डिजिटल इंडिया के सही मायने में पहले आर्किटेक्ट थे राजीव गांधी, 7 बड़े काम
राजीव गांधी भारत में दूरसंचार क्रांति लेकर आए. आज जिस डिजिटल इंडिया की चर्चा है, उसकी परिकल्पना राजीव गांधी ने अपने जमाने में रखी.
नई दिल्ली:
सन् 84 में अपने ही बॉडीगार्ड द्वारा तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) की नृशंस हत्या के बाद देश के समक्ष एक बड़ा प्रश्न था कि अब प्रधानमंत्री कौन? इसका जवाब जल्द ही मिल गया जब पायलट की नौकरी छोड़ कर लौटे इंदिरा गांधी के बड़े बेटे 40 वर्षीय राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) को देश की कमान सौंप दी गई. वह देश के सबसे युवा प्रधानमंत्री थे, जिन्हें कंप्यूटर क्रांति का जनक भी करार दिया जाता है. उन्होंने अपने पांच साल के कार्यकाल में विवाद और उपलब्धियां दोनों ही हासिल कीं. हालांकि उन्होंने कुछ ऐसे काम किए, जिन्हें 21वीं सदी के भारत की सशक्त नींव करार दिया जा सकता है.
इसलिए पड़ा राजीव नाम
उनका पूरा नाम राजीव रत्न गांधी था. बताते हैं कि इनका नाम राजीव इसलिए रखा गया क्योंकि जवाहरलाल नेहरु की पत्नी का नाम कमला था और राजीव का मतलब कमल होता है. कमला की याद को ताजा बनाए रखने के लिए नेहरुजी ने राजीव नाम रखा. 1980 में उन्होंने राजनीति में प्रवेश किया था. 1984 में प्रधानमंत्री बनने के बाद के पांच वर्षों में ही इस युवा प्रधानमंत्री ने अपने कार्यों से देश की जनता के दिलोदिमाग में अमिट छाप छोड़ी. एक ही कार्यकाल में कई ऐसे कार्य किए, जिसके लिए उन्हें आज भी याद किया जाता है.
यह भी पढ़ेंः देश समाचार राहुल गांधी ने दी राजीव गांधी को श्रद्धांजलि, बोले- मुझे गर्व है...
दूररसंचार क्रांति
राजीव गांधी भारत में दूरसंचार क्रांति लेकर आए. आज जिस डिजिटल इंडिया की चर्चा है, उसकी परिकल्पना राजीव गांधी ने अपने जमाने में रखी. हालांकि उस वक्त कई राजनीतिक दलों ने उनका जबर्दस्त विरोध किया, लेकिन इस बारे में निर्णय करने के बाद राजीव गांधी ने अपने पैर वापस नहीं खींचे औऱ देश में कंप्यूटरीकरण और दूरसंचार क्रांति का दौर शुरू हुई. यही कारण हैं कि उन्हें डिजिटल इंडिया का आर्किटेक्ट और सूचना तकनीक और दूरसंचार क्रांति का जनक कहा जाता है. राजीव गांधी की पहल पर अगस्त 1984 में भारतीय दूरसंचार नेटवर्क की स्थापना के लिए सेंटर फॉर डेवेलपमेंट ऑफ टेलीमैटिक्स (C-DOT) की स्थापना हुई. इस पहल से शहर से लेकर गांवों तक दूरसंचार का जाल बिछना शुरू हुआ. जगह-जगह पीसीओ खुलने लगे, जिससे गांव की जनता भी संचार के मामले में देश-दुनिया से जुड़ सकी. फिर 1986 में राजीव की पहल से ही एमटीएनएल की स्थापना हुई, जिससे दूरसंचार क्षेत्र में और प्रगति हुई.
वोट देने की उम्र सीमा घटाई
आज जिस युवा वर्ग को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सबसे ज्यादा तवज्जों देते हैं, वास्तव में उसे सशक्त बनाने की पहल राजीव गांधी ने ही की थी. पहले देश में वोट देने की उम्र 21 वर्ष थी, मगर युवा सोच वाले प्रधानमंत्री राजीव गांधी की नजर में यह गलत थी. ऐसे में उन्होंने 18 वर्ष की उम्र के युवाओं को मताधिकार देकर उन्हें देश के प्रति और जिम्मेदार तथा सशक्त बनाने की पहल की. 1989 में संविधान के 61वें संशोधन के जरिए वोट देने की उम्र 21 से घटाकर 18 वर्ष कर दी गई. इस प्रकार अब 18 वर्ष के करोड़ों युवा भी अपना सांसद, विधायक से लेकर अन्य निकायों के जनप्रतिनिधियों को चुन सकते थे.
यह भी पढ़ेंः देश समाचार राजीव गांधी की 75वी जयंती पर प्रधानमंत्री मोदी ने दी श्रद्धांजलि
कंप्यूटर क्रांति
देश में पहले कंप्यूटर आमजन की पहुंच से दूर थे. मगर राजीव गांधी ने अपने वैज्ञानिक मित्र सैम पित्रोदा के साथ मिलकर देश में कंप्यूटर क्रांति लाने की दिशा में काम किया. राजीव गांधी का मानना था कि विज्ञान और तकनीक की मदद के बिना उद्योगों का विकास नहीं हो सकता. उन्होंने कंप्यूटर तक आमजन की पहुंच को आसान बनाने के लिए कंप्यूटर उपकरणों पर आयात शुल्क घटाने की पहल की. भारतीय रेलवे में टिकट जारी होने की कंप्यूटरीकृत व्यवस्था भी इन्हीं पहलों की देन रही. हालांकि राजीव गांधी के प्रधानमंत्री बनने से पहले 1970 में देश में पब्लिक सेक्टर में कंप्यूटर डिविजन शुरू करने के लिए डिपार्टमेंट ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स की शुरुआत हो गई थी. 1978 तक आईबीएम पहली कंपनी थी, बाद में दूसरी प्राइवेट सेक्टर की कंपनियों ने कंप्यूटर निर्माण शुरू किया.
पंचायती राज यानी जड़ों को सशक्त बनाने की मुहिम
पंचायतीराज से जुड़ी संस्थाएं मजबूती से विकास कार्य कर सकें, इस सोच के साथ राजीव गांधी ने देश में पंचायतीराज व्यवस्था को सशक्त किया. राजीव गांधी का मानना था कि जब तक पंचायती राज व्यवस्था सबल नहीं होगी, तब तक निचले स्तर तक लोकतंत्र नहीं पहुंच सकता. उन्होंने अपने कार्यकाल में पंचायतीराज व्यवस्था का पूरा प्रस्ताव तैयार कराया. 21 मई 1991 को हुई हत्या के एक साल बाद राजीव गांधी की सोच को तब साकार किया गया, जब 1992 में 73वें और 74वें संविधान संशोधन के जरिए पंचायतीराज व्यवस्था का उदय हुआ. राजीव गांधी की सरकार की ओर से तैयार 64 वें संविधान संशोधन विधेयक के आधार पर नरसिम्हा राव सरकार ने 73 वां संविधान संशोधन विधेयक पारित कराया. 24 अप्रैल 1993 से पूरे देश में पंचायती राज व्यवस्था लागू हुई. जिससे सभी राज्यों को पंचायतों के चुनाव कराने को मजबूर होना पड़ा. पंचायतीराज व्यवस्था का मकसद सत्ता का विकेंद्रीकरण रहा.
यह भी पढ़ेंः बाज़ार 2 हजार अरब डॉलर के मार्केट कैप वाली दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी बनी Apple
नवोदय विद्यालय
गांवों के बच्चों को भी उत्कृष्ट शिक्षा मिले, इस सोच के साथ राजीव गांधी ने जवाहर नवोदय विद्यालयों की नींव डाली थी. ये आवासीय विद्यालय होते हैं. प्रवेश परीक्षा में सफल मेधावी बच्चों को इन स्कूलों में प्रवेश मिलता है. बच्चों को छह से 12 वीं तक की मुफ्त शिक्षा और हॉस्टल में रहने की सुविधा मिलती है. राजीव गांधी ने शिक्षा क्षेत्र में भी क्रांतिकारी उपाय किए. उनकी सरकार ने 1986 में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NPE) की घोषणा की.इसके तहत पूरे देश में उच्च शिक्षा व्यवस्था का आधुनिकीकरण और विस्तार हुआ.
पहले उदारवादी?
मशहूर इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने अपनी किताब ‘इंडिया आफ्टर गांधी’ में राजीव के हवाले से लिखा है, भारत लगातार नियंत्रण लागू करने के एक कुचक्र में फंस चुका है. नियंत्रण से भ्रष्टाचार और चीजों में देरी बढ़ती है. हमें इसको खत्म करना होगा. राजीव गांधी ने कुछ सेक्टर्स में सरकारी नियंत्रण को खत्म करने की कोशिश भी की. यह सब 1991 में बड़े पैमाने पर नियंत्रण और लाइसेंस राज के खात्मे की शुरुआत थी. राजीव ने इनकम और कॉर्पोरेट टैक्स घटाया, लाइसेंस सिस्टम सरल किया और कंप्यूटर, ड्रग और टेक्सटाइल जैसे क्षेत्रों से सरकारी नियंत्रण खत्म किया. साथ ही कस्टम ड्यूटी भी घटाई और निवेशकों को बढ़ावा दिया. बंद अर्थव्यवस्था को बाहरी दुनिया की खुली हवा महसूस करवाने का यह पहला मौका था. क्या उनको आर्थिक उदारवाद के शुरुआत का थोड़ा बहुत श्रेय नहीं मिलना चाहिए?
यह भी पढ़ेंः देश समाचार SSR Case: CBI जांच से बैकफुट पर BMC, अब क्वरंटीन की रखी ये शर्त
गिराई चीन की दीवार
राजीव गांधी ने दिसंबर 1988 में चीन की यात्रा की. यह एक ऐतिहासिक कदम था. इससे भारत के सबसे पेचीदा पड़ोसी माने जाने वाले चीन के साथ संबंध सामान्य होने में काफी मदद मिली. 1954 के बाद इस तरह की यह पहली यात्रा थी. सीमा विवादों के लिए चीन के साथ मिलकर बनाई गई ज्वाइंट वर्किंग कमेटी शांति की दिशा में एक ठोस कदम थी. राजीव गांधी की चीनी राष्ट्रपति डेंग शियोपिंग के साथ खूब पटरी बैठ. बताते हैं कि राजीव गांधी से 90 मिनट चली मुलाकात में डेंग ने उनसे कहा था, तुम युवा हो, तुम्हीं भविष्य हो. अहम बात यह है कि डेंग कभी किसी विदेशी राजनेता से इतनी लंबी मुलाकात नहीं करते थे.
Don't Miss
वीडियो
IPL 2024
-
PBKS vs RCB : शतक से चूके कोहली, पटीदार और ग्रीन की तूफानी पारी, बेंगलुरु ने पंजाब को दिया 242 रनों का लक्ष्य
-
GT vs CSK Pitch Report : अहमदाबाद की कैसी होगी पिच, बल्लेबाज मचाएंगे धमाल या गेंदबाज मारेंगे बाजी
-
PBKS vs RCB Dream11 Prediction : पंजाब और बेंगलुरु के मैच में ये हो सकती है बेस्ट ड्रीम11 टीम, इसे चुनें कप्तान
मनोरंजन
धर्म-कर्म
-
Akshaya Tritiya Shubh Muhurat: सिर्फ इस शुभ मुहूर्त में खरीदा गया गोल्ड ही देगा शुभ-लाभ
-
Jyotish Shastra: इस राशि के लोग 6 जून तक बन जाएंगे धनवान, जानें आपकी राशि है या नहीं
-
Kedarnath Opening Date 2024: सुबह इतने बजे खुलेंगे बाबा केदारनाथ के कपाट, 10 टन फूलों से की जा रही है सजावट
-
Akshaya Tritiya Mantra: अक्षय तृतीया के दिन जपने चाहिए देवी लक्ष्मी के ये मंत्र, आर्थिक स्थिति होती है मजबूत