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सोनिया गांधी के सामने भिड़े युवा-बुजुर्ग कांग्रेसी, मनीष तिवारी ने भी खोला मोर्चा!

वरिष्ठ कांग्रेसी नेता कपिल सिब्बल (Kapil Sibbal) की आत्मनिरीक्षण की सलाह पर राहुल गांधी के करीबी युवा सांसद राजीव सातव ने खरी-खरी सुना दी. रही सही कसर कांग्रेस सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी (Manish Tewari) ने पूरी कर दी.

Updated on: 31 Jul 2020, 09:46 AM

नई दिल्ली:

कांग्रेस (Congress) का अंदरूनी सिर फुटव्वल कम होने का नाम नहीं ले रहा है. अगर यूं कहें कि राजस्थान सियासी संकट (Rajasthan Political Crisis) के बाद 'ओल्ड-न्यू गार्ड' की अदावत खुलकर सामने आ गई है, तो गलत नहीं होगा. कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) के सामने तो इस बार बुजुर्ग और युवा नेता खुलकर सामने आ गए. वरिष्ठ कांग्रेसी नेता कपिल सिब्बल (Kapil Sibbal) की आत्मनिरीक्षण की सलाह पर राहुल गांधी के करीबी युवा सांसद राजीव सातव ने खरी-खरी सुना दी. रही सही कसर कांग्रेस सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी (Manish Tewari) ने पूरी कर दी. उन्होंने शुक्रवार को ट्वीट कर सार्वजनिक तौर पर ही सवाल पूछ लिया कि 2014 में कांग्रेस की हार के लिए संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) की भूमिका की जांच क्यों नहीं होनी चाहिए.

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कपिल सिब्बल ने दी आत्मनिरीक्षण की सलाह
दरअसल गुरुवार को पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने राज्यसभा के सांसदों की बैठक बुलाई थी. इस बैठक में शामिल एक नेता ने कहा कि राहुल गांधी के पूरी ताकत झोंकने के बाद भी यह हो रहा है. पूर्व मंत्री चिदंबरम ने कहा कि पार्टी का जिला और ब्लॉक स्तर पर संगठन कमजोर है. कपिल सिब्बल ने शीर्ष से लेकर निचले स्तर तक आत्मनिरीक्षण की सलाह दे डाली. उन्होंने कहा कि हमें पता करना चाहिए कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है?

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राहुल के करीबी नेता ने सिब्बल को घेरा
अंग्रेजी समाचारपत्र इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता सिब्बल के इस बयान पर राज्यसभा सांसद और राहुल के करीबी राजीव सातव ने कड़ा प्रतिरोध किया. उनका कहना था कि कोई भी आत्मनिरीक्षण तब से होना चाहिए जब हम सत्ता में थे. उन्होंने कहा कि 2009 से 2014 तक का आत्मनिरीक्षण करना चाहिए. और तो और, उन्होंने यूपीए सरकार में मंत्री रहे सिब्बल पर निशाना साधते हुए कहा कि उनके प्रदर्शन का भी आकलन होना चाहिए. उन्होंने कहा कि अगर यूपीए-2 में समय पर आत्मनिरीक्षण हो जाता तो 2014 में कांग्रेस को 44 सीटें नहीं मिलती.

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कुछ ने फिर लगाई राहुल गांधी अध्यक्ष की मांग
जैसे-जैसे बैठक आगे बढ़ती गई पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की राजनीतिक रणनीति और संगठन की कमजोरियों को दुरुस्त करने की बात तेज होती गई. इसके साथ ही युवा कांग्रेसी नेताओं की बहस भी. बताते हैं कि बातचीत के दौरान सांसद पीएल पूनिया, रिपुन बोरा और छाय वर्मा ने मांग की कि राहुल गांधी को फिर से पार्टी का अध्यक्ष बनाया जाना चाहिए. सूत्रों के अनुसार, कुछ वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार कोरोना महामारी, चीन की आक्रमकता और अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर बुरी तरह फेल रही है. उन्होंने कहा कि इसके बाद भी कांग्रेस की बात लोग सुन नहीं रहे हैं और बीजेपी को समर्थन मिल रहा है.

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मनीष तिवारी ने दागे यूपीए पर सवाल
रही सही कसर पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने शुक्रवार को पूरी कर दी. उन्होंने 2014 में कांग्रेस की हार के लिए संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) के रोल को लेकर कई सवाल उठाए. मनीष तिवारी ने शुक्रवार को ट्वीट करके चार सवाल पूछे. उन्होंने कहा कि क्या 2014 में कांग्रेस की हार के लिए यूपीए जिम्मेदार है, यह उचित सवाल है और इसका जवाब मिलना चाहिए? इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अगर सभी समान रूप से जिम्मेदार हैं, तो यूपीए को अलग क्यों रखा जा रहा है? 2019 की हार पर भी मंथन होना चाहिए. सरकार से बाहर हुए 6 साल हो गए, लेकिन यूपीए पर कोई सवाल नहीं उठाए गए. यूपीए पर भी सवाल उठना चाहिए.

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क्या है यूपीए
गौरतलब है कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) कई राजनीतिक पार्टियों का गठबंधन है, जिसकी अगुवाई कांग्रेस करती है. 2004 से 2014 तक यूपीए की ही सरकार केंद्र में थी. इस समय यूपीए में कांग्रेस के अलावा शिवसेना, डीएमके, राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी), इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस शामिल है. इसके अलावा यूपीए का हिस्सा झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम), जनता दल सेक्युलर (जेडीएस), केरल कांग्रेस, एमडीएमके, आरएसपी, एआईयूडीएफ, वीसीके और कुछ निर्दलीय राजनेता शामिल हैं. 2014 तक सोशल जनता (डेमोक्रेटिक), 2012 तक तृणमूल कांग्रेस और एआईएमआईएम भी यूपीए का हिस्सा थीं.