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सुशांत सिंह की मौत के बाद डिप्रेशन पर रॉबिन उथप्पा ने कही बड़ी बात, आपको भी जाननी चाहिए

भारत की 2007 की टी-20 विश्व कप जीत का हिस्सा रहे रॉबिन उथप्पा ने हाल ही में कुछ दिन पहले कहा था कि वह डिप्रेशन में थे और उनके दिमाग में आत्महत्या करने के विचार आ रहे थे.

Updated on: 15 Jun 2020, 07:47 AM

New Delhi:

बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह (Sushant Singh Rajput) की मौत पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए भारतीय क्रिकेटर रॉबिन उथप्पा (Robin Uthappa) ने कहा है कि अगर आप ठीक नहीं हो तो यह बुरी बात नहीं है और जरूरी है कि हम उस पर चर्चा करें जो हमारे अंदर चल रहा है. सुशांत सिंह ने रविवार को अपने बांद्रा स्थित घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी. पुलिस ने इस बात की जानकारी दी. हालांकि अभी यह साफ नहीं है लेकिन ऐसी चचार्एं हैं कि वह डिप्रेशन से जूझ रहे थे.

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भारत की 2007 की टी-20 विश्व कप जीत का हिस्सा रहे रॉबिन उथप्पा ने हाल ही में कुछ दिन पहले कहा था कि वह डिप्रेशन में थे और उनके दिमाग में आत्महत्या करने के विचार आ रहे थे. रॉबिन उथप्पा ने ट्वीट किया, समझ से परे. आप जिस दर्द से गुजरे हो उसके बारे में सोच भी नहीं सकता. मेरी दुआएं आपके परिवार और दोस्तों के साथ हैं. भगवान आपकी आत्मा को शांति दे. उन्होंने लिखा, मैं इसे बार-बार नहीं दोहरा सकता. हम जो महसूस कर रहे हैं उसके बारे में बात करने की जरूरत है. हम जितना समझते हैं उससे ज्यादा मजबूत होते हैं. अगर आप ठीक नहीं हैं तो कोई बात नहीं है. 34 साल के सुशांत बिहार के थे. उन्होंने पटना और नई दिल्ली में पढ़ाई की थी, इसके बाद वो मुंबई चले गए.

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आपको बता दें कि भारत की 2007 T20 विश्व कप विजेता टीम के अहम सदस्य रहे रॉबिन उथप्पा ने पिछले ही दिनों इस बात का खुलासा किया था कि अपने कैरियर में वह दो साल तक अवसाद और आत्महत्या के ख्यालों से जूझते रहे. क्रिकेट ही एकमात्र वजह थी, जिसने उन्हें ‘बालकनी से कूदने’ से रोका. भारत के लिए 46 वनडे और 13 T20 अंतरराष्ट्रीय मैच खेल चुके रॉबिन उथप्पा को इस साल आईपीएल में राजस्थान रॉयल्स ने तीन करोड़ रूपये में खरीदा था.

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रॉबिन उथप्पा ने रॉयल राजस्थान फाउंडेशन के लाइव सत्र ‘माइंड, बॉडी एंड सोल’ में कहा था कि मुझे याद है 2009 से 2011 के बीच यह लगातार हो रहा था और मुझे रोज इसका सामना करना पड़ता था. मैं उस समय क्रिकेट के बारे में सोच भी नहीं रहा था. उन्होंने कहा, मैं सोचता था कि इस दिन कैसे रहूंगा और अगला दिन कैसा होगा, मेरे जीवन में क्या हो रहा है और मैं किस दिशा में आगे जा रहा हूं. क्रिकेट ने इन बातों को मेरे जेहन से निकाला. मैच से इतर दिनों या आफ सीजन में बड़ी दिक्कत होती थी. रॉबिन उथप्पा ने कहा, मैं उन दिनों में इधर उधर बैठकर यही सोचता रहता था कि मैं दौड़कर जाऊं और बालकनी से कूद जाऊं. लेकिन किसी चीज ने मुझे रोके रखा. रॉबिन उथप्पा ने कहा कि इस समय उन्होंने डायरी लिखना शुरू किया. उन्होंने कहा, मैंने एक इंसान के तौर पर खुद को समझने की प्रक्रिया शुरू की. इसके बाद बाहरी मदद ली, ताकि अपने जीवन में बदलाव ला सकूं. इसके बाद वह दौर था जब आस्ट्रेलिया में भारत ए की कप्तानी के बावजूद वह भारतीय टीम में नहीं चुने गए.

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उन्होंने कहा था कि पता नहीं क्यों, मैं कितनी भी मेहनत कर रहा था, लेकिन रन नहीं बन रहे थे. मैं यह मानने को तैयार नहीं था कि मेरे साथ कोई समस्या है. हम कई बार स्वीकार नहीं करना चाहते कि कोई मानसिक परेशानी है. इसके बाद 2014- 15 रणजी सत्र में रॉबिन उथप्पा ने सर्वाधिक रन बनाए. उन्होंने अभी क्रिकेट को अलविदा नहीं कहा है लेकिन उनका कहना है कि अपने जीवन के बुरे दौर का जिस तरह उन्होंने सामना किया, उन्हें कोई खेद नहीं है. उन्होंने कहा, मुझे अपने नकारात्मक अनुभवों का कोई मलाल नहीं है क्योंकि इससे मुझे सकारात्मकता महसूस करने में मदद मिली. नकारात्मक चीजों का सामना करके ही आप सकारात्मकता में खुश हो सकते हैं.

(आईएएनएस इनपुट)