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कर्नाटक, मध्य प्रदेश का डर कांग्रेस को असम में! नतीजों से पहले ही राजस्थान भेजे प्रत्याशी

असम में विधानसभा चुनाव के लिए सियासी शोर थम चुका है. सभी उम्मीदवारों की किस्मत ईवीएम में कैद हो चुकी है और अब इंतजार 2 मई का हो रहा है.

Updated on: 10 Apr 2021, 01:54 PM

जयपुर:

असम में विधानसभा चुनाव के लिए सियासी शोर थम चुका है. सभी उम्मीदवारों की किस्मत ईवीएम में कैद हो चुकी है और अब इंतजार 2 मई का हो रहा है. 2 मई यानी 'किसकी सरकार बनी और किसकी सरकार गई', तय करने वाला दिन. राजनीतिक दलों के साथ प्रदेश की जनता भी इस दिन का इंतजार कर रही है और इसी दिन तय होगा कि अगले 5 साल कौन असम पर राज करेगा. हालांकि चुनाव नतीजों से पहले ही राजनीतिक उठापठक तेज हो गई है. ऐसा इसलिए कि 2 मई को आने वाले नतीजों से पहले कांग्रेस ने अपने प्रत्याशियों को राजस्थान भेज दिया है. जिसके कई राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं.

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कांग्रेस को असम में अभी से सताने लगा डर!

माना जा रहा है कि कर्नाटक और मध्य प्रदेश की तरह कांग्रेस को असम में अभी से डर सताने लगा है. कांग्रेस को लग रहा है कि चुनाव नतीजों में कुछ बदला बदली होने पर कहीं कोई प्रत्याशी पार्टी छोड़ विरोधियों के पाले में न खड़ा हो जाए. क्योंकि अपनों की दगाबाजी के चलते कर्नाटक और मध्य प्रदेश में कांग्रेस को सत्ता से बाहर होना पड़ा था. दोनों राज्य कांग्रेस के हाथ से चले गए. इससे सबक लेते हुए असम की सत्ता में वापसी की उम्मीद लगाए बैठी कांग्रेस नतीजों से पहले जोड़-तोड़ को लेकर सतर्क हो गई है. ऐसा माना जा रहा है कि कांग्रेस को असम में प्रत्याशियों के टूटने का डर सताने लगा है. लिहाजा वह अभी से सचेत है और प्रत्याशियों पर पकड़ बनाए रखने के लिए उन्हें कांग्रेस ने राजस्थान भेज दिया है, जहां उसकी सरकार है.

कांग्रेस के सहयोगी दलों के विधायक भी राजस्थान में

कांग्रेस ही नहीं, बल्कि असम में पार्टी गठबंधन के प्रत्याशियों को भी राजस्थान भेजा गया है. शुक्रवार को 17 प्रत्याशी जयपुर पहुंचे. जबकि रात को दो और प्रत्याशियों को जयपुर लाया गया. इन प्रत्याशियों को होटल फेयरमाउंट में ठहराया गया है. बताया जा रहा है कि इनमें ज्यादातर कांग्रेस के सहयोगी दल एआईयूडीएफ के प्रत्याशी हैं. सभी नेता होटल के एक ही फ्लोर पर रुके हुए हैं. सभी नेताओं की जयपुर पहुंचते ही एयरपोर्ट पर कोरोना जांच भी हुई. जिसकी रिपोर्ट आज आ जाएगी. कांग्रेस के कुछ और प्रत्याशियों को भी आज जयपुर लाया जा सकता है. एआईयूडीएफ के नेता एक-दो दिन में अजमेर शरीफ दरगाह जाएंगे. 2 मई तक असम से लाए गए जयपुर में नेता रहेंगे.

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असम में BPF और AIUDF के साथ कांग्रेस का गठबंधन

उल्लेखनीय है कि असम में बीपीएफ और एआईयूडीएफ दोनों इस बार कांग्रेस के नेतृत्व वाले 'महाजोत' (महागठबंधन) का हिस्सा हैं. पिछले चुनावों में बीपीएफ बीजेपी के साथ थी और एआईयूडीएफ स्वतंत्र रूप से लड़ी थी. पिछले विधानसभा चुनाव 2016 में, कांग्रेस और एआईयूडीएफ ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था, कांग्रेस को 30.9 फीसदी वोट मिले थे, जबकि एआईयूडीएफ को 13 फीसदी वोट मिले थे. दूसरी ओर, भाजपा के पास 29.5 प्रतिशत और उसके सहयोगी दल एजीपी और बीपीएफ को क्रमश: 8.1 और 3.9 प्रतिशत वोट मिले. इस बार आगामी चुनावों में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी को हराने के लिए कांग्रेस ने तीन वामपंथी दलों सीपीआई (एम), सीपीआई और सीपीआई (एमएल) के अलावा अन्य कई स्थानीय दलों के साथ एक महागठबंधन का गठन किया है.

असम में 3 चरणों में हुए मतदान

126 सदस्यीय असम विधानसभा के लिए 27 मार्च (47 सीटों), 1 अप्रैल (39 सीटों) और 6 अप्रैल (40 सीटों) के साथ तीन चरणों में चुनाव कराए गए हैं. चुनावी परिणाम 2 मई को घोषित किए जाएंगे. बीजेपी शासित राज्य असम में 27 मार्च को 47 विधानसभा क्षेत्रों में हुए मतदान में 81,09,815 मतदाताओं में से लगभग 80 प्रतिशत मतदाताओं ने वोट डाले थे. दूसरे चरण के अंतर्गत एक अप्रैल को 39 सीटों पर 77.21 प्रतिशत मतदान हुआ. चुनाव के तीसरे और अंतिम चरण में 6 अप्रैल को 12 जिलों की 40 सीटों पर मतदान हुआ. चुनाव अधिकारियों के अनुसार, कड़ी सुरक्षा के बीच कुल 79,19,641 मतदाताओं में से 82 प्रतिशत ने अपने मताधिकार का उपयोग किया.

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असम में इन धुरंधरों ने भरी हुंकार

महीने भर के व्यस्त चुनाव अभियान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनके मध्य प्रदेश के समकक्ष शिवराज सिंह चौहान ने पार्टी उम्मीदवारों के लिए प्रचार किया. कांग्रेस नेता राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, महाराष्ट्र के पूर्व सीएम अशोक चव्हाण, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ, पार्टी प्रवक्ता गौरव वल्लभ और महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला उन केंद्रीय नेताओं में से थे, जिन्होंने अपनी पार्टी के उम्मीदवारों के लिए प्रचार किया.