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राफेल की तैनाती के लिए अंबाला एयरबेस ही क्यों... ये है वजह

लम्बे इंतजार के बाद आज राफेल (Rafale) फाइटर अंबाला एयरबेस (Ambala Air base) पर लैंड करेंगे. दिल्ली से महज 200 किमी की दूरी पर स्थित अंबाला एयरबेस रणनीतिक महत्व का स्क्वाड्रन रहा है, जो दिल्ली में वेस्टर्न एयर कमांड के अधिकार में आता है.

Updated on: 29 Jul 2020, 04:16 PM

अंबाला:

लम्बे इंतजार के बाद आज राफेल (Rafale) फाइटर अंबाला एयरबेस (Ambala Air base) पर लैंड करेंगे. दिल्ली से महज 200 किमी की दूरी पर स्थित अंबाला एयरबेस रणनीतिक महत्व का स्क्वाड्रन रहा है, जो दिल्ली में वेस्टर्न एयर कमांड के अधिकार में आता है. फरवरी 2019 में पाकिस्तान के बालाकोट में एयरस्ट्राइक के लिए मिराज यहीं से उड़े थे. 1999 के कारगिल युद्ध के समय में भी अंबाला के इस एयरबेस ने अहम भूमिका निभाई थी, जब 234 ऑपरेशनल उड़ानें यहां से भरी गई थीं. यहां पर भारत के जंगी बेड़े की सबसे घातक और सुपरसोनिक मिसाइल, ब्रह्मोस की स्क्वाड्रन भी तैनात है.

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अंबाला एयरफोर्स स्टेशन से भारत-पाक की सीमा सिर्फ 220 किलोमीटर है जबकि, चीन की सीमा यहां से करीब 450 किलोमीटर है. यानी कुछ ही मिनटों पर एक्शन के लिए हमारे फाइटर जेट्स तैयार. अंबाला एयरफोर्स स्टेशन भारतीय वायुसेना का वो एयरफोर्स स्टेशन है जिसे पाकिस्तान ने तबाह करने की साजिश रची थी. लेकिन पाकिस्तान कुछ कर पाता उससे पहले हमारे जवानों ने उसकी बदनीयत को जमींदोज कर दिया था.

अंबाला एयरफोर्स स्टेशन भारतीय वायुसेना के पश्चिमी एयर कमांड के तहत आता है. साल 1965 और 71 की लड़ाई हो या 1999 में करगिल की जंग, अंबाला एयरफोर्स स्टेशन से उड़े लड़ाकू विमानों ने दुश्मन के छक्के छुड़ाए हैं. देश की आजादी के बाद अंबाला में पहली एयरस्ट्रिप बनाई गई. यहां पर उस समय सेपेकैट जगुआर फाइटर जेट्स के स्क्वाड्रन 5 और स्क्वाड्रन 14 थे. यहीं पर उस समय के सबसे खतरनाक फाइटर जेट्स मिस-21बाइसन का भी बेस था. 1948 में ही फ्लाइंग इंस्ट्रक्शन स्कूल बनाया गया लेकिन 1954 में इसे चेन्नई के पास तम्बरम में शिफ्ट कर दिया गया.

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देश भर में 60 एयर स्टेशन हैं. जिनमें अंबाला एयरफोर्स स्टेशन वायुसेना की लिस्ट में दूसरे नंबर पर आता है. ये सारे एयरफोर्स स्टेशन भारतीय वायुसेना के 7 कमांड्स के अधीन हैं. जो अलग-अलग समय पर जरूरत पड़ने पर काम करते हैं. अंबाला एयरफोर्स स्टेशन से ही वो मिराज फाइटर जेट्स उड़ाए गए थे जिन्होंने पाकिस्तान के बालाकोट में एयरस्ट्राइक की थी. दुश्मन की सीमा में जाकर 30 मिनट में मिशन पूरा करे सारे मिराज फाइटर जेट्स वापस आ गए थे. भारतीय वायुसेना के पश्चिमी एयर कमांड में आने वाले अंबाला एयरफोर्स स्टेशन ने 1947-48 में कश्मीर में ऑपरेशन किए, जब पाकिस्तानी घुसपैठियों को भगाया.

1962 में चीन 1965 और 1971 में पाकिस्तान को चलाई धूल
इसी कमांड ने 1962 में भारत चीन युद्ध में अहम भूमिका निभाई थी. 1965 और 1971 की जंग में पाकिस्तान को भी सबक सिखाया था. इसी कमांड से श्रीलंका में 1986 में ऑपरेशन पवन और 1999 में करगिल में ऑपरेशन सफेद सागर चलाया गया था. 1965 में पाकिस्‍तान ने जंग के समय अंबाला एयरफोर्स स्‍टेशन पर भी बम गिराए थे. 20 सितंबर 1965 को तड़के 3 बजे पाकिस्‍तान के फाइटर जेट ने अंबाला एयरबेस को निशाना बनाया. मकसद अंबाला एयरबेस को ध्वस्त करना था लेकिन जो बम गिरा वो चर्च पर गिरा. सबसे खतरनाक लड़ाई हुई थी 1971 में. इस जंग में अंबाला एयरफोर्स स्टेशन को उजाड़ने का पाकिस्तान ने पूरा प्रयास किया था. पाकिस्तानी एयरफोर्स ने 3 दिसंबर 1971 को शाम 5 बजकर 47 मिनट पर श्रीनगर पर 12 सेबर फाइटर जेट से, अमृतसर में चार मिराज और पठानकोट पर चार सेबर से हमला किया. शाम 6 बजे से सुबह 4.30 तक पाकिस्तान ने 60-70 सॉ़र्टी मारी.

पाकिस्तान ने इस दौरान अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पर पांच हमले किए. अमृतसर पर दो. अवंतीपुर, फरीदकोट, हलवाड़ा, सिरसा और सरसावा पर भी हमले किए. लेकिन ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचा पाए. सिर्फ अमृतसर के रनवे का कुछ हिस्सा खराब हुआ था. इन हमलों के ठीक बाद 14 दिसंबर 1971 को फ्लाइंग ऑफिसर निर्मल जीत सिंह सेखों अपने जीनैट विमान के साथ रूटीन फ्लाइंग पर थे. अचानक उनपर पाकिस्तान के 6 सेबर फाइटर जेट ने हमला कर दिया. निर्मल जीत सिंह सेखों ने दो फाइटर जेट मार गिराए. लेकिन तब भी चार फाइटर जेट्स उन्हें घेरकर हमला करते रहे. निर्मल जीत सिंह सेखों ने अंतिम दम तक उन पाकिस्तानी फाइटर जेट्स से संघर्ष करते रहे. सेखों इकलौते वायुसैनिक हैं, जिन्हें परमवीर चक्र मिला हुआ है.

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1971 के युद्ध को एयरफोर्स का फाइनेस्ट ऑवर कहा जाता है. 14 दिन की लड़ाई में वायुसेना के लड़ाकू विमानों ने 11,549 उड़ानें भरीं. इस दौरान 4509 सिर्फ पश्चिमी एयर कमांड से भरी गईं. हवा से इतने बम और रॉकेट दागे कि पाकिस्तानी फौज को घुटनों के बल आना पड़ा. पाकिस्तानी फोर्स के इंचार्ज लेफ्टिनेंट जनरल एएके नियाजी ने भारतीय सेना के सामने सरेंडर किया.

क्या है नंबर 17 स्क्वाड्रन
राफेल विमान न केवल वायु सेना को नई ऊर्जा और शक्ति देंगे बल्कि नंबर 17 स्क्वाड्रन को दोबारा जीवन भी देंगे. अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पर वायु सेना के इस स्क्वाड्रन को 2016 में भंग कर दिया गया था, लेकिन पिछले साल 11 सितंबर को इसे राफेल विमान की आमद के चलते फिर जीवन मिलना शुरू हुआ. 1951 में जब इस स्क्वाड्रन की स्थापना हुई थी, जब हार्वर्ड- II B की उड़ानें इसके अधिकार में थीं. इसके बाद से डि हैविलैंड वैम्पायर, हॉकर हंटर, मिग 21 और अब राफेल इस स्क्वाड्रन का हिस्सा होंगे.