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भारत-चीन वार्ता में पूर्वी लद्दाख के बाकी सैनिकों की वापसी पर जोर

सैन्य वार्ता में पूर्वी लद्दाख (Ladakh) के हॉट स्प्रिंग, गोगरा और देपसांग जैसे गतिरोध वाले शेष हिस्सों से सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया को जल्द आगे बढ़ाने पर जोर दिया.

Updated on: 10 Apr 2021, 08:16 AM

highlights

  • भारत-चीन के बीच सैन्य स्तर की वार्ता में पेंच-ओ-खम
  • पूर्वी लद्दाख के बाकी क्षेत्रों से सैनिकों की वापसी पर अड़ा भारत
  • पहले की वार्ता के बाद एलएसी से चीनी सैनिक हटे थे पीछे

नई दिल्ली:

भारत ने शुक्रवार को चीन के साथ 11 वें दौर की सैन्य वार्ता में पूर्वी लद्दाख (Ladakh) के हॉट स्प्रिंग, गोगरा और देपसांग जैसे गतिरोध वाले शेष हिस्सों से सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया को जल्द आगे बढ़ाने पर जोर दिया. सूत्रों के मुताबिक पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारतीय क्षेत्र में चुशुल सीमा क्षेत्र पर पूर्वाह्न करीब साढ़े दस बजे कोर कमांडर स्तर की 11वें दौर की बैठक शुरू हुई और रात करीब 10 बजे तक यह वार्ता जारी थी. भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने जल्द से जल्द गतिरोध वाले शेष स्थानों से सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया को पूरा करने पर जोर दिया. दसवें दौर की सैन्य वार्ता 20 फरवरी को हुई थी. इससे दो दिन पहले दोनों देशों की सेनाएं पैंगोंग (Pangong Tso) झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारों से अपने-अपने सैनिक और हथियारों को पीछे हटाने पर राजी हुईं थीं. वह वार्ता करीब 16 घंटे चली थी.

जल्द जारी होगा संयुक्त बयान
शुक्रवार को शुरू हुई वार्ता में भारतीय प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई लेह स्थित 14वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल पी जी के मेनन ने की. पूर्वी लद्दाख की पैंगोंग लेक से चीनी सेना बातचीत के 10 दिन बाद ही पीछे हट गई थी, लेकिन दूसरों इलाकों में सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया थोड़ी धीमी पड़ गई है. उत्तरी सेना के पूर्व कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हुड्डा (रिटायर्ड) ने कहा है कि चीन पर लगातार दबाव बनाने की ज़रूरत है ताकि वे यथास्थिति बहाल करने के लिए सहमत हो सकें. भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने जल्द से जल्द गतिरोध वाले बाक़ी स्थानों से सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया को पूरा करने पर जोर दिया. इस बातचीत को लेकर दोनों देशों की तरफ से जल्द ही संयुक्त बयान जारी किया जाएगा.

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खतरा कम हुआ खत्म नहीं
पिछले महीने थल सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे ने कहा था कि पैंगोंग झील के आसपास के इलाके से सैनिकों के पीछे हटने से भारत को खतरा 'कम' तो हुआ है, लेकिन पूरी तरह खत्म नहीं हुआ. भारत और चीन की सेनाओं के बीच पिछले साल पैंगोंग झील के आसपास हुई हिंसक झड़प के चलते गतिरोध पैदा हो गया, जिसके बाद दोनों पक्षों ने धीरे-धीरे अपने हजारों सैनिकों की उस इलाके में तैनाती की थी. कई दौर की सैन्य और राजनयिक स्तर की वार्ता के बाद दोनों पक्षों ने फरवरी में पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी हिस्से से सैनिकों और हथियारों को पूरी तरह पीछे हटाने पर सहमति जतायी थी.

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11 महीने से बरकरार है गतिरोध
भारत और चीन की सेनाओं के बीच पिछले साल पैंगोंग झील के आसपास हुई हिंसक झड़प के चलते गतिरोध पैदा हो गया, जिसके बाद दोनों पक्षों ने धीरे-धीरे अपने हजारों सैनिकों की उस इलाके में तैनाती की थी. कई दौर की सैन्य और राजनयिक स्तर की वार्ता के बाद दोनों पक्षों ने फरवरी में पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी हिस्से से सैनिकों और हथियारों को पूरी तरह पीछे हटाने पर सहमति जतायी थी.