बिहार में मरीजों के साथ 'रेफर-रेफर' खेलनेवाले डॉक्टरों की जाएगी नौकरी!
रीजों को उच्च अस्पतालों में रेफर करने से पहले संबंधित डॉक्टर को पूरा व ठोस कारण बताना पड़ेगा. अगर डॉक्टर ऐसा नहीं करते हैं तो उनकी नौकरी तक जा सकती है.
highlights
- बिहार में लागू हुई रेफरल पॉलिसी
- बिना ठोस कारण के मरीजों को डॉक्टर नहीं कर सकेंगे रेफर
- अब रेफर नहीं, डॉक्टरों को करना होगा इलाज
Patna:
बिहार के सरकारी अस्पतालों में अक्सर ऐसा देखने को मिला है कि मामला थोड़ा भी सीरियस हो तो सदर अस्पताल तक के डॉक्टर हाथ खड़े कर लेते हैं और मरीज को बड़े अस्पतालों में रेफर कर देते हैं लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. दरअसल, सूबे के डिप्टी सीएम सह स्वास्थ्य मंत्री तेजस्वी यादव ने फरमान जारी किया है कि मरीजों को उच्च अस्पतालों में रेफर करने से पहले संबंधित डॉक्टर को पूरा व ठोस कारण बताना पड़ेगा. अगर डॉक्टर ऐसा नहीं करते हैं तो उनकी नौकरी तक जा सकती है.
दरअसल, डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने पटना में कार्यक्रम में स्वास्थ्य पदाधिकारियों को जल्द से जल्द रेफरल पॉलिसी लागू करने का निर्देश दिया था और अब अब पॉलिसी लागू कर दी गई है। रेफरल पॉलिसी के अनुसार बिना रेफरल कार्ड के मरीजों को बड़े अस्पतालों में ट्रांसफर नहीं किया जाएगा.
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बता दें कि, बिहार में मरीजों को बड़े अस्पतालों में रेफर करते समय अबतक किसी भी रेफरल मानक का पालन नहीं किया जाता थाय सरकारी हॉस्पिटल में काम कर रहे डॉक्टर सिर्फ एक पर्ची पर सिर्फ रेफर लिखकर मरीजों को चलता कर अपनी ड्यूटी खत्म मान लेते थे और इसका नतीजा ये हो गया था कि मरीजों को उपचार नहीं मिलता था औऱ इलाज के अभाव में उनकी या तो रास्ते में मौत हो जाती थी या फिर बड़े अस्पताल में पहुंचने के बाद. क्योंकि सारा समय मरीजों का रेफर-रेफर के खेल में चला जाता था.
जब इस बात की भनक तेजस्वी यादव को लगी तो उन्होंने कड़ा एक्शन लिया और अब बिना ठोस कारण के मरीजों को बड़े अस्पतालों में रेफर करने की डॉक्टरों की आदतों पर नकेल कसने के लिए रेफरल पॉलिसी को लागू कर दिया है.
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क्या है रेफरल पॉलिसी?
रेफरल पॉलिसी में हर बीमारियों के लिए एक मानक पहले से ही तय किया गया है कि किस तरह के मरीज को निचली अस्पतालों में इलाज मिलना चाहिए और किस तरह के मरीजों को बड़े अस्पतालों में रेफर करना चाहिए. साथ ही मरीजों को रेफर करने के लिए विभाग द्वारा रेफरल कार्ड भी बनाया गया है. रेफरल कार्ड में डॉक्टर को मरीजों से संबंधित पूरी जानकारी, उसके बीमारी से जुड़ी जानकारी, उसका क्या-क्या इलाज अस्पताल लाने पर किया गया और क्यों रेफर किया जा रहा है ये सब बताना होगा. अगर ऐसा डॉक्टर के द्वारा नहीं किया जाता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी और उसकी नौकरी तक जा सकती है.
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