कोविड-19 के टीके दुनियाभर में मानव परीक्षण के चरण में, Good News बंदरों पर प्रयोग रहा सफल
कोविड-19 (COVID-19) का टीका विकसित करने में जुटे विशेषज्ञ दुनियाभर में इसके मानव पर परीक्षण (Clinical Trial) के विभिन्न चरणों में पहुंच चुके हैं.
नई दिल्ली:
कोविड-19 (COVID-19) का टीका विकसित करने में जुटे विशेषज्ञ दुनियाभर में इसके मानव पर परीक्षण (Clinical Trial) के विभिन्न चरणों में पहुंच चुके हैं और ऐसे में बृहस्पतिवार को शीर्ष वैश्विक विशेषज्ञों ने कठोर मानकों की आवश्यकता पर जोर दिया. भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) की ओर से आयोजित ‘कोविड-19 महामारी के खिलाफ टीकों (Corona Vaccine) के विज्ञान और नैतिकता में नव विचार’ विषय पर आयोजित एक अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में हिस्सा लेते हुए विशेषज्ञों ने यह भी चर्चा की कि टीका विकसित होने के बाद किन समूहों को टीका लगाने के मद्देनजर प्राथमिकता दी जाए.
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अमेरिका के राष्ट्रीय एलर्जी एवं संक्रामक रोग संस्थान के निदेशक एंथोनी एस फौसी ने कहा कि कुछ दिन पहले ही एमआरएनए-1273 आधारित टीके का मानव पर तीसरे चरण का परीक्षण शुरू हुआ है. उन्होंने कहा, 'हमने यह स्पष्ट किया है कि बिल्कुल शुरुआत से ही सभी अध्ययनों को सामुदायिक अधिकारों और सभी आवश्यक नैतिक समीक्षा के साथ नियामक मानक पर निष्पादित किया जाएगा.' कार्यक्रम के दौरान ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से जुड़े प्रोफेसर एड्रियान हिल ने कहा कि टीके के संबंध में उपलब्ध सुरक्षा डेटाबेस के कारण हम तेजी से स्वीकृति प्राप्त करने में सफल रहे. ऑक्सफोर्ड द्वारा विकसित टीका मानव परीक्षण के तीसरे चरण में है.
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इस बीच अच्छी खबर यह है कि ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन ने उम्मीद की किरण दिखाई है. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के टीके का बंदरों पर परीक्षण सफल रहा है. टीका लगने के बाद बंदरों में प्रतिरोधी क्षमता पैदा हुई और उनमें वायरस का प्रभाव भी कम हुआ. मेडिकल जर्नल नेचर में प्रकाशित अध्ययन में यह जानकारी दी गई. अमेरिका के राष्ट्रीय एलर्जी एवं संक्रामक रोग संस्थान के शोधकर्ताओं और ऑक्सफोर्ड ने पाया कि वैक्सीन यानी कि टीका बंदरों को कोविड-19 से होने वाले घातक निमोनिया से बचाने में सफल रहा.
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दरअसल, कोरोना के संक्रमण के बाद फेफड़ों में सूजन आ जाती है और उन्हें एक प्रकार का द्रव्य भर जाता है. इसी सफलता के बाद ऑक्सफोर्ड ने इंसानों पर परीक्षण शुरू किए थे, जिसके भी प्रारंभिक नतीजे सफल रहे हैं. शोधकर्ताओं ने कहा कि छह बंदरों को कोरोना के संक्रमण की जद में लाए जाने के 28 दिन पहले यह टीका दिया गया था. इससे फेफड़ों को नुकसान पहुंचाने से बचाया और वायरस की मात्रा को कम किया. बाद में इन बंदरों को बूस्टर डोज भी दिया, जिससे प्रतिरोधी क्षमता और बढ़ी.
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