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Mahakumbh 2025 Saint who plays flute with his nose Photograph: (News Nation)
Mahakumbh 2025 Unique Baba: प्रयागराज के महाकुंभ मेले में ऐसे अनेक संतों की अनोखी और रोचक कहानियां सामने आती हैं, जो श्रद्धालुओं को अपनी साधना, कला और अद्वितीय व्यक्तित्व से प्रेरित करते हैं. इन्हीं में से एक हैं बांसुरी बाबा जो नाक से बांसुरी बजाने की अद्भुत कला के लिए प्रसिद्ध हैं. बांसुरी बाबा एक साधु हैं जिन्होंने बांसुरी बजाने को साधना का माध्यम बना लिया है. परंपरागत रूप से बांसुरी मुंह से बजाई जाती है लेकिन बाबा इसे नाक से बजाते हैं, जो उनकी साधना और अनूठे कौशल का प्रतीक है.
बांसुरी बाबा की विशेषता
बांसुरी बाबा ने बांसुरी बजाने की इस विशेष कला को वर्षों की तपस्या और साधना से विकसित किया है. बांसुरी बजाते समय बाबा भजन और आध्यात्मिक गीतों को प्रस्तुत करते हैं, जो श्रद्धालुओं को शांति और भक्ति का अनुभव कराते हैं. इस बार उनकी यह कला महाकुंभ के श्रद्धालुओं के बीच चर्चा और आकर्षण का विषय बनी रहती है.
कैसे शुरू हुआ यह सफर?
बांसुरी बाबा के अनुसार, उन्होंने बांसुरी बजाने की शुरुआत सामान्य तरीके से की थी. लेकिन अपनी साधना के दौरान उन्होंने इसे नाक से बजाने का प्रयास किया. यह प्रयास उनके लिए एक साधना बन गया और उन्होंने इसे अपनी पहचान बना लिया. बांसुरी बाबा का मानना है कि हर व्यक्ति के भीतर एक अनूठा गुण होता है जिसे वह साधना और प्रयास के जरिए पहचान सकता है. उनकी नाक से बांसुरी बजाने की कला इस बात का उदाहरण है कि लगन और साधना से असंभव भी संभव हो सकता है.
बांसुरी बाबा के भजन और धुनें महाकुंभ में श्रद्धालुओं को अद्भुत आध्यात्मिक अनुभव करा रही हैं. उनके संगीत में भक्ति और साधना की झलक मिलती है जो लोगों के मन को शांति दे रही है.बांसुरी बाबा अपनी कला के माध्यम से यह संदेश देते हैं कि साधना और समर्पण के जरिए कोई भी व्यक्ति असाधारण बन सकता है. उनकी कला महाकुंभ की आध्यात्मिक ऊर्जा में चार चांद लगाती है. बांसुरी बाबा की यह अनोखी साधना महाकुंभ की उस विविधता का हिस्सा है, जो भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक समृद्धि को दर्शाती है.
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