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संन्यास : सुनील गावस्कर का समय सही, कपिल के लिए मिला-जुला, धोनी....

संन्यास को लेकर भारतीय क्रिकेट टीम के खिलाड़ियों में काफी असमंजस की स्थिति रही है. महान सलामी बल्लेबाज सुनील गावस्कार ने शानदार लय में रहते हुए खेल को अलविदा कहा, जबकि सचिन तेंदुलकर ने भी ऐसा करने में थोड़ा समय लिया.

Updated on: 17 Aug 2020, 08:42 AM

New Delhi:

संन्यास को लेकर भारतीय क्रिकेट टीम के खिलाड़ियों में काफी असमंजस की स्थिति रही है. महान सलामी बल्लेबाज सुनील गावस्कार (Sunil Gavaskar) ने शानदार लय में रहते हुए खेल को अलविदा कहा, जबकि सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) ने भी ऐसा करने में थोड़ा समय लिया तो वही कपिल देव (Kapil Dev) ने इसमें दो साल की देरी की. सुनील गावस्कर (Sunil Gavaskar) ने 1986 में घोषणा कर दी थी कि 1987 की शुरुआत में पाकिस्तान के खिलाफ टेस्ट सीरीज उनके करियर की आखिरी टेस्ट सीरीज होगी जबकि रिलायंस विश्व कप (1987) के बाद वह खेल के सभी प्रारूपों को अलविदा कह देंगे. 

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सुनील गावस्कर के उत्तराधिकारी माने जाने वाले और क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर का करियर उस समय परवान चढ़ा जब भारत में सेटेलाइट टेलीविजन का चलन बढ़ रहा था. यह ऐसा समय था जब जगमोहन डालमिया के नेतृत्व में भारतीय क्रिकेट ने अपने वास्तविक मूल्य को पहचाना. सचिन तेंदुलकर ने अपने के दम पर ‘भगवान’ का तमगा हासिल किया. करियर के आखिरी दौर में उनमें वह दमखम नहीं था, जिसके लिए उन्हें जाना जाता है. उन्होंने बीसीसीआई को संन्यास की योजना के बारे में पहले ही बता दिया और बोर्ड ने भी उन्हें निराश नहीं किया. 

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भारत के सबसे महान आलराउंडर खिलाड़ी माने जाने वाले कपिल देव करियर के आखिरी दौर में बिल्कुल बेरंग हो गए थे. वेस्टइंडीज के खिलाफ घुटने पर गेंद लगने के बाद वह लंगड़ाते हुए फरीदाबाद के नाहर सिंह स्टेडियम के मैदान से बाहर निकले. इसके कुछ दिन बाद दिवाली के दिन उन्होंने संन्यास की घोषणा कर दी. हर किसी को हालांकि लगता था कि उन्होंने ऐसा करने में दो-तीन साल देर कर दी. जवागल श्रीनाथ अपने सर्वश्रेष्ठ दिनों में 1991 से 1994 तक टेस्ट मैच नहीं खेल सकें, क्योंकि कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन और मैनेजर अजित वाडेकर इंतजार कर रहे थे कि कपिल कब रिचर्ड हेडली के टेस्ट विकेट का रिकार्ड तोड़ेंगे. करियर के दौरान कई शानदार पारी खेलने वाले अजित वाडेकर भी संन्यास के समय खलनायक बन गए थे. भारतीय टीम को 1971 में वेस्टइंडीज और इंग्लैड में जीत दिलाने वाले वाडेकर 1974 में इंग्लैंड से 0-3 से सीरीज गंवाने के बाद खलनायक बन गए थे. भारतीय टीम के इस कप्तान को चयनकर्ताओं ने इसके बाद राष्ट्रीय टीम को छोडिये पश्चिमी क्षेत्र की टीम में भी शामिल नहीं किया. 

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हाल के वर्षों में सौरव गांगुली का संन्यास भी विवादित रहा. इसके बाद टेस्ट टीम के कप्तान अनिल कुंबले ने भी कहा कि वह अपना शत प्रतिशत नहीं दे पा रहे और उन्होंने भी संन्यास की घोषणा कर दी. राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण ने अपने करियर का आखिरी टेस्ट मैच एडिलेड में 2011-12 के ऑस्ट्रेलिया दौरे के दौरान एक साथ खेला था. राहुल द्रविड ने इस दौरे के बाद संन्यास की घोषणा कर दी जबकि लक्ष्मण ने थोड़ा इंतजार किया. न्यूजीलैंड सीरीज से पहले तत्कालीन कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी पर फोन कॉल नहीं लेने का आरोप लगाते हुए खेल को अलविदा कह दिया.