बिहार चुनाव में रैलियों को मिली इजाजत, कोरोना से मौत पर चुनाव कर्मियों को 30 लाख मुआवजा

मुख्य चुनाव आयुक्त बताया कि कई राजनीतिक पार्टियों ने कोरोना काल में सोशल डिस्टेंसिंग का मुद्दा उठाया है. पोस्टल बैलेट के बारे में कुछ पार्टियों ने बात की है. बुजुर्ग और विकलांग मतदाताओं को समय पर वोटिंग की अपील की गई.

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Shailendra Kumar
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मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा( Photo Credit : न्यूज नेशन )

बिहार विधान सभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. निर्वाचन आयोग ने वर्चुअल रैली के साथ चुनावी सभाओं का आयोजन राजनीतिक दल कर सकते है. मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने गुरुवार को पटना में मीडिया से बात करते हुए कहा, निर्वाचन आयोग राज्य में सुरक्षित, निष्पक्ष और शांतिपूर्ण चुनाव कराने के लिये कटिबद्ध है. सुनील अरोड़ा ने बताया कि राज्य सरकार ने अधिसूचना जारी कर दी है कि निर्वाचन कर्मियों की कोरोना से मौत होने पर 30 लाख रुपये मुआवजा राशि का भुगतान किया जाएगा. मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि इस चुनाव में सिर्फ वर्चुअल चुनाव प्रचार ही नहीं, बल्कि एक्चुअल चुनावी सभाएं भी होंगी. आयोग ने जनसभा और रैलियों को लेकर सभी जिलों के जिलाधिकारी से उपलब्ध हॉल और ग्राउंड की सूची तैयार करायी है. कुछ स्थानों पर मैदानों में गोलाकार निशान भी बनाए गए हैं, जिससे सोशल डिस्टेंसिंग के तहत ऐसी सभाओं का आयोजन करवाया जा सके.

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मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने कहा, यह चुनाव कोरोना संकट में हो रहा है जो कोई आसान काम नहीं, बल्कि मुश्किल है. हालांकि, कोरोना संक्रमण के दौर में भी चुनाव कराना कोई गलत फैसला भी नहीं कहा जा सकता है. साथ ही चुनाव आयुक्त ने कहा, सोशल मीडिया से धार्मिक और जातीय भावनाओं को भड़काया गया तो बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और IT और IPC एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी.

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मुख्य चुनाव आयुक्त बताया कि कई राजनीतिक पार्टियों ने कोरोना काल में सोशल डिस्टेंसिंग का मुद्दा उठाया है. पोस्टल बैलेट के बारे में कुछ पार्टियों ने बात की है. बुजुर्ग और विकलांग मतदाताओं को समय पर वोटिंग की अपील की गई. उन्होंने यह भी कहा कि केवल वर्चुअल कैम्पेन नहीं बल्कि एक्चुअल कम्पैन भी होंगे. जिलावार हॉल और ग्राउंड की सूची तलब की गई है.

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सुनील अरोड़ा ने कहा कि डीएम और एसपी की मदद से यह काम सीईओ देखेंगे. 2 गज की दूरी का मानक रखना होगा जरूरी होगा. उन्होंने कहा कि राज्यसभा और विधानसभा चुनाव में काफी अंतर होता है इसके मद्देनजर आयोग ने कई निर्णय लिए हैं. इननमें पोलिंग स्टेशन की संख्या 65, 000 से बढ़ाकर 1 लाख 6 हजार से अधिक की गई है. 2015 में जहां 6.7 करोड़ वोटर थे, वहीं 2020 में 7.29 करोड़ मतदाता बिहार में हैं.

Source : News Nation Bureau

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