India Beats Australia: शुभमन गिल की सफलता का राज़ आया सामने

भारत के पूर्व तेज गेंदबाज करसन घावरी ने युवा सलामी बल्लेबाज शुभमन गिल की तारीफ करते हुए कहा है कि निडर होकर खेलना इस युवा बल्लेबाज की ताकत है.

भारत के पूर्व तेज गेंदबाज करसन घावरी ने युवा सलामी बल्लेबाज शुभमन गिल की तारीफ करते हुए कहा है कि निडर होकर खेलना इस युवा बल्लेबाज की ताकत है.

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Ankit Pramod
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शुभमन गिल ( Photo Credit : https://www.iplt20.com/)

भारत के पूर्व तेज गेंदबाज करसन घावरी ने युवा सलामी बल्लेबाज शुभमन गिल की तारीफ करते हुए कहा है कि निडर होकर खेलना इस युवा बल्लेबाज की ताकत है. गिल ने मंगलवार को ब्रिस्बेन के गाबा मैदान पर ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ चौथे और अंतिम टेस्ट में 91 रनों की पारी खेली. उनकी इस पारी के सहारे भारत ने ऑस्ट्रेलिया को तीन विकेट से हराकर 2-1 से टेस्ट सीरीज जीत ली. घावरी बचपन से ही गिल की प्रतिभा से अवगत थे. गिल जब छोटे थे तब घावरी ने सुखविंदर सिंह गिल से अपने बेटे को नेट्स पर भेजने का अनुरोध किया था और वादा किया था कि इस बल्लेबाज को सभी तरह की सुविधाएं दी जाएगी.  गिल जब 10-11 साल के थे, तभी उन्होंने अंडर-19 तेज गेंदबाजों का सामना करना शुरू कर दिया था. ये वे तेज गेंदबाज थे, जो अपने अपने राज्यों का प्रतिनिधित्व कर रहे थे.

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घावरी ने आईएएनएस से कहा गिल ने खिलाड़ियों के साथ घुलना-मिलना शुरू कर दिया, उनके साथ भोजन किया. हम उन्हें हर रोज 30-40 मिनट तक बल्लेबाजी कराते थे. हम तेज गेंदबाजों से नई गेंदों के साथ उन्हें अभ्यास कराते थे. वह अंडर-19 तेज गेंदबाजों को इतनी अच्छी तरह से खेल रहा था कि मैं हैरान था. मैंने सुशील कपूर (अकादमी के प्रशासनिक प्रबंधक और पीसीए के एक उच्च पदस्थ अधिकारी) को फोन किया और उनसे कहा कि वे लड़के की देखभाल करें और उसे अंडर-14 में शामिल कर लें. वह सहमत गए. गिल को अंडर-14 में शामिल किया गया और वहां उन्हें खेलाया गया और उन्होंने स्कोर करना शुरू कर दिया.

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कपूर कहते हैं कि गिल के अंदर छोटी उम्र से ही निडरता आनी शुरू हो गई थी और वह लगातार अपने से ज्यादा उम्र के गेंदबाजों का सामना कर रहे थे. कपूर ने कहा अगर आपने गौर किया हो तो वह तेज गेंदबाजों को हमेशा सीधा खेलते हैं. वह पुल या हुक शॉट खेलने से नहीं डरते. आस्ट्रेलिया के खिलाफ वह कभी भी दूर नहीं हुए और उन्होंने गाबा की पिच पर पैट कमिंस एंड कंपनी के खिलाफ निडर होकर अपने शॉट्स खेले. यह साहस उन्हें अपने उन शुरुआती वर्षों के अभ्यास से आया है, जब वह सात-आठ साल की उम्र के गेंदबाजों का सामना कर रहे थे. गिल जब मोहाली अकादमी से बाहर निकले तब भी घावरी ने गिल पर नजर बनाए रखा.

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कपूर ने कहा अकादमी छोड़ने के दो साल बाद, घावरी ने मुझे बेंगलोरु से फोन किया और मुझे शुभमन का ख्याल रखने को कहा. घावरी ने मुझसे कहा कि गिल बहुत प्रतिभाशाली हैं और उन्हें संवारने की जरूरत है. मैंने उन्हें बताया कि हम उन्हें अंडर-14 और अंडर-16 में खेला रहे हैं. वह शुभमन से बेहद प्रभावित थे. उन्होंने कहा शुभमन के अंदर रनों की भूख थी. मैंने उनके अंदर यह बात शुरू से ही देखा है. वह 50-60 रन से संतुष्ट नहीं होंगे और वह बड़े स्कोर के लिए जाएंगे.

Source : IANS

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