीली शराब बेचने वालों से वसूली पर रोक को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती क्यों नहीं दी गई?

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एक बार फिर से सुशील मोदी ने शराब कांड के मृत परिजनों के लिए मुआवजे की मांग की है. उन्होंने कहा कि गोपालगंज की घटना में 14 पीड़ित परिवारों को उत्पाद कानून की धारा-42 के तहत 4-4 लाख रुपये मुआवजा दिया गया था. अब सरकार कैसे कह सक रही है कि शराबकांड के पीड़ितों को मुआवजा देने का प्रावधान नहीं है ? उन्होंने कहा कि जहरीली शराब बेचने के दोषियों से मुआवजा वसूलने की कार्रवाई पर जब हाईकोर्ट ने रोक लगा दी, तब सरकार ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील क्यों नहीं की?

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सुशील कुमार मोदी ने जहरीली शराब के मुद्दे पर  सवालों का सिलसिला जारी रखते हुए आरोप लगाया कि सरकार इस मामले में फर्जी आंकड़े जारी कर रही है. उन्होंने कहा कि जदयू के प्रवक्ता जहरीली शराबकांड में मौत, सजा और गिरफ्तारी के फर्जी आंकड़े परोस रहे हैं.

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सुशील मोदी ने मांग की है कि सरकार जहरीली शराब से मौत के छह साल के वर्षवार आंकड़े आधिकारिक रूप से वेबसाइट पर जारी क्यों नहीं करती? उन्होंने आगे कहा कि गोपालगंज के जहरीली शराबकांड में 19 लोगों की मौत हुई, जबकि राज्य सरकार ने केवल 6 लोगों के मरने की जानकारी केंद्र सरकार को क्यों दी ? इस घटना मे स्थानीय अदालत ने जिन 13 अभियुक्तों को फांसी या उम्र कैद की सजा सुनायी, वे सभी साक्ष्य के अभाव में हाईकोर्ट से बरी हो गए. सरकार मृतकों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट और  गवाह पेश करने में नाकाम क्यों रही?